________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailasagarsur Gyanmandir मंदी भा०, तीर्थनाकरणहार स्थापणचार ते तीर्थकरसिहा ते ऋषभादिकवत सर्वजायवा 3 अति जे सामान्य केवली छता गोतमादिकनी परिसिहा ते तीर्थकर सिहा स० स्वयमेव ने पोतेज जातिस्मरणादिक ज्ञानकरी ने तत्वना जाण थयाते स्वयं बुद्दसिहा कहीये इहां स्वयंयुद्ध भने प्रत्येकवुनु फेर कहेछे बोधि 1 उपधि 2 श्रुत 3 लिंग 4 एहयो विशेष हुइ ते स्वयं बुद्धनावे भेदतीर्थकर 1 अतीर्थकर जे अतीर्थकर स्वयं बुद्ध ने वाहना निमित्त देखे ते बैराग्यनो विणदी8 युझे / प्रत्ये कयुद्ध करकंडू भादिकनी परिवाहिरली वस्तु दोहे बुझे ते स्वयं बुद्धने उपधिना 12 उपगरण राथिवा पत्त। पत्ताबंधो 2 पायट्ठ वसंच पायकेसरिया 4 पडलाइ यरवत्ताया गोच्छउ पायनिजोगो सतिणे वपकाग१० रयहर११चेव चोति मुरुपती 12 उपगरणरापीवार ते * प्रत्यक बहिने एककोज विचरखडडू ते प्रत्ये क नुविना उपधिना भेद जघन्य उत्कृष्टा र ते जघन्य र उपगरण ते रजो हरयो / मुख्पती 2 उत्कष्टार उपगरणजे तीचादि 3 वर्जीने विशेष उपगरण नेवा ते सातपाबाना 7 रजो हरयो / मुच्पती र सर्वउपगरण स्वयं गुहना कहा ते १२वे * स्वयं वुडने पूर्व मनभगवानो निश्चयनहीजे श्रुतभगीयो हुइ तथा न हुई / प्रत्य कवि पूर्व निश्चय श्रुतमण्यो जादू ते जघन्य 11 मंग उत्तष्टा किंचि * ऊणा 10 पूर्वभण्या सांभरे लिंग० स्वयं बुद्धने देवता पणि लिंगदेवे तथा आचार्यनी समीपे पणिलिंगपडिजे भने जे सूत्र भण्य हाई समाये # तो एकाको विचये अने जे सत्र मी मरादिकनी समों इन हवे तो गच्छमारिनसे गुरा कन्हे रहे प्रत्येक वुहिने तो निश्चय देवता इज भेष चापे एकांकी रहे अग्रे सूत्र लिखते 1 / 250 जे एक काई एक एषभादिक वस्तु देखीने अनित्यभावनादिक कारण तेथवे प्रतीती तुझ्या तेहने प्रत्ये क बहसीहाक हीये. जे आचार्यादिके प्रतियोधिया छता जे सिहा ते बुडबोधितसिहा इ० स्त्रीपणा स्त्रीनो चिङ्ग हुइ ते स्त्रीवेदनसीम भावस्त्रीने सीम द्रव्य भवेदौ सौझ तथा पुरुषे स्त्रीनो वेस कोधो जडू जे स्त्रीलिंग सिवा -पु. भावपुरुष सोझो / मानसक जन्मतो सोझ नही पुरुषकृत मपुंसक 諾器器點點點點點點點端需辦諾諾諾罪諾瞞柴器雜 在地撒謊器就業就業奖影器黑米黑米米米米器第跳跳 For Private and Personal Use Only