SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 276
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनुद्वंसेति अनुद्धंसेति अनु + √धंस के प्रेर० का वर्त., प्र. पु. ए. व. [ अनुध्वंसयते ], शा. अ. धूल से धूसरित कर देता है, मैला कर देता है, ला. अ. क. दूषित करता है, नीचे की ओर ले जाता है, दूर फेंक देता है यदा ते अनभिरति उप्पज्जति रागो चित्तं अनुद्धसेति, पारा 147; अनुद्धसेतीति कामरागो चित्तं धंसेति पधंसेति विक्खिपति चेव मिलापेति च, पारा, अट्ठ. 2.95; तस्स मातुगामं दिस्वा दुन्निवत्थं वा दुप्पारुतं वा रागो चित्तं अनुद्धसेति, म. नि. 2.134; स. नि. 1 (2).209, 246; अ. नि. 1 ( 2 ). 143 2 ( 1 ) 89; रागो चित्तं अनुद्धसेतीति रागो उप्पज्जमानोव समथविपस्सनाचित्तं धंसेति, दूरे खिपति, अ. नि. अट्ठ. 3.36 - सेय्य विधि., प्र. पु. ए. व. - रागो चित्तं अनुद्धसेय्य, म. नि. 3.41; अनुद्धसेय्याति सोसेय्य मिलापेय्य, म. नि. अट्ठ. (उप. प.) 3.36: - सेसि अद्य., प्र. पु. ए. व. - मा ते वातातपे चारितं अनुयुत्तस्स रजोसूकं वणमुखं अनुद्धसेसि, म. नि. 3.42; रागो चित्त अनुद्धसेसि, स० नि० 1 ( 1 ) . 215; - सेस्सति भवि., प्र. पु. ए. व. -- तस्स सुभनिमित्तस्स मनसिकारा रागो चित्तं अनुद्धसेस्सति, म. नि. 1.32; ख. आरोप लगाता है, अभियोग लगाता है आयस्मन्तं दब्बं मल्लपुत्तं अमूळिकाय सीलविपत्तिया अनुद्धंसेति, चूळव. 244; अनुद्धंसेति यो तस्स, तिस्सो आपत्तियो सियुं, उत्त. वि. 25 - न्ति वर्त., प्र० पु०, ब. व. - छब्बग्गिया भिक्खू भिक्खु अमूलकेन सङ्घादिसेसेन अनुद्धसेन्ति, पाचि. 197; अनुद्धसेन्तीति ते किर सयं आकिण्णदोसत्ता ... अमूलकेन सङ्घादिसेसेन चोदेन्ति, पाचि. अट्ठ. 135-36; - सेय्य विधि., प्र. पु. ए. व. - अनुद्ध सेय्याति चोदेति वा चोदापेति वा, पारा. 255. अनुद्धत त्रि, उद्धत का निषे. [अनुद्धत], शा. अ. वह, जो ऊपर की ओर उठा हुआ नहीं है, ला. अ. अहङ्कार-रहित, विनम्र, शान्त - तो पु०, प्र. वि., ए. व. - अक्कोधनो असन्तासी ... मन्तभाणी अनुद्धतो, सु. नि. 856; अनुद्ध उद्धच्चविरहितो, सु. नि. अट्ठ. 2.241 - तं नपुं. प्र. वि., ए. व. - उजुं अनुद्धतं अचपलमस्स भासित, जा. अट्ठ. 5.193; अविक्खित्तताय अनुद्धटं, पतिट्ठितताय अचपलं, जा. अ. 5.196 - ता स्त्री०, प्र. वि., ए. व. - निब्बानं नाधिगच्छामि, अकुसीता अनुद्धता, थेरीगा० 113; अनुद्धताति अहं सुविसुद्धसीला सुसमाहितचित्तताय अनुद्धता च हुवा थेरीगा, अदु॰ 129; न उद्धताति अनुद्धता, उद्धच्चरहिता वूपसन्तचित्ता, थेरीगा. अट्ठ. 244 - तिन्द्रिय त्रि., ब॰ स॰ [अनुद्धतेन्द्रिय], शान्त इन्द्रियों वाला - सन्तानि 249 अनुधम्मं इन्द्रियानि अस्साति सन्तिन्द्रियो, इद्वारम्मणादीसु रागादिवसेन अनुद्धतिन्द्रियोति वृत्तं होति, खु. पा. अट्ठ 196. अनुद्धटकट्ठ त्रि., ब० स० [अनुद्धृतकाष्ठ], वह, जिसने लकड़ियों या ईंधन का सञ्चय या भण्डारण नहीं किया है अभिन्नकट्टोसीति सो दानि अज्ज अनुद्धटकट्ठोसि, जा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अट्ठ 5. 192. अनुद्धरीत्र अनिवरी के स्थान पर कतिपय संस्करणों में प्राप्त अप, घमण्ड से मुक्त, अहङ्कार रहित - अनिरी अननुगिद्धो अनेजो सब्बधी समो, सु. नि. 958; पाठा. अनुद्धरी. अनुधम्म पु०, अनुलोम, अधिचित्त, अभिधम्म आदि के सादृश्य पर बनाया गया शब्द [ अनुधर्म] 1. गौण धर्म, सहायक धर्म, औपायिक धर्म, अनुलोम धर्म, लोकोत्तर निर्वाण-धर्म के साक्षात्कार में सहायक या अनुकूल चतुपारिसुद्धिसील एवं धुतों जैसे धर्म - धम्मेसु निच्चं अनुधम्मचारी, सु. नि. 69; अथ वा धम्मात नव लोकुत्तरधम्मा, तेसं धम्मानं अनुलोमो धम्मोति अनुधम्मो, विपस्सनायेतं अधिवचनं, सु. नि. अट्ठ. 1. 98; धम्मो नाम अरहत्तमग्गो, अनुधम्मो नाम हेट्ठिमा तयो मग्गा, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.280; अनुधम्मन्ति सीलविसुद्धिआदिपटिपदाधम्मं, उदा. अट्ठ. 77; धम्मस्स होत अनुधम्मचारी, ध. प. 20; अनुधम्मचारीति नवलोकुत्तरधम्मस्स अनुरूपं धम्मं पुब्बभागपटिपदासङ्घातं चतुपारिसुद्धिसीलधुतङ्गआसुभकम्मट्ठानादिभेदं चरन्तो..... ध ू प. अ. 1.92 2. समस्त अङ्गों एवं प्रत्यङ्गों सहित धर्म, समग्ररूप में धर्म (विशेष कर धम्मानुधम्म जैसे स. प. में) धम्मानुधम्मपटिपन्नस्स भिक्खुनो अयमनुधम्मो होति वेय्याकरणाय, इतिवु. 59; अयमनुधम्मो होतीति अयं अनुच्छविक सभावो पतिरूपसभावो होति... येन अनुधम्मेन तं धम्मानुधम्मं पटिपन्नोति .... इतिवु. अ. 236; अयं अनुधम्मोति अयं सभावो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.138; (उप. प.) 3.64; 3. उचित पद्धति, सुसङ्गत व्याख्यानप्रकार - धम्मानुधम्मप्पटिपन्नस्स, भिक्खवे, अयमनुधम्मो होति, यं रूपे निब्बिदाबहुलो विहरेय्य, स. नि. 2 (1).38; नवन्नं लोकुत्तरधम्मानं अनुलोमधम्मं पुब्बभागपटिपदं पटिपन्नस्स, अयमनुधम्मोति अयं अनुलोमधम्मो होति, स. नि. अ 2.236; इध सब्बञ्जतञ्ञाणं धम्मो नाम, महाजनस्स व्याकरणं अनुधम्मो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2. 139. अनुधम्मं अ, अव्ययी. स., क्रि. वि. [ अनुधर्म ], धर्म के अनुसार, धर्म की में अनुपुब्बं अनुधम्मं व्याकरोहि अनुरूपता - For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy