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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 加諾諾諾跳業選 *दी टी. शिरसि कृत्वा गच्छतदेतन्मध्यगतं इयमन भावना यथा तेन मस्तकस्थ न सर्वासदिक्षु पश्यति एवं येनाधिन्नानेन सर्वासु दिन पश्यति तन्मध्यगतमिति 148 पूत्यभूता च व्याख्या सम्यगनववध्यमानः शिष्यः प्रश्न करोति मतगयन्स मागयत्यादि मतगतस्य मध्यगतस्यच परस्परं क प्रतिविशेषः प्रतिनिक्तो कोष : सूरिराह पुरओ इत्यादि पुरतोऽतगतेनाऽवधिज्ञानेन पुरतएवाग्रत एवसंख्य यानि एकादीनि शीर्षप्रहेचिकापर्यतानि असंख्य यानिवा योजनानि एतावत्म योजनेष्ववगाढ द्रव्यमित्यर्थः जानाति पश्यति ज्ञानं विशेष ग्रहणात्मकं दर्शनं सामान्यग्रहणात्मकं तदेवं पुरतोऽतगतस्य शेषावधिज्ञानेभ्यो भेद: अंतगयंसेतंयंतगयं सेकिंतमझगयंमागयंसेजहानामएकेड्पुरिसे उक्तवाचुडलियंवाअलायंबामणिवापईवंजोईवा मत्थएकाउं ससुव्वहमाणे गच्छिज्जा सेतंमज्भगयं अंतगयस्म मज्भगयस्म कोपविसेसोपुरओ अंतगएवं ओहिना गणंपुरोचव संखिज्जाणिवा असंखिज्जाणिवा जोयणाईजाणइपासइपासयो अंतगएणं श्रोहिनाणणं पासो वापाखतीनो मतगत अवधि ग्यान कह्यो। सेते अथ हिये कि केहयो म. मध्यगत जीवना प्रदेसा थकी अवधि ग्यान उपजे से तेज यथा दृष्टांते EN ना. नाम इति संभावना के कोइएक पु पुरुष ल रीवी चौराग अथवा चपलो छहडे बलतो हाथमाहिम उबाडो अथवा पदीयो वा अथवा म. मणिनामारत्नविसेष जो. सरावला माहि बलती भग्नि म दीवा आदिकमाशिला काईक जोति मग्नक उपरि स. चढाये चढावीने गजाद से तिम एहमध्यगत अवधिग्यान करी जाणे अंतर्गत ते पाखतीना जीवना प्रदेशाथकी अवधि ग्यान उपने म मध्यगतनाजीवना प्रदेसा थकी अवध भाषा * ग्यान उपजे ते बेडमध्ये को दीवादीकनो केहयो उ. विशेष फेर कृणगो हे गोतम पुजे भागलिथी ऊपजे मं० अंतगत स०अवधि ग्याननो धयी अब 需諾諾諾器器器諾米諾諾諾諾器需諾諾器器器提諾諾器 ENTERTAINMENE 端器端器兼義譯器業躍業 सूब For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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