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अवनी खंड बने मिलते हैं। इनमें बड़ा आदि वाराह का मन्दिर राणा कुम्भा का और छोटा कुम्भस्वामी का सन्दिर मीराँबाई का का जाता है । सम्भवतः इसी के आधार पर कर्नल टाड ने मीराँ को राणा कुम्भा की रानी स्थिर किया। टाड ही के आधार परवाजेटियर में भी मीराँबाई रावदूदा जी की पुत्री और राणा कम्भा की रानी लिखी गई है; और हिन्दी साहित्य के प्रथम इतिहास लेखक शिवसिंह सेंगर तथा मोरों के प्रथम जीवन चरित लेखक कार्तिकप्रसाद खत्री ने भी मीराँबाई को राणा कुम्भा की रानी माना था। इस भ्रांति के निराकरण होने के बहुत दिनों बाद तक लोगों को इस बात पर विश्वास बना रहा कृष्णलाल मोहनलाल झवेरी ने १६१४ ई० तक में ( यद्यपि १८८८ में मुं० देवीपसाद ने इसभ्रांति का निराकरण कर दिया था) मारों को राणा कुम्भा की रानी माना है और उसका समय स०५४६० से १५२७ तक स्थिर किया है: और१९३३ तक में बंगाल के प्रसिद्ध सिनेमा-निर्देशक देवकी बोसने अपनी फिल्म कृति
1. Kumbha married a daughter of the Rat or of Merta, the fitrst of the clans of Marwar. Mira Bai was the most celebrated princess of her time for beauty and romantic piety.
Annals and Aniiquities of Rajsthan. 2. Rao Jodha, the eldest son of Ranmal, born in 1415 succeeded in 1444 and died in 1488. He was a man of great vigour and capacity, and a very successful ruler...... .. His eldest son was Satal, who succeeded him, the sixth was Bika, the founder of Bikaner state and the fourth was D.da who established himself at Merta (whence the Mertiya sect of Rathor takes its name ), gave his daushter Mira Bai in marriage to Rana Kumbha and was himself the randfather of the heroic Jaimal etc.
(Jodhpur Gazetteer) ३ मीराबाई का विवाह सं० १४७० के करीब राना मोकलदेव के पुत्र राना कुम्भकर्ण चित्तौर नरेश के साथ हुआ था। स० १४१५ में ऊदाराना के पुत्र ने रानी को मार डाला। [शिवसिंह सरोज प० ४७५] . ४ 'माइलस्टोन्स इन गुजराती लिटरेचर' के पू० ३१-३५ में कृष्णलाल मोहनलाल झवेरी ने मीरा को राणा कुम्मा की रानी बनाने के दो कारण दिये हैं। १ का के नाम से प्रसिद्ध पुछ पद्यों में मीराबाई का उल्लेख मिलता है। यथा :
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