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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनादर 211 अनादान अनाथानं पिण्ड अदासि, तेन अनाथपिण्डिकोति सङ्घयं गतो, खु. पा. अट्ठ. 90; ख. पिता का नाम सुमनसेट्ठी, ज्येष्ठभ्राता का नाम सुभूतिथेर - सावत्थियं सुमनसेट्ठिस्स गेहे निब्बत्ति, सुभूतीतिस्स नाम अंकसु, अ. नि. अट्ठ. 1.173; ग. महाउपासिका विशाखा के साथ इनका उल्लेख, कभी-कभी सुभूति को महानाथपिण्डिक तथा सुदत्त को चुळअनाथपिण्डिक कहा गया है, जा. अट्ट, 1.152; ध. प. अट्ठ. 2.81; घ. पुञलखणदेवी का नाम इनकी अग्रमहिषी के रूप में प्राप्त, जा. अट्ठ. 2.337; ङ. राजगृह के एक श्रेष्ठी की बहन के साथ इनके विवाह का उल्लेख प्राप्त होता है, चूळव. 282; च. पुत्र का नाम काल, ध. प. अट्ठ. 2.108; छ. तीन पुत्रियों के नाम महासुभद्दा, चूलसुभद्दा एवं सुमनादेवी, ध. प. अट्ठ. 1.88: ज. बहू का नाम सुजाता, नतिनी का नाम खेमा, जा. अट्ठ. 2.287; झ. उनके मित्रों के रूप में उग्गसेट्ठी एवं काळकण्णि के नाम प्राप्त, ध. प. अट्ठ. 2.265 जा. अट्ठ. 1.348; ञ. पुण्णा एवं रोहिणी के नाम उनकी दासियों के रूप में उल्लिखित, थेरीगा. अट्ठ. 223; जा. अट्ठ. 1.242; ट. श्रावस्ती में भगवान बुद्ध को जेतवनविहार का दान तथा इस विहार में अनेक बुद्धोपदेशों के उल्लेख सम्पूर्ण त्रिपिटक के विभिन्न भागों में प्राप्त, जा. अट्ठ. 1.102; ठ. उसके रुग्ण होने का उल्लेख निकायों में मिलता है - अनाथपिण्डिको गहपति आबाधिको होति दुक्खितो बाळहगिलानो, म. नि. 3.309; ड. उनकी मृत्यु तथा तदुपरान्त देवपुत्र के रूप में तषित स्वर्ग में उनकी उत्पत्ति के उल्लेख भी प्राप्त - अथ खो अनाथपिण्डिको गहपति, ... कालमकासि तुसितं कायं उपपज्जि, म. नि. 3.313; - पुत्तकालवत्थु नपुं., ध. प. अट्ठ. में आगत एक कथानक का शीर्षक, जिसमें अनाथपिण्डिक के पुत्र काल का कथानक वर्णित है, ध. प. अट्ठ. 2.108-110; - वग्ग पु., स. नि. के एक वर्ग का शीर्षक, स. नि. 1(1)62-68; - सेट्ठिवत्थु नपुं., ध. प. अट्ठ. के एक कथानक का शीर्षक, जिसमें अनाथपिण्डिक से सम्बद्ध एक वृत्तान्त वर्णित है; ध. प. अट्ट. 2.7-9; - पिण्डिकोवादसुत्त म. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, जिसमें अनाथपिण्डिक के महाप्रयाण के काल में बुद्ध-प्रवेदित उपदेश का वर्णन मिलता है, म. नि. 3.309315. अनादर' पु., आदर का निषे., तत्पु. स. [अनादर]. 1. असम्मान, अपमान, उपेक्षा, तिरस्कार - अवमानं तिरोक्कारो परिभवोप्यनादरो, पराभवोप्यवा , अभि. प. 172:2. प्रयोग नियम के अनुसार अनादर में छट्ठी तथा सप्त. वि. होती हैं -- अनादरे च, क. व्या. 307; छट्ठी चानादरे, मो. व्या. 2.37; तस्स पस्सन्तस्सेवाति अनादरे सामिवचनं तस्मिं पस्सन्तेयेवाति अत्थो, सारत्थ. टी. 1.124; अनादरे हि इदं सामिवचनं, उदा. अट्ठ. 310. अनादर त्रि., ब. स. [अनादर], आदर-रहित, सम्मान का भाव न रखने वाला, अन्यों के प्रति सम्मान प्रकट न करने वाला; असम्मानित - उक्खित्तं भिक्खं ... अनादरं अप्पटिकारं अकतसहायं तमनुवत्तेय्य पाचि. 293; दुस्सीललुद्दा फरुसा अनादरा, सु. नि. 250; अनादराति इदानि न करिस्साम, विरमिस्साम एवरूपा ति एवं आदरविरहिता, सु. नि. 1.265; यतो च होति पापिच्छो अहिरीको अनादरो, इतिवु. 26; - ता स्त्री., भाव. [अनादरता], असम्मानभाव, तिरस्कारभाव, तिरस्क्रिया - सहधम्मिके वुच्चमाने ... विष्पटिकूलग्गाहिता ..... अनादरियं अनादरता अगारवता ... अयं वुच्चति दोवचस्सता, ध. स. 1332; अनादरस्स भावो अनादरियं, इतरं तस्सेव वेवचनं, अनादियनाकारो वा अनादरता, ध. स. अट्ठ. 415; - भाव पु.. [अनादरभाव], उपरिवत् - अनादरभावो अनादरियं विभ. अट्ठ. 451. अनादरिय नपुं., अनादर से निष्पन्न [अनादर्य], अनादर का भाव, असम्मानभाव, असावधानी - अनादरभावो अनादरिय वि. भ. अट्ठ. 451; अनादरियं नाम द्वे अनादरियानि, पाचि. 153; सो अनादरियं पटिच्च करोति येव, पाचि. 153; ध. स. 1332; अनादरियेन वा अजाननेन वा, मि. प. 248; - रिक त्रि., अनादरिय से व्यु. [अनादर्यक]. उपरिवत् - पापमित्तसंसग्गेन पन ... अनादरिको हुत्वा .... पे. व. अट्ठ. 6, पाठा. अनादरियको; - कथा स्त्री., विन. वि. के एक खण्डविशेष का शीर्षक, 1604-1609; - ता स्त्री॰, भाव., अनादरभाव, असम्मानभाव, तिरस्कारभाव - सहधम्मिके वुच्चमाने ... अनादरियं अनादरियता ... अयं वच्चति दोवचस्सता, पु. प. 126, पाठा. अनादरियता.. अनादान त्रि., आदान का निषे., ब. स., इच्छा न करनेवाला, वीततृष्ण, स्कन्धों के प्रति रागमुक्त, आत्मग्राह से मुक्त मनोदशा वाला, कामनारहित या निष्काम - वीततण्हो अनादानो, निरुत्तिपदकोविदो, ध, प. 352; अनादानोति खन्धादीस निग्गहणो, ध. प. अट्ट. 2.321; वीततण्हो अनादानो, सतो भिक्खु परिब्बजे, जा. अट्ठ. 4.316; पञ्चन्नं खन्धानं अहं ममन्ति गहितत्ता सादानेस तस्स गहणस्स अभावेन अनादानं, ध. प. अट्ठ. 2.386. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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