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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra करक www.kobatirth.org ( ५५ ) प्राणियोंपर कृपा करनेवाली है; अतः पुत्रार्थी मनुष्य करंज वृक्षपर इसके उद्देश्यसे प्रणाम करते हैं (वन० २३० । ३५-३६ ) । करक- एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ६० ) । करकर्ष - चेदिराजका भ्राता । शरभका छोटा भाई | इन दोनोंको साथ लेकर वे ( चेदिराज ) पाण्डवोंकी सहायता के लिये आये थे ( उद्योग० ५० । ४७ ) । इसने युद्धके मैदानमें आगे बढ़कर चेकितानको अपने रथपर बिठाकर उनकी रक्षा की ( भीष्म० ८४ । ३२-३३ ) । करकाश- कौरवपक्षका एक योद्धा, जो द्रोणनिर्मित गरुडव्यूहमें उसकी ग्रीवाके स्थान में खड़ा किया गया था ( द्रोण० २० । ६ ) । करट - एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ६३ ) । करतोया - एक तीर्थंभूत पवित्र नदी, जो वरुणकी सभा में उपस्थित हो उनकी उपासना करती है ( सभा० ९ । २२ ) । यहाँ तीन रात उपवास करनेसे अश्वमेधयज्ञका फल मिलता है ( वन० ८५ । ३ ) । करन्धम- एक इक्ष्वाकुवंशी नरेश, जो खनीनेत्रके पुत्र और अविक्षित के पिता थे । इनका प्रथम नाम सुवर्चा था । इन्होंने अपने करका धमन करके ( हाथको बजाकर ) सेना उत्पन्न किया और शत्रुओंको मार भगाया; इसलिये ये करन्धम कहलाये ( आश्व० ४ । २ -१९ ) । ये यमराजकी सभा में रहकर भगवान् यमकी उपासना करते हैं ( सभा० ८ । १६ ) । करभ- एक राजा, जो मगधराज जरासन्धके आगे नतमस्तक रहता था ( सभा० १४ । १३ ) । करभञ्जक - एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ६९ ) । करम्भा-कलिङ्गदेशकी राजकुमारी । पूवंशी महाराज अक्रोधनकी पत्नी । देवातिथि की माता ( आदि० ९५ । २२ ) । करवीर - ( १ ) एक प्रमुख नाग ( आदि ३५ । १२ ) । (२) द्वारका के समीपवर्ती एक बन ( सभा० ३८ | २९ के बाद, पृष्ठ ८१३, कालम १ ) । करवीरपुर - एक तीर्थ, जहाँ स्नान करनेसे मनुष्य ब्रह्मरूप हो जाता है ( अनु० २५ । ४४ ) । करहाटक–दक्षिण भारतका एक देश, जिसे सहदेवने दूतद्वारा ही जीता था ( सभा० ३१ । ७० ) । कराल - एक देवगन्धर्व, जो अर्जुनके जन्मोत्सव के समय आया था आदि० १२२ । ५७ )। करालजनक- मिथिलाके एक राजा, जिन्होंने वसिष्ठजी से कर्ण विविध ज्ञानविषयक प्रश्न किये और उनके सदुपदेश सुने ( शान्ति० ३०२ अध्याय से ३०८ अध्याय तक ) | करालदन्त - इन्द्रकी सभा में विराजनेवाले एक महर्षि, जो वहाँ रहकर इन्द्रकी उपासना करते हैं ( सभा० ७ । १४)। करालाक्ष - स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५ । ६१ ) । करीति - एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ४४ ) । करीषक- एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ५५ ) । करीषिणी - एक नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा पीती है। ( भीष्म० ९ । १७, २३ ) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करूष - ( १ ) एक भारतीय जनपद ( आधुनिक विद्वानोंकी धारणा के अनुसार बघेलखण्ड और बुन्देलखण्डका कुछ भाग ( आदि० १२२ । ४० ) | ( २ ) करूषराज, जिसकी प्राप्ति के लिये तपस्या करनेवाली वैशाली भद्राका शिशुपालने अपहरण किया था ( सभा० ४५ । ५१ ) । (३) एक नरेश, जिन्होंने जीवन में कभी मांस नहीं खाया ( अनु० ११५ । ६४ ) । करेणुमती - चेदिनरेश शिशुपालकी पुत्री, नकुलकी पत्नी एवं निरमित्रकी माता ( आदि० ९५ । ७९ ) । कर्कखण्ड - पूर्वीय भारतका एक जनपद, जिसे कर्णने दुर्योधनके लिये जीता था ( वन० २५४ । ८ ) । कर्कर- एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ | १६ ) | कर्कोटक - (१) कश्यप और कद्रू की संतानोंमें प्रमुख एक नाग ( आदि० ३५ । ५ ) | ये अर्जुनके जन्मोत्सव में गये थे ( आदि० १२२ । ७१ ) । वरुणकी सभा में विराजमान होते हैं ( सभा० ९ । ९ ) । दावानलसे दग्ध होनेके भय से इनका राजा नलको पुकारना, नलके आनेपर उनसे नारदजीके शापसे अपने स्थावर-तुल्य होनेका हाल कहना, उनका मित्र होना, राजा नलको बैँसकर उनका रूप विकृत करना, उन्हें आश्वासन देना तथा पुनः पूर्वरूप में परिणत होने के लिये ओढ़नेके निमित्त दो वस्त्र प्रदान करना ( वन० ६६ । २ - २५ ) | ये शिवजी के रथके घोड़ोंके केसर बाँधने की रस्सी बनाये गये थे स्वधामगमनके ( कर्ण ० ४ । २९ ) । बलरामजी के समय स्वागत के लिये ये भी गये थे (मौसल० ४ । १५) । ( २ ) कर्कोटक देश और वहाँ के निवासी ( कर्ण ० ४४ । ४३ )। कर्ण - (१) कुन्तीके गर्म और सूर्यके अंशसे कवच-कुण्डलधारी महाबली कर्णकी उत्पत्ति ( आदि० ६३ । ९८६ आदि० ११० । १८ ) । पहले इसका 'वसुषेण' नाम था परंतु जब इसने अपने कवच-कुण्डलोंको शरीरसे उधेड़कर इन्द्रको दे दिया, तबसे उसका नाम For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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