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सिद्धिः
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धर्म | जति भावो । सो चेव उ बज्झत्थो अह तु अभावो ण हेउत्ति ॥ ७०१ ॥ सो भावोत्ति सहावा तस्सेव जमायरूवमो अह उ । तं चेव है बाह्यार्थसंग्रहणी कारणंतरविगलं पीतादिहेउत्ति ।। ७०२ ।। नीलत्ते सामन्ने कारणवियलत्तणे य किन्ने ? । अन्नपि नीलहेऊ जायइ पीतादिहेउत्ति
॥ ७०३ ।। अह तं विसिट्ठ चिव वइसिटुं हंत किंकयं तस्स ? । अह तु सहेतुकयं चिय ण तेसि तत्ताविसमातो
॥ ७०४ ॥ नीलक्षणजणगातो जाओ तस्सेव जुज्जई हेऊ । भेदगभावाभावा अतीतनीलक्खणा जह उ ॥ ७०५ ॥ कालो 15 उ भेदगो चेव तब्भवे कह ण बज्झसिद्धिति ? । नाणंतरंपि भिन्नाभिन्नद्धमजुत्तमेजुत्तं ( मेगता)॥ ७०६ ।। जायइ य नीलसंवेदणाउ |
पीतादि तुह मतेणावि । ता जो इमस्स हेतू सो चिय बज्झत्थमो नेओ ।। ७०७ ।। सिय अघडमाणभावे तुल्ले दोहंपञ्भावओ होउ । Vानीसेसमुण्णयच्चिय (सरि:-) पडिहणिया अणुभवणेसा ॥ ७०८ ॥ न य न घडइ बज्झत्थो जमणू तल्लेतरादिरूवा उ । संसा जसा 8 य तओ जुना संबंधसिद्धित्ति ।। ७०९ ।। चेव खलु अणूणं पच्चासन्नत्तणं मिहो एत्थ । तं चेव उ संबंधो विमिट्टपरिणामसाविक्खं CI॥ ७१० ॥ देसेण संबंधो इय देसे सति य कहमणुतंति ? । अप्पतराभावातो णहप्पतरयं तओ अस्थि ॥ ७११ ॥ पचासत्ती य Pामिहो तेसि धम्मतराणुवेधातो । धम्मतरभावातो गहणं इस समुदियाणं तु ।। ७१२ ॥ दिसिर्भयाउ चिय सकभेदओ कह ण अप्प- |
तरगति ? । दवेण सकभेदं विवक्खितं ता कुतो तमिह ? ।। ७१३ ॥ तस्मवि सदवत्थाणा दिसभेदो सो य तस्स धम्मोत्ति । तदभावे भावातो अपदेसो दब्बताए तु ॥ ७१४ ॥ स्वादिसंगतो जंण य रूवाणूवि केवलो अस्थि । तस्स रसादणुवेहा तेसिपि य तदणुवेधातो ॥ ७१५ ॥णयऽमुत्ता एवं गुगा एते खस्सव तदणुवेहीव । अद्दरिमणप्पसंगा मुत्तामुत्तेकभावो वा ॥ १६ ॥णय
॥१२॥ जुत्तं अणुमत्तं सत्ताओ सव्यहावि सजोगे । बादरमुत्तत्ताणासभावतो उवचयविमेसा ॥ ७१७ ॥णय अवयवी विभिन्नो एगतेणध्वय
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