________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kaasagarsur Gyarmandir * नंदी सू० रायवरसिरोयो पव्यज्जाबो तवायउग्गा केवलमामुप्पयानो तित्थपत्तणाणिय मौसागणागणहरा अज्जापवत्तिणी . श्रोसंघस्स चउविहस्स जंपरिमाणं जिणमणापज्जवघोहिनाणी सम्पत्तसुयनाणिणोय वाइयणुत्तरगईय उत्तरविउ विणायमुणिणो जत्तियासिहा सिद्धिपहोजहदेसियो जंचिरंच कालं पाअोवगयाय जहिंजत्तियाई भत्ताईकेत्ता अंतगडेमुणिवरूत्तमे तमरोषविष्णमुक्क मुक्खमुहमणुत्तरंचपत्त एवमन्ने य एवमाईभावा मूलपढमाणुयोगकहिया गमणकरे तेजाइयो पा० पाठयो च० चयो ज जे मनुष्यभवे जन्म तथाजन्माभिषेक या राज्याभिमेक राजानीय प्रधान:सि बीलखमी तेजिममोगये प० थिविकाते दिख्यानीपालपी जे प्रवज्यादिक्षा विध त तपना भेद के० केवल ग्यांननो उपजावो ति तीर्थ ने चतुर्विध संघ नेहनो 50 प्रवर्ती वणोसौ. शिष्यनाग० केतकाटोला ग० केतलागणधर भार्यासाधवी न० प्रवर्तनी तेवडीसाधवी तेहनामामसं संघचतुर्विध साधुसाधवी भाषकत्राविका तेहनो जेवो प० परिमाण भाचार विचार: जि केवली संख्यामा मनपर्यवनानी उ० अवधिग्यानी स० समकित सु श्रुतचान तेहनीय तिहांले उपना तेवा. वादी पण अनुतर विमानगति जे उपना तेहनीगतिनो कहवो उ० उत्तरवे किव मु० मुनिश्वरसाधु ज. जेतमा जतीनिहां मकलकर्मक्षय करी- मोक्षगयापा० पादोगमन संथारोकरियानो अधिकारजे जेहयती तिहार जेणेर ठामेते तलाभ० भातछे दोनेच अंतसतसंसारनो चंतकीधोमु मुनिवर उत्तमत• अज्ञान रुपर० परजको उध० समुहवि० मुकाणा मुमोक्षसुख सासताम प्रधानते विषे 50 पहुंचा ए से अथ किस्य तेगंडिकानुयोग रहा एक वक्तव्यतार्थाधिकार तेहने अनुयोग सरीषा वाक्य पद्दति तेगंडिक कहिये तेहनु अनुयोग पर्थ कहियानी विधिने गंडिकानुयोग कुछ कुलगर ते NEMNIWANWINEERINEKHWINEEM ** भाषा For Prvate and Personal Use Only