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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir 器米諾諾米米米米諾諾諾諾諾諾器器米諾諾諾諾 कोयं गंडिकानुयोगः सुरिराक्ष गंडिकानुयोगेन अथवा गडिकानुयोगेणमिति वाक्यालंकारे कुलकरगंडिका दूह सर्व वाप्य तरालवत्तिभ्यो बह: प्रतिनियताकार्थाधिकार रूपा गंडिका स्ततोवइवचनं कुलकराणांगंडिका कुलकरगंडिकायांसकुलकराणां विमलवाहनादौनां पभिवजन्मनामादीनि * सप्रपंचमुपवयं ते एवं तीर्थक्करगण्डिकादिषुष्वप्यभिधानवशतोभावनीयं जावचित्तंतरगंडिकाउत्ति चित्रायनेकार्था अंतरे ऋषभाजिततीर्थ करापांतरालेगं सेतंमूलपढमाणुओगे सेकिंतंगंडियाणुयोगे गंडियाणुनोगे कुलगरगंडियायो तित्थयरगडियायो चक्वट्टिगंडियानो दसारगंडियानो बलदेवगंडियायो वासुदेवगंडियाचो गणधरगंडियाश्रो भद्दवाहुगंडियाओ तोकम्मगंडियाश्रो हरिवंसगंडियात्रो अोसप्पणिगंडियानो उसमिसिगंडियाओ चित्तरगंडियाओ अमरनरतिरियनिरगद्गमण नेविमल वाहनादिक तेहनी गंडिका पूर्वजन्मादिक संबंध जिहां कहिये तेकुलगर गंडिका इमज सर्वत्र कड़िवो जिहां लगे चित्वान्तर गंडिका आवे तिहां लगे ति तीर्थकरना संबंध च० चक्रवर्तिना संबंध द० दसार समुद्र विजयादिक दसार तेहना संबंध व० बलदेववलभद्रादिक तेहना संबंध वा. बासदेवउत्तम कुले उपना ग० गणधरना संबंध 10 हरिवं सयादव वंशनी उत्पत्ति उ० उत्सर्पिणी तोचड तोसमय तेहना अ० अवसर्पिणातेपडतोकाल # तेहना भाव चि. चित्रान्तर गंडिका चित्र तेयादिनाथ अने अजित नाथने यांतरे निम पादौ स्वरना पाठ असंख्याता मोक्ष पङता तथा सर्वार्थसिद्ध * पहुंता तेहने सर्वभावनानी कहिणहारी चित्रांतर गंडिका कहिये प० देवता 1 तथा न. मनुष्यर ति तिर्यंचनी तथा नि. नारकोनी ग० एचिर्ड' नीगतिना जीव तिहां ग. जाईयो पाबयो वि० विवध प्रकारे अनेक जाति८४ लाखमध्ये 50 जन्ममरणकरीने प्रावर्तन करीने संसार मांचि फिरवो RWHEEEEEEEENEWHEREE NIRA For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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