________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
78
अपडिबद्ध वि [अप्रतिबद्ध] आकांक्षा रहित। (प्रव.चा.२६) अप्पडिबुद्ध वि [अप्रतिबुद्ध] अज्ञानी, समझरहित। (स.१९)
अप्पडिबुद्धो हवदि ताव।। अप्पडिपुण्णोदर वि [अप्रतिपूर्णोदर] अपूर्णपेट। (प्रव.चा.२९)
अप्पडिपुण्णोदरं जधा लखें। (प्रव.चा.२९) अपडिहददंसण वि [अप्रतिहतदर्शन] यथार्थ वस्तु का अखंण्डित सामान्यावलोकन। (पंचा.१५४) अप्पडिहददंसणं अणण्णमयं। (पंचा.१५४) अपडिहार वि [अप्रतिहार] अप्रतिहार। (स.ज.वृ.३०७) अप्पप्पयासया स्त्री [आत्मप्रकाशिका] आत्मप्रकाशिका। (निय.१६१) अप्पप्पयासया चेव। (निय.१६१) अप्पमत्त वि [अप्रमत्त अप्रमाद युक्त। (स.६,भा.९४) ण होदि
अप्पमत्तो। (स.६) अप्परिणामि वि [अपरिणामिन्] परिणमन नहीं करने वाला। (स.११६,१२१) अप्परिणामी तदा होदि। (स.११६) अप्पा पुं [आत्मन्] आत्मा, जीव, चेतन। (पंचा. १४७, स. १०२, निय. ४३) अप्पा (प्र.ए.स.१०२) अप्पाणं (द्वि. ए. पंचा.१६२, स.९,प्रव.३३) अप्पादो (पं. ए. पंचा.१५९)अप्पा सु (स.ब.चा.४३) णाणं अप्पा सव्। (स.१०) अपाणभाव पुं [आत्मन्भाव आत्मभाव, निजस्वभाव। (स.९६)
अप्पाणभावेण (तृ.ए.स.९६) अप्पाणमा वि [आत्मन्मय] आत्ममय, अपने आप मय,
For Private and Personal Use Only