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कीचकवधपर्व
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गया था ( विराट० १४ । ४ - १०; विराट० १८ । ७)। यह रानी सुदेष्णाका भाई था ( विराट० १५ । ७; विराट० २१ । २९ ) । यह 'सूतपुत्र' कहा जाता था ( विराट० १४ । ४७ ) । कालेय नामक दैत्योंमें सबसे बड़ा जो 'बाण' था, वही कीचकरूपमें उत्पन्न हुआ था । इसके छोटे भाई भी कालेय ही थे ( विराट० १६ अध्यायमें पृष्ठ १८९३ ) । इसके छोटे भाई एक सौ पाँच थे, जो उपकीचक कहलाते थे । वे सभी भीमसेनके द्वारा मारे गये थे ( विराट० २३ । ३२-३३ ) । सूतराज केकयकी बड़ी रानी मालवीके गर्भसे कीचक और इसके भाई उत्पन्न हुए ( विराट० १६ अध्यायमें दा० पाठ, पृष्ठ १८९३ ) | इसका सुदेष्णासे द्रौपदीका परिचय पूछना ( विराट० १४ । ७ - २३ ) । द्रौपदीसे प्रेमयाचना करना ( विराट० १४ । ४०-४५ ) । द्रौपदीको प्राप्त करने के लिये इसका सुदेष्णासे अनुरोध (विराट० १५ । २ ) । द्रौपदीका केश पकड़ना और उसे लात मारना ( विराट० १६ । १० ) । संकेतानुसार द्रौपदीसे मिलनेके लिये इसका रातके समय नृत्यशाला में जाना ( विराट० २२ । ४० ) । वहीं रातहीमें भीमसेनके साथ युद्ध और उनके द्वारा इसका वध ( विराट० २२ ।
५२-८२ ) । इसने अपने जीवनमें त्रिगर्तराज सुशर्माको बारंबार हराया था ( विराट० २५ और ३० अध्याय ) । कीचकवधपर्व - विराटपर्वका एक अवान्तर पर्व ( अध्याय १४ से २४ तक )।
कीटक - क्रोधवशसंज्ञक दैत्योंके अंशसे उत्पन्न एक राजा ( आदि० ६७ । ६० ) ।
कीर्ति - दक्ष प्रजापतिकी एक पुत्री और धर्मराजकी स्त्री ( आदि० ६६ । १४ ) । कीर्तिकी अधिष्ठात्री देवी (वन ० ३७ । ३३ ) ।
कीर्तिधर्मा - युधिष्ठिरका सम्बन्धी और सहायक क्षत्रिय वीर ( द्रोण० १५८ । ३९ ) ।
कीर्तिमान - ( १ ) नारायणके मानसिक पुत्र विरजाके आत्मज, जो पाँचों विषयोंसे ऊपर उठकर मोक्षमार्गका अवलम्बन करने लगे ( शान्ति ० ५९ । ९० ) । (२) एक विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३१ ) । कुकुण - एक कश्यपवंशी नाग ( उद्योग ० १०३ । १० ) । कुकुर - (१) यदुवंशी 'कुकुर' नामक नरेशसे प्रचलित हुई वंशपरम्परा । इस वंशके क्षत्रिय भगवान् श्रीकृष्णकी आज्ञा के अनुसार चलकर शत्रुओंको बंदी बनाते और मित्रोंको आनन्दित करते थे ( उद्योग० २८ । ११ ) । कुकुर और अन्धकवंशके लोग मौसल - युद्ध में परस्पर
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कुण्डधार
जूझते हुए एक-दूसरेपर मतवाले होकर टूटते थे (मौसल ० ३ । ४२ ) । ( २ ) एक कश्यपवंशी नाग ( उद्योग० १०३ । १० ) । (३) एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ६० ) ।
कुक्कुटिका - स्कन्दकी अनुचरी मातृका ( भीम० ४६ । १५)।
कुक्कुर - ( १ ) एक धर्मज्ञ, जितेन्द्रिय ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभा में विराजते थे ( सभा० ४ । १८ ) । ( २ ) एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ४२ ) । कुक्षि - ( १ ) एक सुप्रसिद्ध दानवराज, जो मेरु गिरिके समान तेजस्वी और विशाल 'पार्वतीय' नामक राजा हुआ ( आदि० ६७ । ५६ ) | ( २ ) रैभ्यका पुत्र, जो शुद्ध, सुव्रत और धर्मात्मा दिक्पाल था (शान्ति० ३४८ । ४२-४३ )।
कुञ्जर - ( १ ) एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ । १५) । सौवीर देशका एक राजकुमार, जो जयद्रथका अनुगामी था ( वन० २६५ । १० ) । अर्जुनद्वारा इसका वध ( वन० २७१ । २७ )। कुञ्जल-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५ । ७६ )। कुटर - एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ । १५ ) । बलरामजीके नागरूपमें समुद्र की ओर पधारते समय उनके स्वागतमें यह भी आया था ( मौसल ० ४ । १५) । कुठार- धृतराष्ट्रकुल उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजयके सर्पसत्र में जल मरा था (आदि० ५७ । १५ ) । कुणिगर्ग - एक महायशस्वी और शक्तिशाली ऋषि, जिनकी कन्या व्याह न करके तपस्या में संलग्न हो वृद्ध हो गयी और अन्तमें अपनी तपस्याका उपधा भाग देकर उसने एक ऋषिके साथ अपना विवाह-संस्कार सम्पन्न किया ( शल्य० ५२ । ३ ) ।
कुणिन्द्र - एक द्विज-मुख्य ( ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय नरेश ), जिन्होंने राजसूय यज्ञमें युधिष्ठिरको दिव्य शङ्खकी भेंट दी थी ( सभा० ५१ । ७ के बाद दाक्षिणात्य पाठ 1 कुण्ड - ' कुण्ड' नामवाले एक विद्वान् ब्राह्मण ऋषि, जो जनमेजयके सर्पसत्र के सदस्य हुए थे (आदि० ५३ । ८ ) । कुण्डज ( कुण्डभेदि ) - धृतराष्ट्रका पुत्र ( आदि० ६७ ।
१०५ ) । भीमसेनद्वारा ' कुण्डभेदि' नामसे इसका वध ( भीष्म० ९६ । २६ ) ।
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कुण्डधार - ( १ ) धृतराष्ट्रका एक पुत्र, भीमसेनद्वारा इसका वध, इसका दूसरा नाम कुण्डोदर था ( भीष्म० ८८ | २३) । ( २ ) वरुणकी सभा में उपस्थित होनेवाला