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उपदेश मालायां
SERIES
॥ २१६॥
HRECASEARCREACHE
तवसंजमं अइरा ॥ १६१ ॥ वसं जुष्णकुमारिं, पउत्थवइअं च बालविहवं च । पासंडरोहमसई, नवतरुणिं धेरभज्जं च ॥ १६२ ॥ संजय
क्षमा कुटुंत्रं सविडंकुब्भडरूवा, दिट्ठा मोहेइ जा मणं इत्थी । आयहियं चिंतता, दूरयरेणं परिहरांत ॥ १६३ ॥ सम्मदिट्ठीवि कयागमोवि |
& गच्छवासः अइविसयरागसुहवसओ । भवसंकडम्मि पविसइ, इत्थं तुह सच्चई नायं ॥१६४॥ सुतवस्सियाण पूया, पणामसकारविणयकज्जपरो। | बद्धपि कम्ममसुह, सिढिलेइ दसारनेया व ॥ १६५ ॥ अभिगमणवंदणनमंसणण पडिपुच्छणेण साहणं । चिरसंचियंऽपि कम्म,
खणेण विरलत्तणमुवेइ ॥ १६६ ॥ केइ सुसीला सुहमाइ सज्जणा गुरुजणस्सऽवि सुसीसा । विउलं जणंति सद्धं, जह सीसो चंडरुदस्स ॥ १६७ ।। अंगारजीववहगो, कोई कुगुरू मुसीसपरिवारो । सुमिणे जईहि दिट्ठो, कोलो गयकलहपरिकिण्णो ॥ १६८ । सो उग्गभवसमुद्दे, सयंवरमुवागएहि राएहिं । करहोवक्खरभरिओ, दिट्टो पोराणसीसेहिं ॥ १६९ ।। संसारवंचणा नवि, गणंति संसारसूअरा जावा । सुमिणगएणऽवि केई, बुज्झति पुष्फचूला वा ॥१७०॥ जो अविकलं तवं संजमं च साहू करिज्ज पच्छाऽवि । आनियसुयव्य सो नियगमट्ठमचिरेण साहेइ ।।१७१।। सुहिओ न चयइ भोए, चयइ जहा दुक्खिओत्ति अलियमिणं । चिक्कणकम्मोलित्तो न इमो न इमो परिच्चयई ।। १७२ ।। जह चयइ चक्कवट्टी, पवित्थरं तत्तियं मुहुत्तेणं । न चयइ तहा अहनो, दुब्बुद्धी खप्परं दमओ ॥ १७३ ॥ देहो पिपीलियाहिं, चिलाइपुत्तस्स चालणी बकओ। तणुओवि मणपओसो, न चालिओ तेण ताणुवरि ॥१७४ ॥ पाणच्चएऽवि पार्व, पिवीलियाएऽवि जे न इच्छति । ते कह जई अपावा, पावाइँ करंति अन्नस्स? ॥ १७५ ॥ जिणपहअपंडियाण, पाणहराणऽपि पहरमाणाणं । न करंति य पावाई, पावस्स फलं वियाणंता ॥ १७६ ॥ बहमारणअब्भक्खाणदाणपरधणविलोवणाइणं । सव्वजहन्नो उदओ, दसगुणिओ इकसि कयाणं ॥ १७७॥ तिब्बयरे उ पओसे, सयगुणिओ सयसहस्सकोडि णो । कोडा
MARKES
॥२१६॥
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