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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दक्षिण दिशा ( १३५ ) दण्डधार anwarwww.. सरस्वती वहाँ आयी और सुरेणु' नामसे विख्यात हई दण्ड-(१)एक क्षत्रिय राजा, जो 'क्रोधहन्ता' नामक (शल्य० ३८ । २८-२९)। बाणशय्यापर पड़े हुए असुरके अंशसे उत्पन्न हुआ था ( आदि० ६७ । भीष्मको देखनेके लिये ये भी गये थे ( शान्ति. ४५)। यह अपने पिता विदण्टके साथ द्रौपदीके ४७ । १०)। इनकी आठ कन्याएँ ब्रह्मर्षियोंको ब्याही स्वयंवरमें आया था (आदि. १८५ । १२) दिग्विजय के गयी थीं, जिनसे अनेक प्रकारके जीव जन्तु तथा देवता समय भीमसेनने उसे दण्डधारसहित परास्त किया था मनुष्य आदि उत्पन्न हुए (शान्ति. १६६ । १७)। (सभा० ३० । १७)। यह मगधदेशके क्षत्रिय राजा इनका एक नाम 'क' भी है (शान्ति. २०८ । दण्डधारका भाई था और अर्जुनद्वारा भाईके मारे ७) । शिवजीद्वारा इनके यज्ञका विध्वंस (शान्ति. जानेपर इसने श्रीकृष्ण तथा अर्जुनपर धावा किया था, २८३ । ३२-३७)। यज्ञके समय दधं चिके साथ इनका इम युद्ध में अर्जुनने इसका मस्तक काट लिया था संवाद ( शान्ति. २८४ । २०-२२)। यज्ञविध्वंसके (कणं० १८ । १६-१९) । (२) एक सूर्यका बाद इनका शिवजीकी शरणमें जाना (शान्ति. २८४ । अनुचर (वन. ३।६८)। (३) यमराजका दिव्यास्त्र, ५७) । शिवजीसे क्षमा-प्रार्थना करना ( शान्ति. जिसका वेग कहीं भी कुण्ठित नहीं होता, इसे २८४ । ६१-६४)। सहस्रनामद्वारा शिवजीका स्तवन यमराजने अर्जुनको प्रदान किया था (वन० ४१ । करना (शान्ति. २८४ । ६९-१८०)। इनके द्वारा २६)। (४) चम्पाके निकटका एक तीर्थ, जहाँ रुद्रको शाप (शान्ति० ३४२ । २५)। इनके द्वारा गङ्गामें स्नान करके मनुष्य सहस्र गोदानका फल पाता चन्द्रमाको शाप । इनकी माट कन्याओंमें जो अन्तिम दस है ( वन० ८५ । १५)। (५) एक चेदिदेशीय थीं, वे मनुको ब्याही गयी थीं (शान्ति०३४२ । ५७)। पाण्डवपक्षका योद्धा, जो कर्णद्वारा निद्दत हुआ था (२) गरुड़की प्रमुख संतानों से एक ( उद्योग ( कर्ण ५६ । ४९)। (६ ) भगवान् १०१।१२)। (३) एक विश्वेदेव (अनु०११। ३५)। विष्णुका एक नाम ( अनु० १४९ । १०५)। दक्षिण दिशा-इसका वर्णन (उद्योग० १०९ अध्याय)। दण्डक-दक्षिण भारतका एक देश, जो दण्डकारण्यका भूभाग है। इसे सहदेवने दिग्विजयके समय जीता था (सभ'. दक्षिण पाञ्चाल-यह दक्षिण पाञ्चाल देश गङ्गाके दक्षिण ३१। ६६)। दण्डकका विशाल राज्य एक ब्राह्मणने तटसे लेकर चम्बल नदोतक फैला हुआ था, जहाँके नष्ट कर दिया था (अनु. १५३ । ११)। क्षत्रिय जरासंधके भयसे दक्षिण भाग गये थे (सभा० १४ । २७)। पाञ्चाल एक ही जनपद था, जो गङ्गाके दण्डकारण्य-एक तीर्थ और वन, जहाँ स्नान करनेसे दोनों तटॉपर फैला हुआ था। द्रोणाचार्यने अपने शिष्योद्वारा सहस्र गोदानका फल मिलता है (वन० ८५ । ४१)। द्रपदपर आक्रमण करवाकर उसे अपने अधीन करके आधा यहीं गोदावरीके तटपर पञ्चवटीमें वनवासके समय द्रपदको दे दिया और आधा अपने अधिकारमें रक्खा। श्रीरामजी रहे । यहीं शूर्पणखाको कुरूप किया गया और जो भाग द्रोणके अधिकारमें था, वह उत्तरपाञ्चाल' यहीं खर, दूषण, त्रिशिरा आदि चौदह हजार राक्षसोंका और जिसके राजा द्रुपद थे, वह दक्षिणपाञ्चाल' के नामसे वध, मारीचका वध, सीताहरण, जटायुवध आदि घटनाएँ प्रसिद्ध हुआ (आदि. १३७ अध्याय)। घटित हुई (वन० २७७ अध्यायसे २७९ अध्यायतक)। दक्षिणमल्ल-मल्लराष्ट्र (जिसकी राजधानी कशीनगर या दण्डकेतु-पाण्डवपक्षका एक योद्धा, इसके रथके घोड़ोंका कुशीनारा थी) का दक्षिणो भाग; इसे भीमसेनले वर्णन (द्रोण. २३ । ६८)। पूर्वदिग्विजयके समय जीता था ( सभा०३० । १२)। दण्डगौरी-एक स्वर्गीय अप्सरा, जिसने इन्द्रसभामें दक्षिण सिन्धु-एक तीर्थ, जो दक्षिण दिशाका समद अजुनके स्वागतार्थ नृत्य किया था (वन०४३ । २९)। रूप ही है, इसमें जाकर स्नान करनेसे मनुध्य अग्नि- दण्डधार-(१) मगधनिवासी एक क्षत्रिय राजा, जो टोम यज्ञका फल पाता है और देवविमानपर बैठनेका क्रोधवर्धन' नामक दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था सौभाग्य प्राप्त कर लेता है (वन. ८२ । ५३.५४ )। (आदि० ६७ । ४६ )। भीमसेनने दिग्विजयके समय दक्षिणाग्नि-पाञ्चजन्यसे उत्पन्न एक घोर पावक ( आचार्य इसे इसके भाई दण्डसहित जीता था ( सभा० ३० । नीलकण्टने इसका नाम दक्षिणाग्नि' लिखा है। ) १७)। यह कौरवपक्षका योद्धा था, हाथीपर चढ़कर (वन० २२० । ६)। लड़ता था और भगदत्तके समान पराक्रमी था । इसने दक्षिणापथ-दक्षिण भारतका नामान्तर, जिसका परिचय जब पाण्डवसेनाका संहार आरम्भ किया. जब श्रीकृष्णको नलने दमयन्तीको दिया था (वन० ६१ । २३)। प्रेरणासे अर्जुनने आकर इसके साथ युद्ध करके इसे मार For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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