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अनुबन्धन
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अनुबुज्झन
किसी के साथ बंध जाता है - अयं मं अगणेत्वा किन्नरि अनुबन्धति, जा. अट्ट, 2.192; ... कायिकम्पि चेतसिकम्पि दुक्खमनुबन्धतीति, ध. प. अट्ट, 1.15; - न्ति वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुबध्नन्ति], - भिक्खुनियो वुट्ठापितं पवत्तिनि वे वस्सानि नानु बन्धन्ति, पाचि. 447; अतिविय जेगुच्छबीभच्छदस्सना ते अनुबन्धन्ति, पे. व. अट्ठ. 48; - न्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व., पीछे लगा हुआ, साथ में लगा हुआ - तंआणमनुबन्धन्तो, जायते तदनन्तरं अभि. अव. 164; एळारं अनुबन्धन्तो, दक्खिणद्वारमागमि. म. वं. 25.68; - मानं वर्त. कृ., आत्मने. द्वि. वि., ए. व. - अन्वदेवाति तं अनुबन्धमानमेव, अ. नि. अट्ठ. 3.331; - धेय्य विधि०, प्र. पु.. ए. व. - या पन भिक्खुनी वुट्ठापितं पवत्तिनि द्वे वस्सानि नानुबन्धेय्य, पाचित्तियान्ति, पाचि. 4473; -धेय्यं विधि., उ. पु.. ए. व. - यंनूनाहं इमं भिक्खू पिडितो पिट्टितो अनुबन्धेय्यं महाव. 45; - न्धि' अद्य, प्र. पु., ए. व. - अथ खो उत्तरो माणवो सत्तमासानि भगवन्तं अनुबन्धि छायाव अनपायिनी, म. नि. 2.343; दारकेहि वनं गन्त्वा अनुबन्धि ससे बहू म. वं. 23.65; - न्धि अद्य.. म. पु., ए. व. - तत्थ अनुसरीति अनुबन्धि, जा. अट्ठ. 4.242; - न्धिसु अद्य, प्र. पु., ब. व. - ते पेसिता राजदूता, पिडितो अनुबन्धिसु. सु. नि. 414; - न्धिस्सति भवि., प्र. पु., ए. व. - इतो वा एत्तो वा पलायन्ते तुम्हे अनुबन्धिस्सतीति.... पे. व. अट्ठ. 92; -न्धिस्ससि म. पु., ए. व. - सचे मं त्वं अय्ये, वे वस्सानि अनुबन्धिस्ससि. ...... पाचि. 461; -धिस्सं उ. पु., ब. व. - सामिकं अनुबन्धिस्सं. सदा कासायवासिनी, जा. अट्ठ. 7.265; - न्धिस्साम उपरिवत् - आवुसो आनन्द, सत्था एककोव गतो, मयं अनुबन्धिस्सामा ति, उदा. अट्ठ. 202; - धितुं निमि. कृ. - न खो, आनन्द, अरहति सावको सत्थारं अनुबन्धितुं, म. नि. 3.157; - न्धित्वा पू. का. कृ. - सचाहं इध वसिरसामि, जातका में अनुबन्धित्वा पक्कोसिस्सन्तीति, ध. प. अट्ठ. 1.354; - न्धितब्ब त्रि., सं. कृ. - सो पुग्गलो अनापुच्छा पक्कमितब्बं, नानुबन्धितब्बो, म. नि. 1.152. अनुबन्धन नपुं.. [अनुबन्धन], लगाव, आसक्ति, प्रगाढ़ सम्बन्ध, प्रवृत्ति, मेल-जोल - महाजनेन अनुबन्धनदुक्खञ्चेव वनपरियोगाहनदुक्खञ्चत्र ..., जा. अट्ठ. 7.288; अत्थि च मे इदं सुत्तकं पट्टितो पट्टितो अनुबन्धान्ति, स. नि. 1(2), 206; स. उ. प. के रूप में गन्धानुबन्धन के अन्त. द्रष्ट, - क त्रि., लगावयुक्त, आसक्त, मेलजोल करने वाला -
अहो अम्हाकं अय्यो ति एवं लपनके अनुबन्धनके सस्नेहे करोति, पारा. अट्ठ. 2.69. अनुबन्धना स्त्री., क्रमबद्ध क्रम में उपन्यसन, सिलसिलेदार ढङ्ग से रखा जाना - गणना अनुबन्धना, फुसना ठपना सल्लक्खणा, पारा. अट्ठ. 2.21; विसुद्धि. 1.266;
अनुबन्धनाति अनुवहना, विसुद्धि. 1.266. अनुबल नपुं.. [अनुबल], अतिरिक्त शक्ति, सहायक बल -
ममानुबलं भविस्ससि, मि. प. 130. अनुबलप्पत्त त्रि., [अनुबलप्राप्त], वह, जिसे सेना की नई टुकड़ी का बल प्राप्त हो गया है - पच्छा अनुबलप्पत्तो दप्पुल्लो मलयं गतो, चू. वं. 48.98. अनुबलप्पदान नपुं.. तत्पु. स. [अनुबलप्रदान], पीछे से बल को दे देना, नैतिक या आत्मसंयम के बल का प्रदान - अनुवादो अनुवदना अनुल्लपना अनुभणना अनुसम्पवङ्कता
अब्भुस्सहनता अनुबलप्पदानं, चूळव. 196. अनुबलप्पदायक त्रि., [अनुबलप्रदायक], अनुबल या अतिरिक्त शक्ति को प्रदान करने वाला - ओसधानं वा अनुबलप्पदायिकाति कत्वा ओसधी ति .... पे. व. अट्ट. 60. अनुबुज्झति अनु + Vबुध का वर्तः, प्र. पु., ए. व. [अनुबोधति/अनुबोधते], जागता है, जानता है, समझता है, सचेत होता है, बाद में स्मरण करता है. संबोधि प्राप्त करता है - यो च उप्पतितं अत्थं न खिप्पमनुबुज्झति, जा. अट्ठ. 3.114, 234; 388; थेरी. अट्ठ. 117; यो पुब्बे कतकल्याणो. कतत्थो मनुबुज्झति, जा. अट्ठ. 3.342; तत्थ अन्वेतीति अन्वयो, जानाति, अनुबुज्झतीति अत्थो. म. नि. अट्ट. (मू.प.) 1(1).338; - न्ति वर्त, प्र. पु.. ब. व., समझते है, स्मरण करते है - अनुबुज्झन्तीति- बोज्झङ्गा, पटि. म. 292; - न्तु अनु., प्र. पु.. ए. व. [अनुबोधन्तु], जानें, समझें, प्रत्यक्ष करें - तत्थ अनुमअन्तूति अनुबुज्झन्तु, साधुकं सुत्वा पच्चक्खं करोन्तूति अत्थो, जा. अट्ठ. 5.318; - ज्झि अद्य, प्र. पु., ए. व., उसने जाना, बूझा, प्रत्यक्ष किया - सब्बं तं बोधिञाणेन बुज्झि अनुबुज्झि ..., महानि. 343; - ज्झिं अद्य०, उ. पु., ए. व., मैंने जाना या प्रत्यक्ष किया - सुखमनुबोधिन्ति एवं किलेससेनं जिनित्वा अहं एककोव झायन्तो सुखं अनुबुझिं सच्छिअकासिं, अ. नि. अट्ठ. 3.299; - बोधि अद्य., उ. पु.. ए. व., मैंने साक्षात्कार किया, बोधि ज्ञान में जाना - एकोहं झायं सुखमनुबोधि, अ. नि. 3(2).40. अनुबुज्झन नपुं.. अनु + Vबुध से व्यु., क्रि. ना. [अनुबोधन], ज्ञान, समझ, अन्तर्दृष्टि, अनुस्मरण, बोध -
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