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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अड्डड्ड 99 अण्ड अड्डड्ड त्रि., [अर्धचतुर्थ], साढ़े तीन - चतुत्थोड्डेन अड्डड्डो, अभि. प. 477; अड्वेन चतुत्थो अवतो, क. व्या. 389; अडवानि इत्थिसहस्सानि परिचारिका दिजकञआयो, जा. अट्ठ. 5.412. अड्डम्मत्त त्रि., [अर्धोन्मत्त], आधा पागल, अर्धविक्षित - अङ्गम्मत्तो उदीरेसि, यो सेय्या मासित्थियो, जा. अट्ठ. 5.361; अडम्मत्तोति अङ्कम्मत्तको मञ्ज हुत्वा, जा. अट्ठ.5.362. अड्डल्लिखित त्रि., [अर्थोल्लिखित]. आधे अधूरे रूप में अलंकृत या विन्यस्त - सा उदकबिन्दूहि पग्घरन्तेहेव अडल्लिखितेहि केसेहि वेगेन गन्त्वा , ध. प. अट्ठ. 1.67; उदा. अट्ठ. 136%; पाठा. उपड्डल्लिखित. अड्डेकादस त्रि., [अर्धेकादश], साढ़े दस - अट्ठारससु धातूसु अड्डेकादसधातुयो रूपपरिग्गहो, अड्डट्ठमकधातुयो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.74. अड्डोचितक त्रि., [अर्धविचितक]. वह, जिसमें से आधे पुष्प चुने गये हैं - तस्स तं दिवसं मालाकारा अड्वोचितके पुष्फगच्छे दत्वा अगमंसु, जा. अट्ठ. 1.127. अणति ।अण का वर्तः, प्र. पु., ए. व., (केवल ब्राह्मण शब्द के निर्वचन के सन्दर्भ में प्रयुक्त) स्वाध्याय करता है - ब्रह्म अणतीति ब्राह्मणो, मन्ते सज्झायतीति अत्थो, इदमेव हि जातिब्राह्मणानं निरुत्तिवचनं, दी. नि. अट्ट, 1.197; म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).117. अणिम स्त्री., [अणिमन्], सूक्ष्मता, अणुता, अणु जैसा छोटा, योगी की आठ सिद्धियों में से एक ऐसी दैवी-शक्ति-जिसके बल से मनुष्य 'अणु' जैसा छोटा बन सकता है; द्रष्ट. अण्वादित्विनो मो. व्या. 4.62; - लघिमादिक त्रि., अणिमा एवं लघिमादि दैवी शक्तियों वाला, लघिमादि दैवी शक्तियों से सम्पन्न व्यक्ति - अणिमालघिमादिकं वा लोकियसम्मतं सब्बाकारपरिपूरं अस्थि खु. पा. अट्ठ. 88; विसुद्धि. 1.203. अणु त्रि., [अणु]. 1. सूक्ष्म, लघु, नन्हा, परमाणु से सम्बद्ध - परित्तं सुखुमं खुद थोकं अप्पं किसं तनु चुल्लं मत्तेत्थियं लेसं लवाणु हि कणो पुमे, अभि. प. 704-705; अणुं वा थूलं वा, यं तुम्हे नाधिवासेय्याथा ति, म. नि. 1.182; मि. प. 252; 2. पु., नपुं.. क. मापने की एक इकाई, छत्तीस परमाणुओं के बराबर की माप वाली एक इकाई - छत्तिस परमाणूनमेको'णु, अभि. प. 194; एतेसु पन छत्तिस परमाणवो एकस्स अणुनो पमाण, विभ. अट्ठ. 325; ख. वैशेषिक-दर्शन में मान्य एक पदार्थ-विशेष - तिथियान अणुपकतिपुरिसादिकस्स वा पापनापि अविज्जमान पत्तियेव, पु. प. अट्ठ. 26; - क त्रि., [अणुक], अत्यन्त सूक्ष्म आकार वाला, सूक्ष्मतम, सूक्ष्मातिसूक्ष्म - दीघा वा ये व महन्ता, मज्झिमा रस्सका अणुकथूला, सु. नि. 1463B अणुकं वा महन्तं वा, तं सब्बं पूरितं मया, अप. पृ. 2.201; - धम्म पु., निन्दित धार्मिक आचरण, तुच्छ एवं गर्हित धार्मिक प्रक्रिया, जुगुप्सित आचरण - एवमेसो अणुधम्मो, पोराणो वि गरहितो, सु. नि. 315; एवमेसो अणधम्मोति एवं एसो लामकधम्मो हीनधम्मो अधम्मोति वुत्तं होति, सु. नि. अट्ठ. 2.53; - परिमितकाय त्रि., [अणुपरिमितकाय], अणु के समान अत्यन्त सूक्ष्म शरीर वाला - यथा वा पन, महाराज, आतुरो किसो अणुपरिमितकायो सालककिमि हत्थिनागं ... दिस्वा गिलितुं परिकड्ढय्य, मि. प. 286; - प्पमाण त्रि., ब. स. [अणुप्रमाण], अत्यन्त सूक्ष्म आकार वाला - बुद्धानं पन अणुप्पमाणम्पि सङ्घारगतं आणेन अदिट्ठ .... नत्थि, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).57; - बीज त्रि., ब. स., अत्यन्त सूक्ष्म बीजों से युक्त - इमे खो ते, भिक्खवे, महारुक्खा अणुबीजा महाकाया ..., स. नि. 3(1).117; - भेद पु.. [अणुभेद], अणुओं के रूप में विभाजन, अत्यन्त सूक्ष्म खण्डों में विभाजन - चुण्णितो अणुभेदेन, कोटिसतसहस्ससो, अप. 1.18; - मज्झिमा स्त्री., ब. स., क्षीण कटि वाली, पतली कमर वाली - सुजाता भुजलठ्ठीव, वेदीव तनुमज्झिमा, जा. अट्ठ. 6.287; - मत्त त्रि., ब. स. [अणुमात्र], अत्यन्त सूक्ष्म आकार वाला, अत्यन्त सूक्ष्म, सबसे कम, तनिक भी - अणुमत्तोपि पुञ्जन, अत्थो महं न विज्जति, सु. नि. 433; याव हि वनथो न छिज्जति, अणुमत्तोपि नरस्स नारिसु, ध, प. 284; अणुमत्तेसु वज्जेसु भयदस्सावी, विभ. 274; - सहगत त्रि., [अणुसहगत], अत्यन्त सूक्ष्म, सूक्ष्मातिसूक्ष्म - अणुसहगतो कामरागो पहीनो ... अणुसहगतो ब्यापादो पहीनो, कथा. 78; अणुसहगतस्स अनागामिमग्गेन, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).299. अण्ड नपुं॰ [अण्ड], 1. पक्षिबीज, अण्डा, डिम्ब - अण्डं तु पक्खिबीजेथ, अभि. प. 627; भूत्वा अण्डञ्च पोतञ्च ..., जा. अट्ठ. 3.236; सेय्यथापि, ब्राह्मण, कुक्कुटिया अण्डानि अट्ठ वा दस वा द्वादस वा, पारा. 4; 2. पु., अण्डकोष - कोसे खगादिवीजे ण्डं, अभि. प. 1092; सो गच्छन्तोपि तेव अण्डे खन्धे आरोपेत्वा गच्छति, पारा. 142; स. उ. प. में कुम्भ., चम्म., फल., मोर., वात. के अन्त. द्रष्ट.; - क 1. नपुं, पक्षियों, मधुमक्खियों आदि का अण्डा - एतेसं अण्डकानि चेव छापके च वरं वरं खादितुं वट्टती ति, जा. अट्ठ. 3.2353; For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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