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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपदेश मालायां ॥२१५॥ X पुत्ताण पिया कणयकेऊ ॥ १४६ ॥ विसयमहरागवसओ, घोरो भायाऽवि भायरं हणइ । आहाविओ बहत्थं, जह बाहुबलिस्स भर-दिक्षमा, कुटुंब | हवई ॥ १४७॥ भज्जावि इंदियविगारदोसनडिया करइ पइपावं। जह सो पएसिराया मूरियकताई तह वहिओ ॥ १४८ ॥ गच्छवासः सासयसुक्खतरस्सी, नियअंगसमुब्भवेण पियपुत्तो । जह सो सेणियराया, कोणियरण्णा खयं नीओ ॥ १४९ ॥ लुद्धा सकज्जतुरिआ, सुहिणोऽवि विसंवयंति कयकज्जा । जह चंदगुत्तगुरुणा, पब्बयओ घाइओ राया ॥ १५० ।। निययाऽवि निययकज्जे, विसंवयंतम्मि हुँति खरफरुसा । जह रामसुभूमकओ, बंभक्खत्तस्स आसि खओ ॥ १५१ ।। कुलधरनिययसुहेसु अ, सयणे अ जणे अनिच्च मुणिवसहा । विहरंति अणिस्साए, जह अज्जमहागिरी भयवं ।। १५२ ।। रूवेण जुधणेण य कन्नाहि सुहेहिं वरसिरीए य । न य लुब्भंति सुविहिया, निदरिसणं जंबुनामुत्ति ।। १५३ ।। उत्तमकुलप्पसूया, रायकुलबडिंसगावि मुणिवसहा । बहुजणजइसंघटुं, मेहकुमारु ब्व विसहति ॥ १५४ ॥ अवरुप्परसंबाई, सुक्खं तुच्छ सरीरपीडा य । सारण वारण चोयण, गुरुजणआय-| त्तया य गणे ॥१५५।। इक्कस्स कओ धम्मो ?, सच्छंदगईमईपयारस्स । किं वा करेइ इको ?, परिहरउ कहं अकज्ज वा ? ॥१५६।। कत्तो सुत्तत्थागम, पडिपुच्छण चोयणा व इक्कस्स । विणओ यावच्चं, आराहणया य मरणंते ? ॥ १५७ ॥ पिल्लिज्जेसणमिको, पइन्नपमयाजणाउ निच्च भयं । काउमणोऽवि अकज्ज, न तरइ काऊण बहुमज्झे ॥१५८ ॥ उच्चारपासवणवंतपित्तमुच्छाइमोहिओ इक्को । सद्दवभाणविहत्थो, निक्खिवइ व कुणइ उड्डाहं ॥१५९ ॥ एगदिवसेण बहुआ, सुहा य असुहा य जीवपरिणामा । इक्को असुहपरिणओ, चइज्ज आलंबणं लद्धं ॥ १६० ॥ सवजिणप्पडिकुटुं, अणवत्था थेरकप्पभेओ अ । इक्को असुआउत्तोऽवि हणइ ॥२१॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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