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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३०२ ) वामदेव वस्त्रप-क्षत्रियोंकी एक जाति । इस जातिके राजकुमार द्रौपदीके स्वयंवरमें गया था (आदि. १८५।२)। युधिष्ठिरके लिये भेंट लाये थे (सभा०५२। १५-१७)। भीमसेनद्वारा इसका वध (कर्ण० ८४ । २-६)। वस्त्रा-भारतवर्षकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतवासी (२) गरुडकी प्रमुख संतानोंमेंसे एक ( उद्योग. पीते हैं ( भीष्म० ९ । २५)। १०१। ०)। वखोकसारा-गङ्गाकी सात धाराओंमेंसे एक ( भीष्मः वातस्कन्ध-एक महर्षि, जो इन्द्रकी सभामें उपस्थित होकर ६।१४)। वज्रधारी इन्द्रकी उपासना करते हैं (सभा०७।१४)। वहि-विपाशामें रहनेवाला एक पिशाच, जो हीकका साथी वाताधिप-एक राजा, जिसे दक्षिण-दिग्विजयके अवसरपर है इन्हीं दोनोंकी संताने वाहीक' कही गयी हैं। ये सहदेवने अपने वशमें कर लिया था ( सभा०३१ । प्रजापतिकी सृष्टि नहीं हैं ( कर्ण० ४४ । ४१-४२)। वहीनर-एक राजा, जो यमसभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी वातापि-दुर्जय मणिमती नगरीके निवासी इल्वल नामक उपासना करते हैं (सभा० ८ । १५)। दैत्यका छोटा भाई (वन० ९६ । ।-४)। इल्वल वह्नि-एक दैत्य, दानव या राक्षस, जो पूर्वकालमें पृथ्वीका मायासे अपने भाई वातापिको बकरा या भेड़ा बना देता शासक था, परंतु कालवश इसे छोड़कर चल बसा था। वातापि भी इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ था: (शान्ति. २२७ । ५२)। अतः वह क्षणभरमें भेड़ा या बकरा बन जाता था। इल्वल वागिन्द्र-गृत्समदवंशी प्रकाशके पुत्र । इनके पुत्रका नाम "उस भेड़े या बकरेको मारकर राँधता और वह मांस किसी प्रमिति था (अनु०३०।६३)। ब्राह्मणको खिला दिया करता था। इल्वलमें यह शक्ति थी कि वह जिस मरे हुए प्राणीको पुकारे, वह जीवित दिखायी वाग्मी-राजा पूरके पौत्र मनस्युके द्वारा सौवीरीके गर्भसे देने लगे । वह वातापिको भी पुकारता और वह बलवान् उत्पन्न तीन पुत्रोंमेंसे एक । शेष दोके नाम शक्त और संहनन हैं (आदि०२४ । ५-७)। दैत्य उस ब्राह्मणका पेट फाड़कर हँसता हुआ निकल आता था (वन० ९६ । ७-१३)। उसने अगस्त्यवाजपेय-एक यज्ञविशेष (सभा० ५। १००)। जीके साथ भी यही बर्ताव किया; परंतु अगस्त्यजीने उसे वाटधान-(१) एक क्षत्रिय राजा, जो क्रोधवशसंज्ञक पेटमें ही पचा लिया, वह पुनः निकल नहीं पाया (वन. दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था ( आदि.७।२३)। इसे पाण्डवोंकी ओरसे रण-निमन्त्रण भेजनेका निश्चय किया वातापी-दनुका पुत्र, प्रसिद्ध दस दानव-कुलोंमेंसे एक गया था (उद्योग. ४।२३) । (२) एक देश तथा (आदि० ६५।२८-३०)। वहाँके निवासी। पश्चिम-दिग्विजयके समय नकुलने वाटधान- वातिक-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ६७)। देशीय क्षत्रियोंको हराया था (सभा० ३२।८)। वात्स्य-(१) एक वेदविद्याके पारंगत ऋषि, जो जनमेजयके धन-धान्यसे सम्पन्न यह देश कौरवोंकी सेनासे घिर गया सर्पसत्र में सदस्य बने थे (आदि. ५३ । ९-१०) । शरथा (उद्योग० १९ । ३१)। भारतके प्रमुख जनपदों में शय्यापर पड़े हुए भीष्मजीको देखनेके लिये ये भी गये ये इसकी भी गणना है (भीष्म. ९।४७)। यहाँके (शान्ति० ४७ । ५)।(२) एक देश, जिसे श्री. सैनिक भीष्मनिर्मित गरुडव्यूहके शिरोभागमें अश्वत्थामाके कृष्णने जीता था (द्रोण० ११ । १५)(देखिये वत्स)। साथ खड़े किये गये थे (भीष्म० ५६ । ४)। भगवान् वानव-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ५४) । श्रीकृष्णने भी पहले कभी इस देशको जीता था (द्रोण. वाभ्रवायणि ( बाभ्रवायणि )-विश्वामित्रके ब्रह्मवादी १।१७)। यहाँके सैनिक अर्जुनद्वारा मारे गये थे पुत्रोंमेंसे एक (अनु० ४ । ५७)। (कर्ण० ७३ । १७)। वामदेव-(१) एक महर्षि, जो इन्द्रकी सभामें विराजते हैं वाणी-भारतवर्षकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतवासी (सभा० ७ । १७)। इनका राजा शलको अपने वाम्य पीते हैं (भीष्म० ९ । २०)। अश्व देना (वन. १९२ । ४३)। अश्वोंके न लौटानेपर वातघ्न-विश्वामित्रके ब्रह्मवादी पुत्रों से एक ( अनु० ४। इनका राजासे वार्तालाप और अन्तमें कृत्याजन्य राक्षौद्वारा राजाको नष्ट करना (वन० १९२ । १८-५९)। वातज-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ५४ )। इनकी शलके छोटे भाई राजा दलसे बातचीत और अश्वोंवातवेग ( वायुवेग)-(१) धृतराष्ट्रके सौ पुत्रों से एक को पुनः प्राप्त करना (वन. १९२ । ६०-७२)। (भादि.६.।१०२, भादि. ६ .)। यह इनके द्वारा शान्तिदूत बनकर इस्तिनापुर जाते हुए श्री For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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