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सामुद्रनिष्कुट
( ३७९ )
सार्वभौम
गोदानका फल मिलता है और मनुष्य अपने कुलका थे (सभा० ४ । ३०)। ये राजसूययज्ञमें सम्मिलित उद्धार कर देता है (वन० ८४ । ४१-४२)। हुए थे (सभा० ३४ । १५)। युधिष्ठिरके अश्वमेधसामुद्रनिष्कुट-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९।
यज्ञमें भी श्रीकृष्णके साथ आये थे (आश्व० ६६ । ४)। साम्बको स्त्री बनाकर ऋषियोंके सम्मुख ले जानेवाले यदु
कुमारोंमें ये प्रधान थे (मौसल० १ । १५)। (२) साम्ब-(१) भगवान् श्रीकृष्णद्वारा जाम्बवतीके गर्भसे
रावणका मन्त्री, जो वानररूपमें श्रीरामकी सेनामें घुस आनेउत्पन्न एक यादव वीर । ये द्रौपदीके स्वयंवरमें पधारे
पर विभीषणद्वारा बन्दी बना लिया गया था । श्रीरामद्वारा थे (आदि० १८५ । १७)। अर्जुन और सुभद्राके लिये
इसका छुटकारा (वन० २८३ । ५२-५३)। दहेज लेकर आये थे (आदि० २२० । ३१)। इन्होंने अर्जुनसे धनुर्वेदकी शिक्षा प्राप्त की थी और ये यधिधिरकी सारमेय-कश्यपपत्नी सरमाका पुत्र सारमेय (कुत्ता) सभामें विराजते थे (सभा० ४ । ३४-३५)। द्वारकाके (आदि० ३।१ )। जनमेजयके भाइयोंके पीटनेपर सात अतिरथी वीरोंमें एक ये भी थे (सभा०१४ ।
माताके आगे इसका रोना (आदि०३।४)। ५७)। युधिष्ठिरके राजसूययज्ञमें भी उपस्थित थे (सभा० सारस-गरुडकी प्रमुख संतानों से एक ( उद्योग० १०१ । ३५ । १६) । इनका शाल्वके सेनापति एवं मन्त्री क्षेम- ११)। वृद्धिके साथ युद्ध और इनके द्वारा उसकी पराजय
सारस्वत-(१) एक प्राचीन ऋषि, जो अलम्बुषा अप्सरा(वन. १६ । ९-१६)। वेगवान् नामक दैत्यके साथ
को देखकर स्खलित हुए दधीचके वीर्य और सरस्वती युद्ध और इनके द्वारा उसका वध (वन० १६।१७
नदीके गर्भसे उत्पन्न हुए थे (शल्य. ५१ । ७२०)। प्रभासक्षेत्रमें इकट्ठे हुए वृष्णिवंशियों तथा
")। इनका स्थान सारस्वततीर्थके नामसे प्रसिद्ध पाण्डवोंके बीच सात्यकिद्वारा बलरामके प्रति इनके
हुआ। कहीं-कहीं इनके स्थानका 'तुङ्गकारण्य' नामसे पराक्रमका वर्णन ( बन० १३. । १३-१५)। ये
उल्लेख मिलता है (वन० ८५। ४६)। बारह वर्षके उपप्लव्यनगरमें अभिमन्युके विवाहोत्सवमें आये थे
अवर्षणके बाद इन्होंने ऋषियोंको शिष्य बनाकर वेद (विराट०७२ । २२)। इनका युधिष्ठिरके अश्वमेधयश
पढ़ाया था (शल्य. ५१।३)। (२) एक महर्षि, के अवसरपर श्रीकृष्णके साथ हस्तिनापुरमें आगमन
जो अत्रिके पुत्र हैं और पश्चिम दिशामें निवास करते हैं (आश्व० ६६ । ३)। सारण आदि वीरोंका साम्बको स्त्रीवेषमें विभूषित करके ऋषियोंके पास ले जाना और
(शान्ति० २०८ । ३.)। उनसे पूछना कि यह बभ्रकी पत्नी है, आपलोग बताइये सारिक-युधिष्ठिरकी सभामें विराजमान होनेवाले एक ऋषि कि इसके गर्भसे क्या उत्पन्न होगा ? (मौसल.। (सभा० ४।१३)। १६-१७)। ऋषियोंने कहा-भगवान् श्रीकृष्णका यह सारिमेजय-एक राजा, जो द्रौपदी-स्वयंवरमें पधारे थे पुत्र साम्ब एक भयंकर लोहेका मूसल उत्पन्न करेगा, जो (आदि. १८५ । १९)। वृष्णि और अन्धकवंशके विनाशका कारण होगा (मौसल० । । १९)। दूसरे दिन सबेरा होते ही इनके
सारिसक-एक शाङ्गिक, जो पक्षिरूपधारी मन्दपाल ऋषिके
द्वारा जरिताके गर्भसे उत्पन्न हुआ था (आदि. २२८ । पेटसे मूसलकी उत्पत्ति (मौसल० १।२५)। मौसल-युद्ध
१७)। अपने बड़े भाई जारितारिसे अपनी रक्षाके लिये में इनका मारा जाना (मौसल० ३ । ४४)। मृत्युके पश्चात् ये विश्वेदेवोंमें प्रविष्ट हो गये (स्वर्गा०५।१६
कहना ( आदि० २३१ । ३)। इसके द्वारा अग्निकी
स्तुति (आदि० २३१ । ९-११)। अग्निदेवकी कृपासे १८)। (२) एक सदाचारी तथा अर्थशानमें निपुण
खाण्डवबनमें अग्निदाहसे इसकी रक्षा (आदि० २३१ । ब्राह्मण, जिन्होंने धृतराष्ट्रके वनगमनके लिये आशा माँगने
२१)। पर प्रजाकी ओरसे उन्हें सान्त्वनापूर्ण उत्तर दिया था (आश्रम०१०।१३-५.)।
सार्थ-व्यापारियोंका एक दल (वन० ६४।१११)।
जंगली हाथियोंद्वारा इसका विनाश (वन. ६५ । सारण-(१) एक यदुवंशी क्षत्रिय, जो वसुदेवके द्वारा देवकीके गर्भसे उत्पन्न हुए थे। भगवान् श्रीकृष्ण और । सुभद्राके भ्राता थे (आदि० २१८ । १७)। ये सार्वभौम-(१) सोमवंशी राजा अहंयातिके द्वारा कृतवीर्यअर्जुन और सुभद्राके लिये दहेज लेकर इन्द्रप्रस्थ आये थे कुमारी भानुमतीके गर्भसे उत्पन्न ( आदि० ९५। १५)। (आदि० २२० । ३२)। युधिष्ठिरकी सभामें विराजते इनकी भार्याका नाम सुनन्दा था, जो केकयदेशकी कन्या
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