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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंदी टी. 来洲洲米點北諾諾諾諾諾器紫紫鼎鼎鼎鼎张業業 प्रतिवचनोपसंहारदर्शने तदेतत् पुरतोऽतगतं इयमत्र भावना यवा स पुरुष उल्कादिभिः पुरतएव पश्यतिनान्यत्र तदवधिज्ञानं पुरतोऽतगतमभिधीयते एवं मार्ग ता अतगतं पाहतोऽतगतखूब भावनोयं न वर अएक माणे अण् कट्टे मात्ति हस्तगतं दण्डामादिश्यतं वा अनुपश्चात्क अन् अनुत्कर्षन पृष्ठतः पश्चात् कृत्वा समाकर्षन् इत्यर्थः बथा पासो परिक? माणेति पार्श्व तो दक्षिणपार्श्व तोऽयथा वामपा तो वहा इयोरपि पार्श योहल्कादिकं हस्तस्थितं दण्डाग्रादिस्थितं वा परिकर्षन्पाल भागे कृत्वा कमान समाकर्षनित्यर्थः से किं तं मश्गमित्यादि कि गदकिई नवरं महाके ___ का श्रणकड माणे 3 गछिज्जा सेतमग्गो अंतगयं सेकिंतंपासो अतगयं पासयो अंतगयं सेजहानामांकन पुरिसे उक्त वा चुडलियंवा अलायंका मणिवा पईबंबा जोईवा पासबो काउंपरिकड्ड माग३ गच्छिज्जा से तंपासो / से. ते यथा दृष्टांत ना. नाम इति संभावना के कोई एक पुरुषजात उ. दीवो चीराक चु' वलतो पुलो छेडो ग्रहने अ• उवाडो वा० अथवा 50 दीवो अथवा म. मणिरत्नविशेष जो सरावला मांदिवलती अग्नि म. पाचला करीने पाछपाछी अ. ठेलता ठेलतो पाच भोग जाइते जिमछे पाछला थी वस्तु देखे पणि अनेरीदिशने न देखे तिम पाछला जीवना प्रदेथा थी देखे से तेनो पाचलो अंतगत अवधिम्यान करीने से ते अथ हिये कि. कुणकेहवो पा पाखतीने अतगत अवधि से ने यथा दृष्टांते ना. नाम इति संभावना के कोई एक पु• पुरुषउ. दीवा अथवाच. पुलो केहडे पलतो हाथ माहिग्रहीन प. उवाडो वा अथवा प० दौवो वा. अथवा म. मणिरत्न विशेष अथवा जो सरावलामांहिवलती अग्नि पा. पावती का करीने ते बेड पामे करीप. ठलतो ठेलतो वेड पाये लेने गजाते वेड पासे जाणे देखे तिमचिपसवाडांनी जीवना प्रदेशा थकी देणे जाणे से रोएच For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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