________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी भा० ते चउथो फरसना द्वार केतला कालताई निरंतरसीमे ते कालबारमितासेमांतरोपडे ने अंतरहार भाव छे ते उदए उपसमोपेर खईए३ खमोव * समीए 4 परिणामीए 5 सन्निवाईए की भावमांहि सिद्धकुणे भावे होतए भावहार सिहसिहानु अल्पवहाव ने किहाँ र कुण 2 थोड़ा घणा के ते अल्पबद्धत्ववार 8 ए पूर्वोक्त आठ हार मध्ये सिद्धांना भेदजाणवाजे अणंत उपना ते प्रथम एक जसमवनासिहविचारिया अथवा ते एक जबारे * दस वीस प्रमुख उपनापछे पातक पडिओ१ अनेक तेदुसमय आरंभी अनंत समयना सिहा तेहने उपनाधणो काल थयो छे अथवा ऊपराऊ परि अांतरा रहित सिंह वया ते परंपरमिवर नेहना 15 हार कहे के क्षेत्र ते उई अधोर तिरको लोक 3 ते खेत्रहार सुसमादिकारा ते कालद्वार - * 2 नरकादिक 4 गति ते गतिद्वार: स्त्रीयादि 3 वेदतेवेद हार४ तीर्थद्वार 5 सलिंगियादि३ ते लिंगद्दार ई सामाइकादिक ते चारित्र द्वार 7 प्रत्येकबुद्धि * यादि 3 तेव्हहार - मति ज्ञानादि 5 जानते ज्ञानद्वार / अवगाहना द्वार 1. अनंता कालना पद्यांदि ते उत्कष्टोद्वार 11 विरहकाल तेयंतरद्वार 12 निरंतर सिहते चनु समय हार 12 एके समय सिवानी संख्या ते गणहार 14 अल्पबढ़त्वहार 15 ए 15 हार कह्या एणे पनरे द्वारे करी अनंतर सितकहीये हिवे छता पदनीपरुपणानो प्रथममलहार के ते उपरिक्षेबादिक 15 द्वार उतारवा भणी कहे थे ते प्रथम क्षेत्रद्वार कहे के ते क्षेत्र यकी अढाई होपे अपहरवा थी 3 लोके सोझे ते समुद्रादिक सबले शेषपिणदीसिद्ध अधो दिसि उई ते उची तिरछी ते इहां पंडग बनते ऊई दिसि भीची दिसि भवनादिक मांहि पिण हुइ पिण तिहां अन्य केवलीज हुई पिण तीर्थकरन हुदू अण अपहरिया थी चिई समुद्रादिक मगली दिसे नही काल तेउत्सर्पिणीने उतरते बीजे चारे ते बीन 3 चउथे पांचमे ए बिई अरिजा मोक्ष हु ते किमते इमजे ऋषभदेव स्वामी बीजा पाराना विणावरस सादा आठ मास थाकता मोक्ष गया अने चोथा पाराना विण वरस साढा आठ मास थाकता इंता सिवारे श्री बईमानम्खामो मोक्ष गया तेजे तीर्थ 器装諾米諾諾諾諾諾器諾器端端端张张諾諾器洲器器 諾諾諾諾器端器端諾諾諾諾諾諾諾器需業點器諾羅器 For Private and Personal Use Only