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अनाजानीय
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अनाथपिण्डिक
अनाजानीय त्रि., अजानीय का निषे. [अनाजानेय], ठीक से न जानने वाला, आज्ञा न मानने वाला, घटिया किस्म या नस्ल का - मयहि, भन्ते, पुब्बे अञतित्थिये परिब्बाजके अनाजानीयेव समाने आजानीयाति अमझिम्ह, म. नि. 2.33; अनाजानीयेति गिहिवोहारसमुच्छेदनस्स कारणं । अजाननके म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.32; - भोजन नपुं.. कर्म, स., घटिया किस्म के घोड़ों के लिये दिया गया भोजन - अनाजानीयभोजन भोजिम्ह, म. नि. 2.33; अनाजानीयभोजनन्ति कारणं अजानन्तेहि भजितब्बं भोजनं. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.32. अनाजीवभूत त्रि., आजीवभूत का निषे., तत्पु. स., जीविकासाधन के रूप में अग्राह्य, जीविकोपार्जन का निषिद्ध साधन या उपाय- अनाजीवभूतेन परिभोगेन, जा. अट्ठ. 5.469. अनाणत्त त्रि., आणत्त का निषे. [अनाज्ञप्त], आज्ञा न पाया हुआ, अननुमोदित - अनज्झिट्टो वाति थेरेहि धम्म भणाही ति अनाणत्तो अनायाचितो च, महानि. अट्ठ. 270; - त्त नपुं.. भाव., अयाचितत्त्व, अप्रार्थितत्व - तेहि पन अनाणत्तत्ता पाराजिक, पारा. अट्ट, 1.269, द्रष्ट. आगे. अनाणापित त्रि., आणापित का निषे., तत्पु. स. उपरिवत् - अनज्झोसितोति अनाणापितो, न इच्छितो ति एके, महानि. अट्ठ. 155. अनातापी त्रि., आतापी का निषे., तत्पु. स. [अनातापी], अनध्यवसायी, अनुद्योगी, हीनवीर्य, अनुत्साही, निर्वीर्य, प्रबल अभ्युत्साह से रहित - अनातापी ... अनोत्तप्पी अभब्बो सम्बोधाय, स. नि. 1(2).175; अनातापीति यं वीरियं किलेसे आतपति, तेन रहितो, स. नि. अट्ट. 2.146; अनातापी अनोत्तापी सततं समितं कुसीतो हीनवीरियो ति वुच्चति, अ. नि. 1(2).15; अनातापीति निब्बीरियो, अ. नि. अट्ठ. 2.251. अनातुर त्रि., आतुर का निषे. [अनातुर]. कष्टरहित, आतुरता रहित, व्यग्रतारहित, शान्त, स्वस्थ, अनुद्विग्न - सुसुखं वत जीवाम, आतुरेसु अनातुरा, ध. प. 198; किलेसातुरेसु मनुस्सेसु निकिलेसताय अनातुरा, ध. प. अट्ट. 2.148; विजानन्ति च ये धम्म, आतुरेसु अनातुरा, थेरगा. 276; - ता स्त्री॰, भाव. [अनातुरता], आरोग्य, स्वस्थता, निश्चिन्तता - तत्थ आरोग्य नाम सरीरस्स चेव चित्तस्स च अरोगभावो अनातुरता, जा. अट्ठ. 1.350. अनाथ त्रि., नाथ का निषे., ब. स. [अनाथ], नाथरहित, संरक्षणरहित, असहाय, दयनीय, अभागा, बेचारा - अपविद्धा
अनाथा ते, स. नि. 1(1).75; अनाथाति अपतिवा, स. नि. अट्ठ. 1.104; तस्मिञ्च म ते विधवा अनाथा होन्ति, पे. व. अट्ठ. 55; - थागमन नपुं.. तत्पु. स. [अनाथागमन], अनाथ की भांति आगमन - वे पुत्ते चस्स अनाथागमनेन आगते दिस्वा गन्तवा राजूनं आचिक्खि, जा. अट्ठ. 7.273; - कालकिरिया स्त्री., ष. तत्पु. [अनाथकालक्रिया], अनाथ की मृत्यु, निस्सहाय का मरण, अनाथ की भांति मरण - अनाथसालाय अनाथकालकिरियं कत्वा निपन्नो, म. नि. अट्ट (मू.प.) 1(2).253; - भाव पु.. [अनाथभाव], असहायता का भाव, दैन्य, असहाय स्थिति, दीनता - करुणा, परदुक्खासहनरसा, ... दुक्खाभिभूतान अनाथभावदस्सनपदट्ठाना, ध. स. अट्ट, 237; - मनुस्स पु., [अनाथमनुष्य], असहाय मनुष्य, दीन-दरिद्र मनुष्य - अनाथसालायं निपन्ने अनाथमनुस्से दिस्वा, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).276; - मरण नपुं.. कर्म. स. [अनाथमरण], दुःखद मृत्यु, दुर्भाग्यपूर्ण मरण, (प्रायः मरति के साथ प्रयुक्त) - परेसं हत्थे मरणतो अरज्ञ अनाथमरणमेव वरतरं जा. अट्ठ. 2.158; - मान त्रि., अपने को दीन-दरिद्र मानने वाला - अनाथमानो उपगायति नच्चति, जा. अट्ठ. 5.15; अनाथमानोति निरवस्सयो अनाथो विय, जा. अट्ठ. 5.17; - वास पु.. अनाथवास], अनाथों की तरह निवास, असहाय जीवन, दरिद्र जीवन, अकिञ्चन की भांति जीवनवृत्ति - अनाथवासं वसिम्ह, पारा. अट्ठ. 1.58; - सरीर नपुं.. [अनाथशरीर], ऐसा मृत शरीर, जिसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं हो, लावारिश मुर्दा - अनाथसरीरानि पटिजग्गन्ता विचरन्ति, महाव. अट्ट, 237; - साला स्त्री., तत्पु. स. [अनाथशाला], निराश्रित जनों के लिये विश्रामगृह, दरिद्रों का विश्रामस्थल - ... अनाथसालायं निपन्ने अनाथमनुस्से दिस्वा, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).276%; कपालहत्थो ... तस्मियेव नगरे अनाथसालायं वसति, पे. व. अट्ठ. 4. अनाथपिण्डिक पु.. व्य. सं. [बौ. सं. अनाथपिण्डद], क. भगवान् बुद्ध के शिष्य तथा श्रावस्ती नगर के निवासी एक प्रसिद्ध धनी व्यापारी सुदत्त का उपनाम, संभवतः अनाथों या दीनदरिद्रों को उदारतापूर्वक दान देने के कारण यह उपनाम प्राप्त हुआ - सुदत्तो अनाथपिण्डको, अभि. प. 437; दायकानं यदिदं सुदत्तो गहपति अनाथपिण्डिको, अ. नि. 1(1).36; दायको दानपति हुत्वा तेनेव गुणेन पत्थटनामधेय्यो अनाथपिण्डिको नाम अहोसि, अ. नि. अट्ठ. 1.285; निच्चकालं
ना
नाथरहित,
1(1).36; दायका
घाट
1285 निच्चकालं
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