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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 304 संयम होता है। (द.३०) -घाद पुं [घात] संयम का विनाश। संजमघादं पमुत्तूण। (भा.९४) -चरण न [चरण] संयम का आचारण,संयम का एक भेद। (चा.२१) पांच इन्द्रियों का दमन, पांचव्रत,इनकी पच्चीस भावनायें,पांच समितियां और तीन गुप्तियां यह निरागार संयमचरणचारित्र है। (चा.२७) -पडिवण्ण वि प्रतिपन्न] संयम को प्राप्त, संयम को अङ्गीकार करने वाला। सो संजमपडिवण्णो। (द.२४) मुद्दा स्त्री [मुद्दा संयममुद्रा। (बो.१८) -लद्धिठाण न [लब्धिस्थान] संयम लब्धिस्थान। (स.५४) -संजुत्त वि [संयुक्त संयमसहित, संयम से युक्त संजमसंजुत्तस्स या (बो.१९)-सहिद वि [सहित] संयम सहित, संयम से युक्त। संयमसहिदो य तवो। (शी.६)-सुद्ध वि [शुद्ध] संयम से शुद्ध, संयम से पवित्र। संजमसुद्धं सुवीयरायं च | (बो.१५) -सोहि स्त्री [शोधि] संयम की शुद्धता। संजमसोहिणिमित्तं । (चा.३७) -हीण वि [हीन] संजम से हीन। संजमहीणो य तवो । (शी.५) संजाद/संजाय वि [संजात] उत्पन्न, पैदा हुआ। (प्रव.३८, निय.१६) कम्ममहीभोगभूमिसंजादा। (निय.१६) संजाय अक [सं+जन्] उत्पन्न होना। (प्रव.जे.७८) संजायंते देहा। संजायंते (व.प्र.ब.प्रव.जे.७८) संजुत्त वि [संयुक्त मिला हुआ, सम्मिलित। (पंचा.६, निय.९, द.३५, सू.१२) णाणेण य दंसणेण संजुत्तो। (पंचा.४०) संजुद वि [संयुत] सहित,संयुक्त। (पंचा.६८, प्रव.१४) For Private and Personal Use Only
SR No.020450
Book TitleKundakunda Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherDigambar Jain Sahitya Sanskriti Sanskaran Samiti
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size9 MB
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