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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अन्ध 346 अन्धबधिरं त्रि., कर्म० स०, " घन्धं अ.. क्रि. वि., धुंधले रूप में टिमटिमाते हुए सो काय उद्धच्चकुक्कुच्चरसापि न सुप्पटिविनीतत्ता अन्धन्धं विय झायति म. नि. 3.190 - पुथुज्जन पु.. कर्म. स. [अन्धपृथग्जन] अज्ञानी लोग, सम्यक दृष्टि से रहित या अविद्या से ग्रस्त अज्ञानी जन यो हि अन्धपुथुज्जनो पापजनसेवी अयोनिसोमनसिकारबहुलो अकतकुसलो अकतपुत्रञ, उदा. अट्ठ 219; ते होन्ति परपत्तियाति ते मज्ञमाना बाला अन्धपुधुज्जना विज्ञाणपदस्स अप्पतताय ..... जा. अड. 3.67 - प्पवेणी / वेणी स्त्री. [अन्धप्रवेणी] अन्धे लोगों की श्रृहला या कतार अन्धवेणीति अन्धपवेणी दी. नि. अड्ड. 1.302: म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.298 - बधिर त्रि द्व० स० [ अन्धवधिर], अन्धा और बहरा मनुष्य पबाजेति... महाव. 115; 420; - बाल अज्ञानी एवं मूर्ख, प्रज्ञाविहीन, मोहग्रस्त सो अन्धबालो हिताहितं अजानन्तो परेसं... अट्टासि, पे. व. अट्ठ 4; अहो अन्धबाला एवरूपे ठाने इमं सिरिसम्पत्तिं नानुभवति, वि. व. अह. 53: मच्छरिनो हि अन्धवाला एवरूपेसु दानं ददमानेसु .. विय निरये निब्बतन्ति ध. प. अ. 1.300; अन्धवाले, त्वं पुष्येपि पापकम्मं कत्वा यक्खिनी जातासि जा. अड. 6.163; समणं गोतमं पटिच्च गब्भो मे लद्धोति अन्धबाले गाहापेत्वा दस्सेत्वा जा. अड्ड. 4.167; पुच्छे कतानं कम्मान, विपाको मध्ये मनन्ति... अकुसलकम्मान फलं उळारं हुत्वा उप्पज्जमान अन्धवालानं चित्तं मथयेय्य अभिभवेय्य पे. द. अ. 230 भाव पु. तत्पु, स. [ अन्धभाव], शा. अ. अन्धापन, ला॰ अ॰ अज्ञान, अविद्या, मिथ्यादृष्टि इति भगवा... पञ्ञाचक्खुवेकल्लतो अन्धभावं दस्सेत्वा इदानि तमत्थं .... उदा. अ. 278 कर त्रि.. [अन्धभावकर ]. अन्धा अथवा अज्ञानी कर देने वाला अन्धतमन्ति अन्धभावकर तमं बहलतम् अ. नि. अड. 3.179; दसमे अन्धकरणाति अन्धभावकरणा, स. नि. अट्ठ. 3.188; - करण नपुं. [ अन्धभावकरण] अंधा या अज्ञानी कर देना अन्धकारतिमिसाति चक्खुविञ्ञणुप्पत्तिनिवारणेन अन्धभावकरणं बहलतमं दी. नि. अट्ठ. 3.44; - भावकरणतिमिस नपुं०, कर्म. स. [अन्धभावकरणतमस], अंधा या अज्ञानी कर देने वाली अविद्या का अन्धकार - अन्धकारतिमिसाति चक्युविज्ञणुप्पत्तिनिवारणतो अन्धभावकरणतिमिसेन समन्नागता, दी. नि. अट्ठ. 2.23; भावकारक त्रि. [ अन्धभावकारक ], अन्धापन या अज्ञान उत्पन्न कर देने - ... - - www.kobatirth.org ... अन्ध - वाला तत्थ अन्धकारतिमिसायन्ति अन्धभावकारके तमे जा. अट्ठ. 3.384; भावलक्खण त्रि., ब. स. [ अन्धभावलक्षण], अन्धापन या अज्ञान के लक्षण वाला मोहो चित्तस्स अन्धभावलक्खणो अञ्ञाणलक्खणो वा. ध. स. अड्ड. 289 भूत त्रि. [अन्धभूत] अंधा हो चुका, अज्ञान में डूबा हुआ अन्यभूतो अयं लोको, तनुकेत्थ विपस्सति घ. प. 174; तत्थ अन्धभूतो अयं लोकोति अर्थ लोकियमहाजनो पञ्ञाचक्खुनो अभावेन अन्धभूतो, ध. प. अड. 2.100 एवं सङ्काभूतेसु अन्धभूते पुथुज्जने, ध. प. 59: अविज्जानिवुत्ता पोसा, अन्धभूता अचक्चुका. अ. नि. 1 (2). 83; - महल्लक त्रि, द्व० स०, अंधेपन से ग्रस्त वृद्ध व्यक्ति, अंधा और वृद्ध इमेस अन्धमहल्लकानं एतं कम्म ध. प. अड. 2.39, महिंस पु. कर्म. स. [ अन्धमहिष] अंधा भैंसा बने अन्धमहिसोव चरेप्य बहुको जनो, जा. अट्ठ. 3.326; एवं सन्ते वने अन्धमहिसो गोचरागोचरं सासहनिरासहुञ्च ठानं अजानन्तो चरति तदे. - मूग त्रि. द्व० स० [ अन्धमूक ], अंधा और गूंगा बहरा अन्धमूगं पब्बाजेन्ति महाव. 115; 420; मूगबधिर त्रि. इ. स. (अन्धमूकवधिर], अंधा, गूंगा और अन्धमूगबधिरं पब्बाजेन्ति, महाव. 115 420; वण्ण त्रि. ब. स. [अन्धवर्ण] अन्धे मनुष्य जैसे छद्मवेश वाला, अन्धे के स्वरूप वाला अन्धवण्णोव हुत्वान, राजानं उपसङ्गमि चरिया 377: (1.8.6): वन नपुं. व्य. सं., श्रावस्ती नगर के समीप के एक उपवन का नाम तेन खो भिक्खु सावत्धिया अन्धवने दिवाविहारगतो निपन्नो होति, पारा 44; अन्धवनेति एवं नामके वने म. नि. अड. (मू.फ.) 1 (2). 27; अथ खो आयस्मा पुण्णो मन्ताणिपुत्तो अन्धवनं अज्झोगाहेत्वा रुक्खमूले निसीदि. म. नि. 1.202: वेणि स्त्री, तत्पु, स. [अन्धवेणी], एक दूसरे को पकड़कर एक दूसरे के पीछे चल रहे अन्धों की कतार, अन्धों की पंक्ति अन्धवेणि परम्परसंसत्ता पुरिमोपि न परसति दी. नि. 1.217: अन्धवेणीति अन्धपवेणी, एकोअन्धो गण्हाति... अन्धा परिपाटिया घटिता अन्धवेणीति दुच्चति दी. नि. अट्ट. 1.302 वेणूपम त्रि. तत्पु. स. शा. अ. अन्धों की पंक्ति के समान, ला. अ. बिना परीक्षण के परम्परा का अनुसरण करने वाला अन्धवेणूपणं मध्ये तेविज्जानं ब्राह्मणानं भासितं दी. नि. 1.217 - वेणूपमता स्त्री, अन्धवेणूपम का भाव गतानुगतिकता, लकीर का फकीर होना, अन्धानुकरण करना.... अभावेन - For Private and Personal Use Only - - m 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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