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जीवसमासे ढ़ाणमिइ तं भवे सपडिवक्खं । उज्जुमई विउलमई मणनाणे केवल एक ॥ ६४ ॥ मइय मिच्छा साणा विभंग समणे य मीसए| चारित्रनि१सत्पदमीसं । सम्मच्छउमाभिणिसुओहि विरयमण केवल सनामे ॥ ६५ ॥ अजया अविरयसम्मा देसे विरया य हुंति सहाणे । सामाइय-17
ग्रन्धदर्शप्ररूपणायां
| छेयपरिहारसुहमअहक्खाइणो विरया ।। ६६ ।। सामाइयछेया जा नियट्टि परिहारमप्पमत्ता । सुहमा सुहुमसरागे उवसंताई परिहारसाणEEMAHIS
&ानलेश्या
सम्यक्त्व ॥२४॥ अहक्खाया ॥ ६७ ॥ समणा पुलाय बउसा कुसील निग्गंथ तह सिणाया य।आइतियं सकसाई विराय छउमा य केवलिणो॥६८॥
भव्याहारेषु चउरिंदियाइ छउमे चक्खु अचक्खू य सव्व छउमत्थे । सम्मे य ओहिदंसी केवलदंसी सनामे य ॥ ६९॥ किण्हा नीला काऊ
| जीवगुणाः अविरयसम्मंत संजयंतऽपर । तेऊ पम्हा सण्णऽप्पमायसुक्का सजोगता ।। ७० ॥ पुढविदगहरिय भवणे वण जोइसिया असंखनर
अजीवाश्च तिरिया । सेसेगिंदियवियला तियलेसा भावलेसाए ॥ ७१ ॥ काऊ काऊ तह काउनील नीला य नीलकिण्हा य । किण्हा य | परमकिण्हा लेसा रयणप्पभाईणं ।।७२।। तेऊ तेऊ तह तेऊ पम्ह पम्हा य पम्हसुक्का य । सुक्का य परमसुक्का सक्कादिविमाणवासीणं
॥७३॥ देवाण नारयाणं दब्बल्लेसा हवंति एयाउ । भवपरित्तीए उण नेरइयसुराण छल्लेसा॥७४|| मिच्छद्दिट्टि अभव्या भवसिद्धीया य सब्बठाणेसु । सिद्धा नेव अभव्या नवि भव्वा हुंति नायव्वा ।। ७५ ॥ मइसुयनाणावरणं दंसणमोहं च तदुवघाईणि । तप्फड्डगाई दुविहाई सव्वदेसोवघाईणि ॥ ७६ ॥ सव्वेसु सब्बधाइसु हएसु देसोवघाइयाणं च । भागेहि मुच्चमाणो समए समए अणंतेहिं
॥२४॥ ॥ ७७ ॥ खीणमुइण्णं सेसयमुवसंतं भण्णए खओवसमो । उदयविघाय उवसमो खओ य दंसणतिगाघाओ ॥ ७८ ॥ उवसमवेयग खइया अविरयसम्माइ सम्मदिट्ठीसु । उवसंतमप्पमत्ता तह सिद्धता जहाकमसो ।। ७९ ॥ वेमाणिया य मणुया रयणाए असंखवासतिरिया य । तिचिहा सम्मद्दिडी वेयगउवसामगा सेसा ।। ८० ।। अस्सण्णि अमणपंचिंदियंत सण्णी उ समण छउमत्था । नोसण्णि
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