SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वीरक www.kobatirth.org ( ३२४ ) वीरक-एक देश, जिसके धर्म और आचार-विचार दूषित हैं। अतः यह त्याग देने योग्य है ( कर्ण० ४४ । ४३ ) । वीरकय- भारतवर्षकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारत वासी पीते हैं ( भीष्म० ९ । २६ ) । वीरकेतु - पाञ्चालराज द्रुपदका एक पुत्र । इसका द्रोणा चार्य के साथ युद्ध और उनके द्वारा वध ( द्रोण० १२२ । ३३ – ४१ ) । वीरप्रमोक्ष- एक तीर्थ, जहाँ जानेसे मनुष्य सम्पूर्ण पापोंसे छुटकारा पा जाता है ( वन० ८४ । ५१ ) । वीरबाहु - (१ ) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंमेंसे एक ( आदि० ६७ । १०३; आदि० ११६ । १२ ) । प्रथम दिनके युद्ध में उत्तर के साथ इसका द्वन्द्व-युद्ध ( भीष्म० ४५ । ७७-७८ ) । भीमसेनके साथ इसका युद्ध और उनके द्वारा वध ( भीष्म० ६४ । ३५-३६) । ( २ ) चेदि - देश के राजा, जिनका विवाह दशार्णराज सुदामाकी पुत्रीसे हुआ था, जो दमयन्तीकी मौसी थी । वनमें राजा नल जब दमयन्तीको अकेली छोड़कर चले गये, उस समय दमयन्तीको उन्हीं के राजमहल में आश्रय मिला था । ( वन० ६९ । १३ – १५ ) । वीरभद्र - एक शिवपार्षद, जो शंकरजीका मूर्तिमान् क्रोध ही था (शान्ति० २८४ । २९ -- ३४ ) । इसका अपने रोमकूपोंसे रौम्यनामवाले गणेश्वरोको प्रकट करना ( शान्ति० २८४ । ३५ ) । इसके द्वारा दक्षयज्ञविध्वंस ( शान्ति० २८४ । ३६ - ५० ) । इसका दक्ष Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृत्त आदि के पूछने पर अपना परिचय देना ( शान्ति ० २४४ । ५१-५५ ) । वीरमती - भारतवर्षकी एक नदी, जिसका जल भारतवासी पीते हैं ( भीष्म० ९ । २५ ) । 1 । वीरसेन - निषधदेशके राजा जो नलके पिता थे और अर्थके तत्त्वज्ञ थे ( वन० ५२ । ५५ ) । दमयन्तीद्वारा इनका परिचय दिया जाना ( वन० ६४ । ४८ ) । इन्होंने अपने जीवनमें कभी मांस नहीं खाया था ( अनु० ११५ । ६५ ५) । arm- एक प्रजापति, जिन्हें सनत्कुमारजीद्वारा सात्वतधर्मकी प्राप्ति हुई थी और इन्होंने रैभ्यमुनिको इस धर्मका उपदेश दिया था ( शान्ति० ३४८ । ४१-४२ ) । वीरणक- धृतराष्ट्रकुल उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में जल गया था ( आदि० ५७ । १८ ) । वीरधुम्न - एक प्राचीन नरेश, जिनके पुत्रका नाम भूरिद्युम्न था । जो वनमें खो गया था, जिनका अपने पुत्रकी खोज में महर्षि तनुके पास जाकर आशा के विषय में पूछना ( शान्ति० १२७ । १४ – २० ) । आशा के विषय में इन्हें तनु मुनिका उपदेश ( शान्ति० १२८ अध्याय ) । वीरधन्वा - कौरवपक्षका एक त्रिगर्तदेशीय योद्धा, जो धृष्टकेतुका सामना करने के लिये आगे बढ़ा था (द्रोण ० १०६ । १०) । इसका धृष्टकेतुके साथ युद्ध और उनके वीरुधा - नागमाता सुरसाकी तीन पुत्रियोंमेंसे एक । इसकी द्वारा वध ( द्रोण० १०७ । ९ – १८ ) । वीरधर्मा - एक राजा, जिसे पाण्डवोंकी ओरसे रणनिमन्त्रण भेजने का निश्चय किया गया था ( उद्योग ० ४। १६ )। वीरिणी - ये प्राचेतस दक्षकी पत्नी थीं । इनके गर्भसे एक हजार पुत्र तथा पचास कन्याएँ उत्पन्न हुई थीं ( आदि० ७५ । ६-८ ) । दो बहिनों का नाम था अनला और रुहा । यह लता, गुल्म, वल्ली आदिकी जननी हुई ( आदि० ६६ । ७० के बाद, दा० पाठ ) । वीर्यवती - स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका ( शक्य ० ४६ । ८ ) । वीर्यवान - एक सनातन विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३१ ) । वृक - ( १ ) एक राजा, जो द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था ( आदि० १८५ । १० ) । यह कौरवों की ओरसे लड़ रहा था और किसी पर्वतीय नरेशद्वारा मारा गया था ( कर्ण ० २५।१६-१७ ) । ( २ ) पाण्डवपक्षका एक योद्धा, जिसका द्रोणाचार्यद्वारा वध हुआ था ( द्रोण० २१ । १६ ) । ( ३ ) एक प्राचीन नरेश, जिसने अपने जीवन में कभी मांस नहीं खाया था ( अनु० ११५ । ६३ ) । ये धर्म For Private And Personal Use Only वीरा - (१) युके पुत्र भरद्वाज नामक अग्निकी भार्या । इनके गर्भसे वीर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ ( वन० २१९ । ९) । (२) भारतवर्षकी एक नदी, जिसका जल भारतवासी पीते हैं (भीष्म० ९ । २२ ) । वीराश्रम - वीराश्रमनिवासी कुमार कार्तिकेयके निकट जाकर मनुष्य अश्वमेध यज्ञका फल पाता है ( वन० ८४ । १४५)। वृक्षवासी एक यक्ष, जो कुबेरकी सभा में रहकर उनकी सेवा करता है ( सभा० १० | १८ ) । वृजिनीवान् -ये मनुवंशी क्रोष्टा के पुत्र थे । इनके पुत्रका नाम उपनु था ( अनु० १४७ । २८-२९ ) । वृत्त - कश्यपद्वारा कद्र के गर्भ से उत्पन्न एक नाग ( आदि० ३५ | १०१ उद्योग० १०३ । १४ ) ।
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy