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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये चूर्णिस्तु-जत्थ मासकप करिति तत्थ उपहिं उपायंति, तओं निग्गएहि दो मासे परिहरित्ता गेण्हियवं आगंतव्यं वा । इति मासकल्पानन्तरोपधिग्रहणविचारः ॥ प्रावरणविचारः -- पाणदयानिमित्त मसगाइणं जयणा भवउ त्ति पाउणइ सीए वि पाउणइ । इति प्रावरणविचार:।। आयरियस्स आयरियं पाहुणयमागय अणभुद्वितस्स, आयरियस्स वसभं पाहुणयमागयं अणभुट्टितस्स पक । भिक्खु अणभुद्वितस्स खुड्डयं भिन्नमासो ।। जहि नत्थि सारणा वारणा य पडिचोयणा य गच्छंमि । सो उ अगच्छो गच्छो संजमकामीहि मोत्तवो ॥ ॥ असढेण समाइण्णं जं कत्थइ कारणे असावज । न निवारियमन्नेहि य बहुमणुमयमेयमाइण्ण ॥ ४४९९ ॥ थुइमंगलंमि गुरुणा उच्चारिए सेसगा थुई बेति । पम्हट्रमेरसारण विणओ य न फेडिओ एवं ॥ ४५०१॥ उप्पन्नकारणमि किइकम्म जो न कुज दुविहं पि । पासस्थाईयाणं उग्घाया तस्स चत्तारि ॥ ४५४०॥ अणवट्टिया तहि हुँति उग्गहा रायमाइणो चउरो। पासाणंमि व लेहा जा तित्थ ताव सक्कस्स ॥ ४७७८ ॥ देविंदराय-उग्गह गहवइ सागारिए य साहम्मी । पंचविहमि परुविए नायव्वं जं जहिं कमइ ॥ ४७८४॥ अक्खेत्तं केरिसं? इत्याह भाष्यकार: - इंदक्खीलमणुग्गहो जत्थ य राया अहिं व पंच इमे । सेट्रि अमञ्च पुरोहिय सेणावह सत्थवाहो य ॥ ४८५३॥ आयरिओ अप्पबिइओ [अप्पबिइओ] गणावच्छेइओ य अप्पतइओ गच्छो एरिसा तिन्नि गच्छा, एते पण्णरस उउबद्धे जहणणेणं अत्थ संतरंति । पोसासु सत्तउ गच्छो आयरिओ अप्पतइओ गणावच्छेइओ अप्पचउत्थो एस सत्तउ गच्छो । For Private And Personal Use Only
SR No.020506
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages181
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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