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अनुबुद्ध
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अनुब्रूहित एकत्ते अनुबुज्झनट्ठो अभिञ्जय्यो, पटि. म. 17; एकत्ते अनुबोधेति अनु + Vबुध के प्रेर. का वर्त, प्र. पु., ए. व. अनुबुज्झनटुं बुज्झन्तीति बोज्झङ्गा, पटि. म. 297.
[अनुबोधयति], - अनुबोधेन्ति प्र. पु., ब. व. अनुबुद्ध' त्रि., अनु + Vबुध का भू. क. कृ. [अनुबुद्ध], क. [अनुबोधयन्ति], अनुबोध कराते हैं, ज्ञान कराते हैं - जान लिया गया, समझा हुआ - अनुबुद्धा इमे धम्मा, अनुबोधेन्तीति- बोज्झङ्गा, पटि. म. 292. गोतमेन यसस्सिना, दी. नि. 293; सचे मग्गं अनुबुद्ध, खेमं अनुब्बजति/अनुवजति अनु + Vवज का वर्त, प्र. पु., ए. अमतगामिनं, स. नि. 1(1).145; सुणन्तु धम्म विमलेनानुबुद्धं व. [अनुव्रजति], साथ-साथ या सहारे से चलता है, अनुगमन स. नि. 1(1).163; म. नि. 1.227; विमलेनानुबुद्धन्ति इमे करता है; - जामि वर्त., उ. पु., ए. व. [अनुव्रजामि]. सत्ता रागादिमलानं ... सम्मासम्बुद्धेन अनुबुद्ध चलता हूँ, अनुगमन करता हूँ - एवम्पहं कामपङ्के व्यसनो, चतुसच्चधम्म सुणन्तु ताव भगवाति याचति, स. नि. अट्ठ. न भिक्खुनो मग्गमनुब्बजामि, जा. अट्ठ. 4.357; मग्गन्ति 1.175; म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).81; ख. वह, जिसके द्वारा तुम्हाकं ओवादानुसासनीमग्गं नानुब्बजामि पब्बजितुं न जान लिया गया है या जिसे अनुबोध प्राप्त हो चुका है - सक्कोमि, जा. अट्ठ. 4.358; - जिस्साम भवि., उ. पु.. सचे त्वं एवं अनुबुद्धो, मा सावके उपनेसि, ... सावकानं ब. व. [अनुव्रजिष्याम], हम अनुसरण करेंगे, चलेंगे - धम्म देसेसि, म. नि. 1.414; ... अनुबुद्धोति सचे त्वं एवं ते तं अनुवत्तिस्सामाति ते मयम्पि तुम्हेयेव अनुवत्तिस्साम, अत्तनाव चत्तारि सच्चानि अनुबुद्धो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अनुपब्बजिस्सामाति अत्थो, “अनुवजिस्सामा तिपि पाठो, 1(2).308; अनुविदितो ति अनुबुद्धो वुच्चति, सु. नि. अट्ठ. तस्स अनुगच्छिस्सामाति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 2.234%; 2.140.
- जे विधि., प्र. पु., ए. व. [अनुव्रजेत्], अनुसरण करे, अनुबुद्ध' पु., [अनुबुद्ध], बुद्ध के अधीन रहने वाला भिक्षु चले - साहं कथं नानुवजे पजानन्ति, जा. अट्ठ. 4.439. शिष्य, वह, जिसने बुद्ध के ज्ञान-प्राप्ति के उपरान्त ज्ञान अनुब्बत त्रि., [अनुव्रत], निष्ठावान्, श्रद्धालु - ता स्त्री., पाया है, बुद्ध का ज्ञानी शिष्य - अनुबुद्धेन धम्मसेनापतिना निष्ठावती या साध्वी नारी, अनुकूल रहने वाली भार्या - सद्धि मन्तेतीति, जा. अट्ठ. 1.390; निब्बानं परमं वदन्ति यस्स भरिया तुल्यवया समग्गा, अनुब्बता धम्मकामा पजाता, ... पच्चेकबुद्धा च अनुबुद्धा चाति, इमे तयो बुद्धा निब्बानं जा. अट्ठ. 4.68; अनुब्बताति अनुवत्तिता, जा. अट्ठ. 4.70; तं ...., ध. प. अट्ठ. 2.136; अनुबुद्धपच्चेकबुद्धसुतबुद्धख्येसु वा चाहं नातिमामि, राम सीतावनुब्बता, जा. अट्ठ. 7.331. बुद्धेसु सेट्ठोति बुद्धसेट्ठो, खु. पा. अट्ठ. 143; स. उ. प. के अनुब्बिग्ग त्रि., उविग्ग का निषे., तत्पु. स. [अनुद्विग्न]. रूप में अननु, बुद्धानु, सानु के अन्त. द्रष्ट...
वह, जिसका मन उद्विग्न या बेचैन न हो, शान्त मन अनुबुद्धि स्त्री., [अनुबुद्धि], अनुमान, निष्कर्ष, तर्क- वाला, व्याकुलता-रहित - अरगतोपि... अभीतो अनुब्बिग्गो धम्मन्वयोति पच्चक्खञाणसङ्घातस्स धम्मस्स अनुनयो अनुमानं. अनुस्सकी ... मिगभूतेन चेतसा विहरामीति चूळव. 320; उदा. 90; अनुबुद्धीति अत्थो, म. नि. अट्ठ (म.प.) 2.251; अन्वयाति अच्छम्भितो अनुबिग्गो अतिरोचति सदेवकेति, मि. प. 308. अनुबुद्धियो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).280.
अनुब्बिलावितत्त/अनुप्पिलावितत्त नपुं.. उब्बिलावितत्त अनुबोध पु., [अनुबोध], ज्ञान, स्पष्ट अन्तर्दृष्टि, केवल स. का निषे. [बौ. सं. अनौदविल्यत्व], चित्त में दर्प या अहंभाव उ. प. के रूप में ही प्रयोग में प्राप्त, अननु. (अज्ञान), मग्गानु. न रहने की अवस्था, आनन्द भरी उत्तेजना के न रहने की (मार्ग का ज्ञान), सच्चानु. (सत्य का ज्ञान) के अन्त. द्रष्ट.. दशा - महन्ते इस्सरिये ... अनुप्पिलावितत्तं ततियं साध. अनुबोधन नपुं.. [अनुबोधन], ज्ञान कराना, जागरूक करना, जा. अट्ठ. 3.411. प्रत्यभिज्ञान की ओर ले जाना - एकत्ते अनुबोधनट्ठो अभिजेय्यो अनुबूहन नपुं.. [अनुबृहण], वृद्धि, सुदृढीकरण, पुष्टि - पटि. म. 17; अनुबोधनडेन बोज्झङ्गा, पटि. म. 292. .... सम्मापटिपत्तिया अनुबूहनं विसुद्धि. 1.61; 78; अपिस्सूति अनुबोधि स्त्री., [अनुबोधि], बोधिज्ञान, धर्मों के विषय में अनुबूहनत्थे निपातो, दी. नि. अट्ठ. 2.50; म. नि. अट्ठ. आन्तरिक ज्ञान; - पक्खिय त्रि., ब. स. [अनुबोधिपक्षीय], (मू.प.) 1(2).78. बोधिपक्षीय धर्म, बोधिज्ञान के अङ्ग - एकत्ते अनुबोधिपक्खियट्ठो अनुब्रूहित अनु + Vब्रूह का भू. क. कृ. [अनुवृहित], बढ़ा अभिज्ञय्यो, पटि. म. 17; अनबोधिपक्खियद्वेन बोज्झङ्गा, हुआ, सुदृढ़ीकृत, उगा हुआ, केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त पटि. म. 292.
द्रष्ट. उपेक्खानुब्रूहित के अन्त..
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