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नरक
( १७६ )
नरक - ( १ ) दनुका एक पुत्र जो प्रसिद्ध दानवकुलका प्रवर्तक हुआ ( आदि० ६५ | २८ ) । यह वरुणकी सभामें रहकर उनकी उपासना करता है ( सभा० ९ । १२ ) । इसे इन्द्र परास्त किया था ( वन० १६८ । ८१) । ( २ ) एक जनपद, जहाँके शासक राजा भगदत्त थे ( सभा ० १४ । १४ । (३) ( नरकासुर ) एक असुर, जो पृथ्वीका पुत्र होनेके कारण भौम या भौमासुरके नामसे विख्यात था, यह प्राग्ज्योतिषपुरका राजा था । पृथ्वीके भीतर मूर्तिलिङ्गमय इसका निवास था ( सभा०३८ । २९ के बाद दाक्षिणात्य पाठ पृष्ठ ८०४ ) । इसके द्वारा त्वष्टाकी पुत्री कशेरुको मूर्च्छित करके उसका अपहरण ( सभा० ३८ | पृष्ठ ८०५ ) । गन्धर्वो देवताओं और मनुष्योंकी कन्याओं तथा सात अप्सराओंका अपहरण (सभा० ३८ । पृष्ठ ८०५) । इस तरह सोलह हजार कुमारियोंको एकत्र करके मणिपर्वतपर औदका नामक स्थानमें भौमासुरने कैद कर रक्खा था। मुरके दस पुत्र तथा प्रधान प्रधान राक्षस उस अन्तःपुरकी रक्षा करते थे । नरकासुर के चार राज्यपाल थे - हयग्रीव, निशुम्भ, पञ्चजन तथा मुर ( सभा० ३८ | पृष्ठ ८०५ ) । इसने देवमाता अदितिके कुण्डलोंका भी अपहरण किया था। इसके राज्यकी सीमापर मुर दैत्यके बनाये हुए छः हजार पाश लगाये गये थे, जिनके किनारोंके भागों में छुरे लगे थे । श्रीकृष्णने इन पाशको काटकर और मुरको मार राज्यकी सीमा में प्रवेश किया था। इसके बाद बड़ेबड़े पर्वतोंके चट्टानोंके ढेर से एक बाड़-सी लगायी गयी थी। इस घेरेका रक्षक निशुम्भ था । इसे भी मारकर श्रीकृष्ण आगे बढ़े थे । औदकाके अन्तर्गत लोहित गङ्गाके बीच विरूपाक्ष तथा पञ्चजन नामसे प्रसिद्ध पाँच भयंकर रासक्ष उस राज्यके रक्षक थे। उनको भी मारकर श्रीकृष्णको आगे जाना पड़ा । इसके बाद प्राग्ज्योतिषपुर नामक नगर आता था। वहाँ श्रीकृष्णको दैत्योंके साथ विकट युद्ध करना पड़ा । देवासुर संग्रामका दृश्य छा गया । इस तहरे आठ लाख दानवोंको मारकर भगवान् पातालगुफा में गये। वहीं नरकासुर रहता था। वहाँ जाकर श्रीकृष्णने कुछ देर युद्ध करनेके बाद चक्रसे उस असुरका मस्तक काट डाला । भगवान् श्रीकृष्णने पृथ्वीके उस पुत्रको ब्रह्मद्रोही, लोककण्टक और नराधम बताया ( सभा० ३८ | पृष्ठ ८०७ ) । भगवान् विष्णुद्वारा इसके वधकी चर्चा ( वन० १४२ । २७ ) । उद्योगपर्वमें पुनः उस प्रसङ्गका यो वर्णन है—असुरोका प्राग्ज्योतिषपुर नामसे प्रसिद्ध एक भयंकर किला था, जो शत्रुओंके लिये अजेय था । वहाँ भूमिपुत्र महाबली नरकासुर निवास करता था । उसने देवमाता अदितिके सुन्दर मणिमय
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नल
कुण्ड हर लिये थे । देवता उसे युद्ध में पराजित न कर सके । देवताओंने श्रीकृष्णसे उसके वधके लिये प्रार्थना की। श्रीकृष्णने निर्मोचन नगरकी सीमापर जाकर सहसा मुरके छः हजार लोहमय पाश काट दिये। फिर मुरका वध और राक्षस समुदायका नाश करके उन्होंने निर्मोचन नगर में प्रवेश किया | वहीं नरकासुर के साथ उनका युद्ध हुआ | श्रीकृष्ण के हाथसे वह असुर मारा गया ( उद्योग ० ४८ | ८०-८४ ) | पृथ्वी देवीके अनुरोधसे श्रीकृष्णने उसके पुत्र नरकासुर के लिये वैष्णवास्त्र प्रदान किया था । वह अस्त्र नरकासुर के पुत्र भगदत्तको भी पितासे प्राप्त हुआ था ( द्रोण० २९ । ३०-३६ ) ।
नरराष्ट्र - एक देश या राज्य, जिसे सहदेवने जीता था ( सभा० ३१ । ६ ) ।
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नरिष्यन्त - वैवस्वत मनुके पुत्र ( आदि० ७५ । १५ ) । नर्मदा - दक्षिण भारत ( मध्यप्रदेश ) की एक प्रसिद्ध नदी, जो अमरकण्टकसे निकलकर भड़ौचके पास खंभातकी खाड़ी में गिरती है | यह वरुणकी सभा में रहकर उनकी उपासना करती है ( सभा० ९ । १८ ) । भाइयों सहित युधिष्ठिरने नर्मदाकी यात्रा की थी ( वन० १२१ । १६ ) । लोमशने इन्हें बताया-- -- वैदूर्य पर्वतका दर्शन करके नर्मदा में उतरनेसे मनुष्य देवताओंके समान पवित्र प्राप्त कर लेता है । नर्मदातटवर्ती वैदूर्य पर्वतपर सदा त्रेता और द्वापरकी संधिके समान समय रहता है । इसके निकट जाकर मनुष्य सब पापोंसे मुक्त हो जाता है । यह शर्याति यज्ञका स्थान है । यहीं इन्द्रने अश्विनीकुमारोंके साथ बैठकर सोमगन किया था ( वन० १२१ । १९-२१ ) | यह अग्निकी उत्पत्तिका स्थान है ( वन० २२२ । २४ ) । यह माहिष्मतीके राजा दुर्योधनकी पत्नी बनी थी । राजाने इसके गर्भ से एक परम सुन्दरी कन्या उत्पन्न की थी, जो नाम और रूप दोनोंसे सुदर्शना थी (अनु० २ । १८-१९ ) । इसके जलमें स्नान करके एक पश्चतक निराहार रहनेवाला मनुष्य जन्मान्तर में राजकुमार होता है ( अनु० २५ । ५० ) । नर्मदाने किसी समय मान्धाताके पुत्र पुरुकुत्सको अपना पति बनाया था ( आश्रम० २० । १२-१३ ) । नल- ( १ ) एक प्राचीन ऋषि, जो इन्द्र-सभामें विराजमान होते हैं ( सभा० ७ । १७ ) । ( २ ) एक प्राचीन नरेश, जो युद्ध में पराजित नहीं होते थे ( आदि० १ | २२६-२३५ ) | ये निषधके राजा वीरसेनके पुत्र थे
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चन० ५२ । ५६ | बृहदवद्वारा इनके गुणों का वर्णन ( वन० ५३ । २-४ ) । इनका बहुत से सुवर्णमय पंखोंसे विभूषित हंसों को देखकर उनमेंसे एकको पकड़ना