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अरियसेट्ट 575
अरिस अरियसेट्ठ त्रि., तत्पु. स. [आर्यश्रेष्ठ], आर्यों के बीच में श्रेष्ठ निदोससुन्दरसरीरावकासोसि, अभिरूपोसीति अत्थो, तदे.; - वो पु., प्र. वि., ए. व. - तं कुंजराजञहयानुचिण्णं, अरियावकासोसि अनरियोवासि असञतो सञ्जतसन्निकासो, पावेक्खि अन्तेपुरमरियसेट्ठोति, ... अरियसेडोति आचारअरियेस ... अरियावकासोसीति अरिपटिरूपकोसि, जा. अट्ठ. 5.81उत्तमो पुण्णको यक्खो पण्डितस्स अन्तेपुरं पाविसि, जा. 82; अरणन्ति अरणियेहि देवेहि सदिसवण्णो अरियावकासोति अट्ठ. 7.182-183.
अत्थो , पे. व. अट्ठ. 183-184. अरियाकरि पु., व्य. सं., श्रीलङ्का के एक प्राचीन बौद्ध-विहार अरियिद्धि स्त्री., तत्पु. स. [आर्यऋद्धि], अर्हतों आदि आर्यजनों का नाम - करिस्स ष. वि., ए. व. - दत्वारियाकरिस्सेस की ऋद्धि, उत्तम ऋद्धि - इद्धिनाम चेसा - अधिट्ठानिद्धि, गामं सो मालवत्थुकं, चू. वं. 45.60.
विकब्बनिद्धि, मनोमयिद्धि, आणविष्फारिद्धि समाधिविप्फारिद्धि. अरियाचरित त्रि., तत्पु. स. [आर्याचरित], आर्यों अथवा अरियिद्धि, कम्मविपाकयिद्धि, पुञ्जवतो इद्धि, विज्जामयिद्धि, अर्हतों आदि द्वारा आचरण में लाया गया - तं नपुं॰, प्र. वि., ध. स. अट्ठ. 136-137; - बल नपुं, तत्पु. स., आर्य-जनों ए. व. - ... अरियाचरितं सुकोसले अरहन्तो मे मनापाव की ऋद्धियों का बल - लेन तृ. वि., ए. व. - तं थेरस्स परिसतान्ति, ... अरियाचरितन्ति अरियेहि बद्धादीहि आचिण्णं अरियिद्धिबलेन परिक्खयं न अगमासि, जा. अट्ठ. 1.232; - जा. अट्ठ. 3.365-366.
योग पु., तत्पु. स., आर्यजनों की ऋद्धियों के साथ जोड़ अरियाचार क. पु., तत्पु. स. [आर्याचार], उत्तम आचरण, या सम्बन्ध - गेन तृ. वि., ए. व. - यतिन्द्रियन्ति आर्यजनों का आचरण - रे सप्त. वि., ए. व. - तत्थ सुपरिसुद्धमनो समाचारताय, अरिसिद्धियोगेन मनुस्सो............ वा, अरियाचारे ठितो आचारअरियो नाम, अब्यावटअप्पटिसङ्घानुपेक्खाभावतो च मनिन्द्रियवसेन जा. अट्ठ. 2.234; ख. त्रि., ब. स., उत्तम आचरण वाला - यतिन्द्रिय, उदा. अट्ठ. 69. रा पु.. प्र. वि., ब. व. - अरियगणेति ब्राह्मणगणे, ते किर अरियूपवाद पु., तत्पु. स. [आर्योपवाद], आर्यजनों अथवा तदा अरियाचारा अहेसं तेन ते एवमाह, जा. अट्ठ. 6.64. बुद्धों एवं अर्हतों आदि की निन्दा, आर्यजनों के विषय में अरियाधिगत त्रि., तत्पु. स. [आर्याधिगत], आर्यजनों या बुरा-भला कहना - दो प्र. वि., ए. व. - महासावज्जो हि अर्हत् आदि द्वारा साक्षात्कृत, आर्यजनों द्वारा प्राप्त किया अरियूपवादो, आनन्तरियसदिसत्ता, विसुद्धि. 2.54; -धम्म हुआ - तं पु., द्वि. वि., ए. व. - अरियाधिगतञ्च धम्म त्रि., ब. स., स्वभाव से ही आर्यजनों का निन्दक - म्मा पु.. अनधिगच्छन्तो अरियकरधम्मानं अरियभावस्स च अदिट्ठता, प्र. वि., ब. व. - अरियूपवादधम्मा उपवादन्तरायिका नाम अरियानं अदस्सावी ति वेदितब्बो, स. नि. अट्ठ. 2.222. ते पन याव अरिये न खमापेन्ति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अरियायतन नपुं., तत्पु. स. [आर्यायतन], आर्यजनों का 1(2).9. क्षेत्र-प्रसार, अर्हतों आदि की भूमि (मध्य-देश)- तने नपुं.. अरियूपोसथ पु., तत्पु. स. [आर्योपवसथ], आर्यों का उपोसथ, सप्त. वि., ए. व. - तथागतप्पवेदितस्स धम्मविनयस्स ऐसा उपोसथ, जिसमें आर्यजनों की समीपता प्राप्त हो - देसेता पुग्गलो दुल्लभो लोकस्मि, अरियायतने पच्चाजाति थो प्र. वि., ए. व. - गोपालकुपोसथो, निगण्टुपोसथो, दुल्लभा लोकस्मि, अ. नि. 2(2).141; दसमस्स पठमे अरियुपोसथो, अ. नि. 1(1).235; अरियपोसथोति अरियानं अरियायतनेति मज्झिमदेसे, अ. नि. अट्ठ. 3.143.
उपवसनउपोसथो, अ. नि. अट्ठ. 2.187. अरियालंकारथेर पु.. व्य. सं., क. अनेक पालि-रचनाओं अरियूपवादी त्रि., [आर्योपवादिन], अर्हतों जैसे आर्यजनों को बर्मी-भाषा में रूपान्तरित करने वाले एक स्थविर का की निन्दा करने वाला - दी प्र. वि., ए. व. - भिक्खु नाम - अरियालङ्कारथेरो पन धातुपच्चयविभागट्ठाने अधिकोति अक्कोसकपरिभासको अरियूपवादी सब्रह्मचारीनं, तस्स पञ्च दट्ठब्बो, सा. वं. 100; ख. एक सामणेर का नाम - ... पेसेसं आदीनवा पाटिकवा, अ. नि. 2(1).232; - दिनो पु., ष. वि., सद्धि अरियालङ्कारेन नाम सामणेरेन, सा. वं. 146.
ए. व. - यं मुसा भणतो पापं यं पापं अरियूपवादिनो, स. अरियावकास त्रि., ब. स., सुन्दर स्वरूप वाला, उत्तम एवं नि. 1(1).260; अरियूपवादिनोति कोकलिकस्स विय पापं. भव्य आकृति वाला - सो पु., प्र. वि., ए. व. - अरियावकासोसिस. नि. अट्ठ. 1.300. पसन्ननेत्तो, मझे भवं पब्बजितो कुलम्हा, जा. अट्ठ. 2.234; अरिस नपुं.. [अर्शस], बवासीर का रोग - सं प्र. वि., ए. जा. अट्ट. 5.159; तत्थ अरियावकासो सीति । व. - दुन्नामकं च अरिसं. छद्दिकावमथूदितो, अभि. प. 327;
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