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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तापत्य ( १३० ) तित्तिर २४४ । १७)। ये उपरिचर वसुके यशमें सदस्य थे १८-२०)। सुग्रीवसे युद्ध के लिये उद्यत हुए पतिको (शान्ति. ३३६ । ७)। इसका समझाना ( वन० २८० । २१-२४)। सुग्रीवको तापत्य-तपती और संवरणसे उत्पन्न हुए राजा कुरुके पति बनाना (वन० २८० । ३९)। (२) बृहस्पतिकी वंशमें जन्म ग्रहण करनेवाले सभी कौरव तापत्य' कहलाते पत्नी (उद्योग. ११७ । १३)। हैं। इसी अभिप्रायसे चित्ररथ गन्धर्वने अर्जुनको तापत्य ताराक्ष (या तारकाक्ष)-तारका एक पुत्र, जो त्रिपुरोमें कहा था (आदि. १६९ । ७९)। अर्जुनके पूछनेपर सुवर्णमय पुरका अधिपति था (कर्ण० ३३१५, कर्ण०१५ । उसने तापत्य नामके समर्थनमें तपती और संवरणके २१)। भगवान् शिवद्वारा इसका वध (कर्ण०३४ । मिलनेका प्रसंग सुनाया था ( आदि० १७० अध्यायसे ११४)। १७२ अध्यायतक)। तार्क्ष्य-(१) कश्यपपत्नो विनताका एक पुत्र ( आदि. तापसारण्य-तपस्वी जनोंसे सुशोभित एक तीर्थ या बन ६५ । ४०)। (२) एक ऋषि, जो इन्द्रकी सभामें (वन०८७ । २०)। विराजमान होते हैं ( सभा० ।।१८)। ये तार्थ्य ताम्रचूडा स्कन्दकी अनुचरी मातृका ( शल्य. ४६ ।। अरिष्टनेमि कहे गये हैं। उन्होंने क्षत्रियोंको यह बताया १८)। था कि हमें मृत्युका भय नहीं होता (वन० १८४ । ताम्रद्वीप-एक दक्षिण भारतीय जनपद, जिसे सहदेवने ८-२१)। इनका सरस्वती देवीके साथ धर्मविषयक जीतकर अपने अधीन किया था (सभा० ३१ । ६८)। संवाद हुआ था ( वन. १८६ अध्याय )। ताम्रपर्णी-पाण्ड्य देश (दक्षिण भारत ) की एक पवित्र (३) तायदेशीय एक क्षत्रिय राजकुमार, जो राजसूयनदी, जहाँ मोक्ष पाने के उद्देश्यसे देवताओंने आश्रममें के समय युधिष्ठिरको भेटके तौरपर बहुत धन अर्पित कर रहकर बड़ी भारी तपस्या की थी (वन०८८ । १४)। रहे थे (समा० ५२ । १५) । (४) भगवान् शिव ताम्रलिप्त-एक प्राचीन राजा, जिसे सहदेवने पूर्व-दिग्विजयके का एक नाम (अनु० १७ । ९८)। समय परास्त किया था ( सभा० ३० । २४)। तालकेतु-एक असुर, जो भगवान् श्रीकृष्णद्वारा महेन्द्रताम्रलिप्तक-एक पूर्वोत्तर भारतीय जनपद (भीष्म० । पर्वतके शिखरपर इरावती के किनारे पकड़ा गया और अक्षप्रपतनके समीपवर्ती हंसनेमिपथ नामक स्थानमें मारा ताम्रवती-अग्नियोंकी उत्पत्तिकी स्थानभूता एक नदी गया ( सभा०३८ । दाक्षिणात्य पाठ, पृष्ठ ८२४ वन (वन० २२२ । २३)। १२ । ३४)। ताम्रा-(१) काकी श्येनी, भासी, धृतराष्ट्री तथा शकी- तालचर-भारतवर्षका एक जनपद ( उद्योग. ११०। इन पाँच कन्याओंकी जननी ताम्रादेवी ( आदि० ६६ । ' तालजङ्क-(१) एक प्रसिद्ध क्षत्रिय कुल, जिसे राजा सगरने लोग पीते हैं (भीष्म. १।२८)। जीता था (वन० १०६ । ८)। यह वंश शर्यातिवंशी वत्सकुमार सुप्रसिद्ध राजा तालजङ्घसे प्रचलित हुआ था ताम्रारुणतीर्थ-एक तीर्थ, यहाँकी यात्रा करनेसे मनुष्य अश्वमेधयज्ञका फल पाता और ब्रह्मलोकमें जाता है ( अनु० ३० । ७)। एक महान् असुर, जो ब्राह्मणोंका सम्मान न करनेके कारण ब्रह्मादण्डसे ही मारा गया (वन० ८४ । १५४)। (वन० ३०३ । १७; अनु. ३०। ७)। ताम्रोष्ठ-कुबेरकी सभामें रहकर उनकी सेवामें रहनेवाला तालवन-(१) एक दक्षिण भारतीय जनपद, जिसे एक यक्ष (सभा० १०।१६)। सहदेवने जीतकर उसे राजा युधिष्ठिरके लिये कर देनेको तार-श्रीरामकी सेनाका एक वानर योद्धा, जिसने निखर्वट विवश कर दिया (सभा० ३३ । ७१) । (२) नामक राक्षसके साथ युद्ध किया (वन० २८५ । ९)। द्वारकाके समीपवर्ती लतावेष्ट पर्वतके चारों ओर सुशोभित तारकासुर-एक राक्षस, जो ताराश, कमलाक्ष और होनेवाले तीन वनों से एक ( सभा०३८ । दाक्षिणात्य विद्युन्मालीका पिता था ( कर्ण० ३३ । ५)। स्कन्द- पाठ, पृष्ट ८१३)। द्वारा इसका वध ( शल्य० ४६ । ७३) । इसके महान् तालाकट-एक दक्षिण भारतीय जनपद, जिसे सहदेवने पराक्रमका वर्णन (अनु० ८४ । ७९-८१)। जीता था (समा० ३१ । ६५)। तारा-(१) वानरराज बालीकी भार्या (बन० २८.। तित्तिर-(१)हक प्रकारका पक्षी; जो मरे हुए त्रिशिराके For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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