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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 120 www.kobatirth.org 7. बोटाद में मुनि श्री माणकचंद जी महाराज । 8. आठकोटी मोटी पक्ष में श्री छोटेलालजी महाराज । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 9. नृसिंहदास जी के मुनि श्री मोतीलालजी महाराज । 10. मनोहरदास जी के सम्प्रदाय में पूज्य श्री पृथ्वीचंद जी महाराज । 11. पूज्य श्री रामरतनजी के सम्प्रदाय में श्री सौभाग्यमल जी महाराज । 12. ज्ञानचंदजी के सम्प्रदाय में श्री समरथमलजी महाराज । (5) हरजी ऋषिजी महाराज लोकाशाह के पश्चात् जिन पांच आचार्यों ने वैचारिक क्रांति को आगे बढ़ाया, उनके सम्प्रदाय लगातार जन जन को उपदेशामृत प्रदान करते रहे हैं । (1) जीवराजजी महाराज का सम्प्रदाय आचार्य धनजी - बीकानेर में आपने ओसवालों के आद्य गोत्र तोतेड़ों की गवाड़ में प्रवचन दिया। बीकानेर में महारानी ने आपके प्रवेश की अगवानी की। आचार्य विष्णु और आचार्य मन जी स्वामी - धन जी के पश्चात् आचार्य विष्णु आचार्य बने । आचार्य विष्णु के पश्चात् मनजी स्वामी आचार्य हुए। साधुमार्गी सम्प्रदाय में आपकी आचार निष्ठा प्रतिष्ठित थी । विद्वान थे । आचार्य नाथूरामजी स्वामी - खण्डेलवाल जैन परिवार में जन्में नाथूरामजी स्वामी अपने बीसों शिष्यों को सूत्र कंठस्थ कराए। आपने आचार्य कृष्ण जैसे विद्वानों को दीक्षित किया, जो पंजाब में रामचन्द्र के नाम से विख्यात हुए । आचार्य लालचंद जी महाराज - इन्होंने आगमों को लोकवाणी राजस्थानी भाषा पद्यबद्ध किया । आचार्य छजमल जी - दर्शनशास्त्र के पण्डित छजमल जी ने सामान्य जनों को अनेकान्त के सिद्धान्त का बोध कराया । आचार्य राजारामजी - मिथ्यादर्शन के कट्टर शत्रु आचार्य राजाराम जी के अनुशासन काल में आत्मनिष्ठा दृढ़ हुई । आचार्य उत्तमचंद जी - आप और आपके गुरुभ्राता रामचंद्र षटशास्त्रों के पारंगत आचार्य भज्जूलालजी - पल्लीवाल कुलभूषण भज्जूलालजी अनेक भाषाओं के विद्वान थे । बहुश्रुत विद्वान होने के कारण अलवर नरेश ने आपको राज्य पण्डित की उपाधि से विभूषित किया । 'शांतिप्रकाश' ग्रंथ आपकी विद्वत्ता का प्रमाण है । पन्नालालजी - आप आचार्य भग्गूस्वामी के शिष्य थे। आपका समाधिकरण संवत् 1952 में ज्येष्ठ शुक्ल 3 को हुआ । For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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