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121 श्री रामलाल जी महाराज - संवत् 1870 में आपका विहार ब्यावर में हुआ। मारवाड़ में आपका विहार 9 बार हुआ। 1950 संवत् में आपका समाधिमरण हुआ।
मुनि श्री फकीरचंद जी महाराज - आपका जन्म सूरत में संवत् 1916 जेठ सुदी 15 को हुआ। विवाह होते हुए भी आप वैरागी थे। आपका झरिया (बंगाल) में चार्तुमास सन् 1936 में हुआ। आपका समाधिमरण सं 1996 जेठ सुदी 15 को हुआ।
स्वामीदास जी महाराज और उनका सम्प्रदाय - आप जीवराज महाराज के चौथे पाट पर आचार्य रूप में विराजे । स्वामी फतहलाल जीस्वामी छगनलाल और स्वामी कन्हैयालाल जी आदि आपके सम्प्रदाय में विद्वान साधु थे।
अमरसिंह जी महाराज - आपका जन्म दिल्ली में संवत् 1719 में हुआ। मुनि लालचंद जी महाराज ने आपको दीक्षा दी। वि.स. 1761 में आपने आचार्य पद प्राप्त किया। आप समर्थ विद्वान और उदार प्रवचनकार थे। औरंगजेब का पुत्र बहादुरशाह और जोधपुर का दीवान खींवसिंह जी भण्डारी आपके शिष्य थे। आपका मारवाड़ में बहुत प्रभाव था। आपका स्वर्गवास वि.स. 1812 में हुआ। आपके पश्चात् तुलसीदास जी महाराज, पूज्य सुजानमलजी और पूज्य जीतमल जी आदि प्रतिभाशाली विद्वान हुए।
पूज्य जीतमल जी महाराज - आपका जन्म रामपुरा में सं 1826 में हुआ। संवत् 1834 में सुजानमल जी महाराज ने आपको दीक्षा दी। आप विद्वान और युक्तिवादी विचारक थे। संवत् 1992 में आपका स्वर्गवास हुआ तब ऐसा लगा मानो विज्ञान का आलोक अस्त हो गया। आपकी शिष्य परम्परा में पू. ज्ञानमलजी, पूज्य पूनमचंद जी, पू. जेठमल जी और पूज्य पूनमचंद जी हुए।
जेठमलजी महाराज - आपका जन्म सादड़ी में संवत् 1914 को हुआ। आपकी दीक्षा संवत् 1931 में हुई। आप तपस्वी, ज्ञानी और ध्यानीथे। आपकी प्रतिष्ठा सिद्ध मुनि के रूप में हुई। संवत् 1979 में यह ज्ञान का प्रदीप बुझ गया।
मुनि ताराचंद जी महाराज - आपकी जन्मभूमि (बंबोरा) थी। आपका गृहस्थ नाम हजारीमल था। आपका स्वर्गवास जयपुर में हुआ।
पूज्यशीतलदास जी महाराज का सम्प्रदाय - आपने आगरा शहर में सं 1763 ई में चैत्र कृष्णा 2 को बालचंद जी महाराज की सेवा में दीक्षा ली। आप अग्रवालवंशीय महेश जी के सुपुत्र थे। आपका जन्म वि.स. 1747 में हुआ। साहित्य शिक्षण में आप बेजोड़ थे। आपका समाधिमरण वि.स. 1836 को पौष सुद 12 को हुआ।
तपस्वी वेणीचंद जी- आपका जन्म संवत् 1998 को हुआ। आपने पन्नालाल जी महाराज की सेवा में संवत् 1920 की असाढ, सुदी 5 को दीक्षा ग्रहण की। आपका समाधिमरण
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