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(1) नस्ल विज्ञान : भारत में विविध प्रजातियां
समाज के कुछ लोगों के रूपरंग, वेशभूषा, रहन सहन, भाव विचार और जीवन विषयक दृष्टिकोण में कुछ अनिवार्य रूप से एकता पाई जाती है। एक नस्ल के लोगों का दूसरी नस्ल के लोगों को अलग करना मुश्किल काम है। मूल नस्लों की पहचान भाषा और शरीर की गठन को देखकर की जाती है।'
भाषाविज्ञान के आधार पर मनुष्य की पहचान सरल कार्य है, किन्तु रूपरंग और शरीर के ढाँचे को देखकर मनुष्य के मूल खानदान का पता लगाना उतना आसान नहीं है, क्योंकि जलवायु के प्रभाव और विवाहादि के द्वारा रक्त के मिश्रण के कारण इस क्षेत्र में बड़ी बड़ी उलझनें पैदा हो जाती है। फिर भी जनविज्ञान (Anthropology) ने जो कसौटियाँ बनाई है, उन पर आदमी की नस्ल की पहचान, बहुत दूर तक सही सही कर ली जाती है।'
नस्ल की पहचान-रंग, खोपड़ी की लम्बाई, चौड़ाई, नाक की ऊँचाई, चौड़ाई, खड़ा या चिपटा होना, आदमी का कद, डील-डौल, मुँह या जबड़े का बड़ा या न बड़ा होना आदि से हो सकती है।
दिनकर के अनुसार जनविज्ञान ने संसार की सभी जातियों को मुख्यत: तीन नस्लों में बाँट रखा है। पहली नस्ल के लोग, गोरे लोगों की है, जिन्हें हम काकेशियन कहते हैं, दूसरी नस्ल के लोग जिनका रंग पीला होता है और जो मंगोल जाति के हैं तथा तीसरी नस्ल उन लोगों की है, जिनका रंग काला है और जो इथोपियन परिवार के हैं। भारतीय जनता में इन तीन रंगों के प्रतिनिधि मौजूद हैं और रंगों की दृष्टि से भारतीय मानवता विश्व मानवताका अद्भुत प्रतीक मानी जा सकती है।
दूसरे मत से भारत में चार प्रकार के लोग मिलते हैं।'
1. एक तरह के लोग वे हैं, जिनका कद छोटा, रंग काला, नाक चौड़ी और बाल धुंघराले होते हैं । ये आदिवासी हैं।
2. एक दूसरी तरह के लोग हैं, जिनका कद छोटा, रंग काला, मस्तक लम्बा, सिर के बाल घने और नाक खड़ी और चौड़ी होती है। ये द्रविड़ जाति के लोग हैं।
___ 3. तीसरी जाति के लोगों का कद लम्बा, वर्ण गेहुआँ या गोरा, दाढ़ी मूंछ घनी, मस्तक लम्बा तथा नाक पतली और नुकीली होती है। ये आर्य जाति के लोग हैं।
4. एक चौथे प्रकार के लोग बर्मा, असम, भूटान और नेपाल तथा उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तरी बंगाल और काश्मीर के उत्तरी किनारे पर पाये जाते हैं। इनका मस्तक चौड़ा, रंग
1. रामधारी सिंह दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, पृ. 29 2. वही, पृ. 29 3. वही, पृ. 29 4. वही, पृ. 29 5. वही, पृ. 29-30
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