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संवत् 1995 को पौष सुदी 14 को हुआ। आप अभय के ज्वलंत प्रतिमान थे।
तपस्वी कजोड़ीमल जी - आजन्म ब्रह्मचारी कजोड़ीमल जी का जन्म बेगूशहर में से 1939 को माघ शुक्ला 15 को हुआ।
मुनि छोगलाल जी- प्रभावशाली प्रवचनकार मुनि छोगलालजी ने वि.स. 1958 में 9 वर्ष की आयु में दीक्षा ली। आपने जीव हिंसा के विरुद्ध प्रबल आन्दोलन चलाया।।
नानकरामजी महाराज का सम्प्रदाय - नानकराम जी के पंचम पट्ट पर नानकरामजी विराजे । आपकी विद्वत्ता और आचारपरायणता विशिष्ट थी।
पूज्य रायचंद जी महाराज - आप नाथूराम जी महाराज के प्रख्यात् शिष्य थे। आप समर्थ योगीथे। आपके शिष्य कविराज नंदलाल जी महाराज साधुमार्गी समाज के बहुश्रुत पण्डित थे। आपके बाद जीवराज जी महाराज का सम्प्रदाय दो भागों में बँट गया।
कविराज नंदलाल जी - कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में जन्में नन्दलालजी ने अनेक ग्रंथों की रचना की। आपने 'रामायण', 'ज्ञान प्रकाश', 'स्कमणी रास' आदि ग्रंथों की रचना की। आप होशियारपुर में संवत् 1907 में स्वर्गवासी हुए। आपके तीन प्रभावशाली शिष्य हुए 1. मुनि किशनचंदजी, 2. मुनि रूपचंद जी 3. मुनि जौकीराम जी। मुनि किशनचंद जी ज्योतिष शास्त्र के पण्डित थे, मुनि रूपचंद जी वचनसिंद्ध तपस्वी मुनि थे। किशनचंद जी की परम्परा में बिहारीलालजी, महेशचंद जी, वृषभानु जी, मुनि शाहीलाल जी आदि हुए । जौकीलाल जी के शिष्य अग्रवाल वंशीय चेतरामजी दीक्षित हुए। चेतरामजी के शिष्य घासीलाल जी और घासीलाल जी के शिष्य जीवनरामजी, गोविन्द रामजी और कुन्दनलाल जी महाराज हुए।
__ रूपचंद जी महाराज - रूपचंद जी महाराज का जन्म लुधियाना में संवत् 1868 माघ सुद 3 में हुआ।आपकी दीक्षा संवत् 1894 को फाल्गुन सुदी 3 को हुई। मुनि सुशीलकुमार पर आपके त्याग और ज्ञान का प्रभाव पड़ा।
गोविन्दराम जी - आपका जन्म देहरादून में संवत् 1998 को हुआ और आप प्रतिभाशाली पद्यकार थे। चरित्र और स्वाध्याय आपके आभूषण थे।
मुनि कुन्दनलाल जी महाराज-आपसंवत् 1957 के कार्तिक सुदी 2 को भटिण्डा में घासीलाल महाराज की सेवा में दीक्षा ली। आप तपस्वी और वचनसिंद्ध सन्तपुरुष थे। संवत् 2008 में अहमदनगर में आपका समाधिमरण हुआ।
पूज्य जीवणराम जी - समस्त पंजाब में आपका वर्चस्व था। प्रसिद्ध विजयानन्दसूरि जी ने आत्माराम जी महाराज के नाम से आपके ही पास दीक्षा ली थी।
श्री चंदजी महाराज - ज्योतिष के आप समर्थ और शास्त्र निष्णात पण्डित थे।
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