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आकड्डति आकडी त्रि. [आकांक्षी], कामना या आकांक्षा करने वाला - तस्मा सम्पदमाकसी, सम्पन्नत्थूध पुग्गलो, अ. नि. 3(1).71; इमिना दुतियेन आकडियेन धम्मेन समन्नागतो होति, पेटको.
255.
आकडप्पटिबद्ध व. - इति आकङ्घमानस्स, सद्धम्मस्स चिरट्ठिति, उदा. अट्ठ. 2; - नानं ष. वि., ब. व. - पुझं आकङ्घमानानं. सङ्घो वे यजतं मुखान्ति, सु. नि. 574; - केय्य विधि., प्र. पु., ए. व. - सचे आकयेय्य भुजेय्य नो चे आवडेय्य अप्पहरिते वा छड्डेय्य, महाव. 209; आकडेय्य चेति इदं कस्मा आरद्ध? सीलानिसंसदस्सनत्थं, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 11).165; - विस्सति भवि., प्र. पु., ए. व. - यं वितक्कं आकडिस्सति तं वितक्कं वितक्केस्सति, म. नि. 1.172; -- स्ससि उपरिवत्, म. पु., ए. व. – सो त्वं वच्छ, यावदेव आकस्सिसि - ..., म. नि. 2.172; - जित त्रि.. भू. क. कृ. [आकांक्षित], इच्छित, अभीष्ट, चाहा गया - यं... इच्छितं, यं आकसितं, यं अधिप्पेतं, यं अभिपत्थितं.... दी. नि. 1.105. आकङ्कप्पटिबद्ध त्रि., [आकांक्षाप्रतिबद्ध], शा. अ. आकांक्षा या कामना के साथ जुड़ा हुआ, इच्छा या कामना का विषयीभूत, ला. अ. जवनचित्त द्वारा जाना गया, आलम्बन के प्रति रुचि उत्पन्न होने के अनन्तर चित्त द्वारा गृहीत - द्धा पु.. प्र. बि., व. व. - तस्स मे ते धम्मा... आकङ्घपटिबद्धा .... पटि. म. 166; आकङ्कपटिबद्धाति रुचिआयत्ता, पटि. म. अट्ट, 2.74; सब्बे धम्मा... आकङ्कपटिबद्धा..... पटि. म. 368; आकङ्कप्पटिबद्धाति रुचिआयत्ता, आवज्जनानन्तरं जवनाणेन जानातीति अत्थो, पटि. म. अट्ठ. 2.237. आकजना स्त्री. [आकांक्षा], इच्छा, कामना - सति
अज्झतविक्खेपा, कङ्घना बहिद्धाविक्षेपपत्थना, पटि. म. 158; अज्झत्तं विक्खेपो अज्झत्तविक्खेपो, तस्स आकङ्घना
अज्झत्तविक्खेपाकङ्घना, पटि. म. अट्ठ. 2.67. आकडा स्त्री. [आकांक्षा]. इच्छा, रुचि - आकडा रुचि वुत्ता,
अभि. प. 163. आकजितपमाणिक त्रि.. ब. स. [आकांक्षितप्रामाणिक]. इच्छित प्रमाण वाला, मनचाही लम्बाई चौड़ाई वाला - पच्चत्थरणमुखचोळा, आकङ्कितप्पमाणिका, खु. सि. 42; तेन वृत्तं आकङ्कितप्पमाणिका ति इच्छितप्पमाणिकाति अत्थो,
खु. सि. पु. टी. 92. आकब्जिय त्रि., [आकांक्ष्य], आकांक्षा करने योग्य, चाह करने योग्य - इमिना दुतियेन आकडियेन धम्मेन समन्नागतो
होति, पेटको. 255. आकनियन्ति आ +vकस से व्यु., आकंखा के ना. धा. का वर्त.. प्र. पु. ब. व., आकांक्षा या इच्छा, जैसा करते हैं - ये केचि अरहन्ता इन्द्रियभावनं आकड्डियन्ति, पेटको. 295.
आकऽय्यसुत्त नपुं.. म. नि. का छठा सुत्त, म. नि. 1.4145; - वण्णना स्त्री.. इस नाम वाले सुत्त की अट्ठकथा
या व्याख्या , म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).163-174. आकड्डति आ + कड्ड का वर्त., प्र. पु. ए. व. [आकर्षति],
शा. अ.1. खींचता है या घसीटता है, पकड़ता है या बलपूर्वक ग्रहण करता है - येन येनस्थिका होति, तं तं आकड्डतियेवाति अत्थो, जा. अट्ठ. 1.399; आमसति ... आकडति पतिकडुति .... पारा. 175; - ड्वित्वा पू. का. कृ. - तंगीवायं डंसमानं हनुकटिकेन आकड्डित्वा .... जा. अट्ठ. 1.256; - ड्डितब्बे त्रि., सं. कृ., सप्त. वि., ए. व. - यथा हि सत्तहि युगेहि आकडितब्बे सकटे .... ध. स. अट्ठ. 128; ला. अ.1. सम्पादित या उत्पन्न करता है, खींच कर ले आता है - न्ति वर्त., प्र. पु., ब. व. - ... ठपेत्वा उद्धच्चसहगत सेसानि एकादसेव पटिसन्धिं आकड्डन्ति ..... ध. स. अट्ठ. 300; - ति वर्त, प्र.पु., ए.व. -- यो च, महाराज, वातो यञ्च पित्तं... सकं सकं वेदनं आकडति, मि. प. 138; -ड्डेय्य विधि., प्र. पु., ए. व. - आकड्ढय्याति अत्तनो अभिमुखं कड्ढय्य, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).169; शा. अ.2. अपनी ओर खींचता है – न्ति वर्त., प्र. पु., ब. व. - तथा हि गावो नववुढे देवे भूमियं घायित्वा घायित्वा आकासाभिमुखा हुत्वा वातं आकड्डन्ति, ध. स. अट्ठ. 348; - न्तो पु., वर्त. कृ., प्र. वि., ए. व. - तदा हि भगवा आकासगङ्ग ओतारेन्तो विय पथवोज आकड्डन्तो विय.. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.19; आवट्टतीति ... अत्तनो सरीर इतो चितो आकड्डन्तो आवट्टति, उदा. अट्ठ. 93; ला. अ. 2. चूसता है, निचोड़ लेता है, आत्मसात् कर लेता है - ड्डित्वा पू. का. कृ. - तेपि बोधिसत्तस्स नळेन आकवित्वा पानीयं पिवनकाले सब्बे तीरे निसिन्नाव पिविंस. जा. अट्ट, 1.173; शा. अ. 3. बलपूर्वक या जबर्दस्ती घसीटता है, बलपूर्वक अपनी ओर खींचता है - डन्ते वर्त. कृ., पु., द्वि. वि., ब. व. - तंसदिसे पन द्वे निरयपाले संसवके नाम गूथनिरये पक्खिपितु आकड्ढन्ते पस्सित्वा ..., वि. व. अट्ठ. 190; ... महिं जटासु गहेत्वा आकवित्वा भूमिय उत्तानक पातेत्वा ..., जा. अट्ठ. 7.309; शा. अ. 4. खींचकर बाहर निकालता है. निचोड़ता है - ड्ढाहि अनु.. म. पु.. ए. व.
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