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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बुन्देलखण्डका संक्षिप्त इतिहास | ज्येष्ठ पुत्र सलीम अपने पितासे खिन्न थे। उन्हीं के कहनेपर महाराज रामसाहके भाई बीरसिंह देवने अकबरके परमप्रिय मित्र अबुल फ़ज़्लको ग्वालियर के निकट मार डाला । इस समाचारको पाकर अकबरको अत्यन्त दुःख और क्रोध हुआ । एक सेना भेजी गयी और ओरछा ले लिया गया; पर बीरसिंह बच गये । अब संवत् १६६२ (सन् १६०५ ) में अकबरकी मृत्यु होनेपर सलीमने जहाँगीर नामले भारतका साम्राज्य प्राप्त किया तो उसने रामसाहको हटाकर बीरसिंह देवको श्रोरल्छाका राजा बनाया। इन्होंने इस राज्यका शासन २२ वर्षतक किया । यह समय ओरछा के लिये श्रत्यन्त वैभवका था। बीरसिंह देव बड़े ही वीर, उत्साही और बुद्धिमान थे । उन्होंने राज्य के विस्तारको बहुत बढ़ाया और इनके बनवाये हुए बहुत से प्रासाद, गढ़ और मन्दिर इनकी कीर्तिकी सूचना अभीतक दे रहे हैं। बीरसिंह देवकी मृत्यु संवत् १६८४ (सन् १६२७ ) - मॅ हुई। ये दतियाकी जागीर ( जो श्राजकलका दतिया राज्य है ) अपने पुत्र भगवान रावको दे गये थे और ओरछेकी गद्दी - पर इनके पुत्र जुझारसिंह बैठे । इसी समय के लगभग बँदेलोंके सहायक और संरक्षक सम्राट् जहाँगीर की मृत्यु हुई और उसके पुत्र शाहजहाँ सिंहासनारूढ़ हुए । जहाँगीर ने बीरसिंह देवके साथ सौजन्य दिखलाया उससे श्राश्चर्यमें आकर प्रसिद्ध ऐतिहासिक अब्दुल हमीद अपने पादशाहनामा में लिखता है कि उस समय वृद्धावस्था होनेके कारण कदाचित् उसकी बुद्धि क्षीण हो गया थी । For Private And Personal
SR No.020463
Book TitleMaharaj Chatrasal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1917
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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