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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अवभृथ www.kobatirth.org ( २५ ) ३८ । २९ के बाद दाक्षिणात्य पाठ पृष्ठ ८०२; भीष्म० ९ । ४३ ) । अवभृथ - ज्ञान्त-स्नान ( सभा० ४५ । ४० ) । अवसान - एक प्राचीन तीर्थ, जहाँ जानेसे सहस्र गोदानका फल प्राप्त होता है ( वन० ८२ । १२८ ) । अवाकीर्ण- सरस्वती तटवर्ती एक तीर्थ ( शल्य० ४१ । १-३० ) । अवाचीन - पूरुवंशीय राजा जयत्सेन के द्वारा विदर्भकुमारी सुश्रवाके गर्भ से उत्पन्न एक राजा इनके द्वारा विदर्भराजकुमारी मर्यादा के गर्भसे ‘अरिह' की उत्पत्ति हुई (आदि० ९५ । १७-१८ ) । अविकम्पन - एक प्राचीन नरेश, जिन्हें ज्येष्ठ मुनिसे सात्वत धर्मकी प्राप्ति हुई ( शान्ति० ३४८ । ४७ )। अविक्षित् - ( १ ) एक सम्राट्, महाराज मरुत्तके पिता ( द्रोण० ५५ । ३७ ) | ये अङ्गिराके यजमान थे । इनके अनुपम गुणोंका वर्णन ( आश्व० ४।१७-२२ ) । ( २ ) कुरुके उनकी पत्नी वाहिनी के गर्भ से उत्पन्न पाँच पुत्रोंमें जो अश्ववान् थे, उन्हींका दूसरा नाम अविक्षित् भी था (आदि० ९४ । ५०-५२ ) । अविज्ञातगति - 'अनिल' नामक वसुके द्वारा शिवाके गर्भ से उत्पन्न पुत्र इसके भाईका नाम 'मनोज' था ( आदि० ६६ । २५ ) । अविन्ध्य - एक बुद्धिमान् वृद्ध एवं श्रेष्ठ राक्षस, जिसने सीताजीको आश्वासन देनेके लिये अशोकवाटिकामें त्रिजटाको भेजा था ( वन० २८० | ५६-५७ ) | इसका सीताजीको मारने के लिये उद्यत हुए रावणको समझाकर रोकना ( वन० २८९ । २८-३२ ) । लङ्का - विजय के पश्चात् सीताजीको लेकर श्रीरामके पास आना ( वन० २९१ । ६-७ ) । अविमुक्त-वाराणसीका मध्यभाग - अविमुक्त क्षेत्रः यहाँ प्राणोत्सर्ग करनेवालेको मोक्ष प्राप्त होता है ( वन० ८४ । ७८-७९ ) । अव्यय-वृतराष्ट्र-कुलमें उत्पन्न हुआ एक सर्प, जो जनमेजय के नागयज्ञमें दग्ध हुआ था ( आदि० ५७ । १६ ) । अशनि - एक दिव्य महर्षि, जिन्होंने श्रीकृष्णके हस्तिनापुर जाते समय मार्ग में उनसे भेंट की थी ( उद्योग० ८३ । ६४ के बाद दाक्षिणात्य पाठ ) । अशोक - ( १ ) भीमसेनका सारथि । इसका कलिङ्गराज श्रुतायु के साथ युद्ध करते समय रथहीन भीमके पास रथ पहुँचाना ( भीष्म० ५४ । ७०-७१) । (२) एक क्षत्रिय राजा, जो अश्वनाम विख्यात असुरके अंशसे प्रकट हुआ था अश्वतीर्थ ( आदि० ६७ । १४ ) । यही कलिंगराज चित्राङ्गदकी कन्या के स्वयंवर में गया था ( शान्ति ० ४ । ७ ) । अशोकतीर्थ - शूर्पारक क्षेत्रके अन्तर्गत एक तीर्थ ( वन० ८८ । १३ ) । अशोकवनिका-लङ्कापुरीकी सुप्रसिद्ध अशोकवाटिका, जहाँ सीताजी रखी गयी थीं ( वन० २८० । ४१-४२ ) । अश्मक - ( १ ) महाराज कल्माषपादके क्षेत्रज पुत्र । महर्षि वसिष्ठ के द्वारा कल्माषपादकी पत्नी मदयन्तीके गर्भ से इनकी उत्पत्ति हुई ( आदि० १७६ । ४७ ) । इनका अमक नाम होनेका कारण ( आदि० १७६ | ४६ ) । इनके द्वारा 'पौदन्य' नगरका निर्माण ( आदि० १७६ । ४७ )। ( २ ) ( गोदावरी और माहिष्मती के बीचका ) एक देश ( भीष्म० ९ । ४४ ) | ( ३ ) अश्मक देशका राजा, पाण्डव पक्षका योद्धा, जो कर्णद्वारा जीता और बाँधा गया था ( कर्ण ० ) । सम्भवतः इसीने राजा युधिष्ठिरको बछड़ेसहित दस हजार दुधारू गौएँ दी थीं ( सभा० ५१ दाक्षिणात्य पाठ ) | ( ४ ) एक ऋषिका नाम ( शान्ति ० ४७ । ५)। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अश्मकी - यादव वंश में उत्पन्न एक राजकुमारी, प्राचिन्वान्की स्त्री । इसके गर्भसे संजात नामक पुत्रकी उत्पत्ति हुई ( आदि ० ९५ । १३ ) । अश्मकदायाद ( अश्मकपुत्र ) - एक कौरवपक्षीय योद्धा, जो अभिमन्युद्वारा मारा गया था ( द्रोण० ३७ । २२-२३ ) । अश्मपृष्ठ - गया में स्थित प्रेतशिला तीर्थ । यहाँ पिण्ड देनेसे ब्रह्महत्या दूर होती है (अनु० २९ । ४२ ) । अश्मा - एक प्राचीन मुनि । प्रारब्धकी प्रबलता बताते हुए इनका जनकके प्रश्नका उत्तर देना ( शान्ति० २८ । ५-५७ ) । अश्व- कश्यपपत्नी दनुके पुत्रोंमेंसे एक ( आदि० ६५ । २४)। अश्वकेतु - गान्धारराजका पुत्र जो कौरवपक्षका योद्धा था और अभिमन्युद्वारा मारा गया था ( द्रोण० ४८ । ७ )। अश्वग्रीव - कश्यपपत्नी दनुके पुत्रोंमेंसे एक ( आदैि० ६५ । २४ ) । अश्वतर - ( १ ) एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ । १० ) । ( २ ) अश्वतर नागसे उपलक्षित प्रयोगका एक तीर्थ ( वन० ८५ । ७६ ) । अश्वतीर्थ - एक प्राचीन तीर्थ, जो कन्नौज के पास गङ्गाके टपर स्थित है ( ० ९५ । ३ ) । इसके प्राकट्यका वर्णन ( अनु० ४ । १७ ३ । १७ ) । For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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