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विणस्स अक [वि+नश्] नष्ट होना, ध्वस्त होना। (स.३४५, ३४६)
विणस्सए णेव केहिंचि दुजीवो। (स.३४५) विणा अ (बिना] बिना, सिवाय, बगैर (पंचा.२६,स.८, प्रव.१०)दव्वेण विणा ण गुणा (पंचा.१३) अत्थो अत्थं विणेह परिणामो। (प्रव.१०) यहाँ क्रमशः दोनों सन्दर्भो में तृतीया और द्वितीया के योग में विणा का प्रयोग हुआ है। विणास सक [वि+नाशय ध्वंस करना, नष्ट करना, क्षय करना। (सू.४, शी.२,२१) ण विणासइ सो गओ वि संसारे। (सू.४) विणासदि (व.प्र.ए.शी.२१) विणासंति (व.प्र.ब.शी.२) विणास पुं विनाश] विध्वंस, क्षय, नाश। (पंचा.११, स.१४७,
प्रव.१७) एवं सदो विणासो। (पंचा.५४) विणासग वि [विनाशक] नाश करने वाला, क्षय करने वाला।
(मो.६१) मोक्खपहविणासगो साहू। (मो.६१) विणिग्गह सक [विनि+ग्रह] निग्रह करना, रोकना, वश करना। (स.३७५-३८१) ण य एइ विणिग्गहिदुं। (स.३७५) विणिग्गहिद (ह.कृ.स.३७५) विणिच्यब पुं[विनिश्चय] निश्चय, निर्णय, परिज्ञान। (स.३६५)
विणिच्छओ णाणदंसणचरित्ते। (स.३६५) विण्णाण न [विज्ञात] ज्ञान, बुद्धिमत्ता, प्रज्ञा, समझ। (पंचा.३७,
स.२७१) अज्झवसाणं मई य विण्णाणं । (स.२७१) विण्णाद वि [विज्ञात] जाना गया, समझा हुआ। जीवमजीवं च हवदि विण्णादं। (प्रव.जे.३८)
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