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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृथुवेग ( २०४ ) पौण्ड्र पृथुवेग- एक राजा, जो यमसभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी पैजवन-एक शूद्र, जिसने ऐन्द्राग्न यज्ञकी विधिसे मन्त्रउपासना करता है (सभा० ८ । १२)। हीन यज्ञ करके उसकी दक्षिणाके रूपमें एक लाख पृथुश्रवा-(१) महाभौमकुमार अयुतनायीकी पत्नी पूर्णपात्र दान किये थे ( शान्ति० ६० । ३९)। कामाके पिता ( आदि० ९५ । २०-२१)। ये यमसभामे पैठक-एक असुर, जिसका भगवान् श्रीकृष्णद्वारा वध रहकर सूर्यपत्र यमकी उपासना करते है ( सभा० किया गया था (सभा०३८ । २९ के बाद दाक्षिणात्य ८ | १२)। (२) एक प्राचीन ऋषि, जो अजात पाठ, पृष्ठ ८२५, कालम )। शत्रु युधिष्ठिरका बड़ा सम्मान करते थे (वन० २६ । पैल-एक प्राचीन ऋषि, जो व्यास जीके शिष्य थे। इनको २२-२५)। (३) स्कन्दका एक सैनिक (शल्य. १५। ६२)।(४)एक नाग, जो बलरामजीके स्वाग व्यासजीने सम्पूर्ण वेदों एवं महाभारतका अध्ययन तार्थ प्रभासक्षेत्रमें आया था ( मौसल० ४ । १५)। कराया था (आदि० ६३ । ८९-९०)। ये वसुके पुत्र थे और धौम्य मुनिके साथ युधिष्ठिरके राजसूय यज्ञके पृथदक-कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक कार्तिकेय-तीर्थ, जिसमें होता बने थे (सभा० ३३ । ३५)। शरशय्यापर पड़े स्नान करनेमात्रसे सब पाप नष्ट हो जाते हैं तथा तीर्थ हुए भीष्मजीके पास अन्य ऋषियोंके साथ महात्मा पैल सेवी पुरुषको अश्वमेधयज्ञके फल और स्वर्गलोककी प्राप्ति भी पधारे थे (शान्ति. ४७।६)। होती है। (वन० ८३ । १४१-१४४) । इस तीर्थकी महिमा ( शल्य० ३९ । २८-३३)। पैलगर्ग-एक मुनि, जिनके आश्रमपर काशिराजकी कन्या पृथिवीतीर्थ-कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक तीर्थ, जहाँ अम्बाने तपस्या की थी ( उद्योग० १८६ । २०)। जाकर स्नान करनेसे सहल गोदानका फल मिलता है पैलगर्गाश्रम-एक तीर्थ, जहाँ काशिराजकी कन्या अम्बाने (वन० ८३ । १३)। कठोर व्रतका आश्रय ले स्नान किया था (उद्योग पृथ्वी-( देखिये भूमि)। १८६ । २०)। पृश्नि-एक प्राचीन महर्षि, जिन्होंने द्रोणाचार्यके पास पैशाच-विवाहका एक भेद । जब घर के लोग सोये हों आकर उनसे युद्ध बंद करनेको कहा था (द्रोण. १९०।३४-४०)। इन्होंने स्वाध्यायके द्वारा स्वर्ग प्राप्त अथवा असावधान हों, उस दशामें कन्याको चुरा लेना पैशाच विवाह है। यह सर्वथा सभी वर्गों के लिये निषिद्ध किया था (शान्ति. २६।७)। है ( आदि० ७३ । ९-१२)। पृश्निगर्भ-भगवान् श्रीकृष्ण का एक नाम, उसकी निरुक्ति अन्न, वेद, जल और अमृत-इनको पृश्नि कहते हैं। पोतक-कश्यपवंशीय एक नाग ( उद्योग० १०३ । ये सदा भगवान्के गर्भमैं रहते हैं, इसलिये इनका नाम ११)। पृश्निगर्भ है। इस नामके उच्चारणसे त्रित मुनि कूपसे पौण्ड्र-(१) नन्दिनीके पार्श्वभागसे प्रकट हुई एक म्लेच्छ बाहर हो गये थे (शान्ति० ३४१ । ४५-४७)| जाति (आदि. १७४ । ३७)। (२) एक देश और पृषत-पाञ्चाल देशके एक राजा, जो महर्षि भरद्वाजके वहाँके निवासी राजा आदि; पौण्ड्रदेशके राजा द्रौपदीके मित्र और द्रुपदके पिता थे (आदि. १२९ । ४१)। खयंवरमें आये थे ( आदि. १८६ । १५)। इस पृषदश्व-एक प्राचीन नरेश, जिन्हें राजा अष्टकद्वारा देशको श्रीकृष्णने पराजित किया था (सभा० ३८ । खड्गकी प्राप्ति हुई थी (शान्ति. १६६ । ८०)। ये २९ के बाद, पृष्ठ ८२४, कालम २ )। पौण्ड्र देशके यमराजकी सभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी उपासना करते लोगोंके राजसूय यज्ञमें आनेकी चर्चा (वन० ५। । हैं (सभा०८। १३)। २२)। युधिष्ठिरकी ओरसे उनके साथ ये क्रौञ्च-व्यहमें पृषध्र-(१) वैवस्वत मनुके न पुत्र (आदि. ७५। खड़े थे (भीष्म० ५०। ४८)। कर्णने इस देशको १६)। ये प्रातः-सायंकालीन कीर्तन करनेयोग्य जीता था (द्रोण० ४ । ८)। श्रीकृष्णने भी इसपर राजाओं से एक हैं, इनके कीर्तनसे धर्मका फल प्राप्त विजय पायी थी (द्रोण. ११ | १५)। मान्धाताके होता है ( अनु० १६५ । ५४-६०)। इन्होंने कुरु- राज्यमें पौण्ड्रजातिके लोग निवास करते थे (शान्ति०६५ । क्षेत्रमें तपस्या करके स्वर्ग प्राप्त किया ( आश्रम २० । १४)। पौण्डलोग पहले क्षत्रिय थे, किंतु ब्राह्मणों के ११)। (२) द्रुपदका एक पुत्र, जिमका अश्वत्थामा- अमर्षसे शूद्रत्वको प्राप्त हो गये ( अनु० ३५ । १७द्वारा वध हुआ था (द्रोण १५६ । १८३)। १८)।(३) भीमसेनके शङ्खका नाम । युद्धके पैडल्य-एक ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें विराजते थे आरम्भमें भीमने इस महाशङ्खको बजाया था ( भीष्म (सभा० ४ । १७)। २५। १५)। दुर्योधनके मारे जानेपर भीमकर्मा भीमने For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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