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252 [मुक्ति] मोक्ष, निर्वाण, स्वतंत्र। (भा.१०४) तत्तो मुत्तिं ण पावंति। मुद वि [मृत] मरा। (दा.२७) जादो मुदो य बहुसो। मुद्दा स्त्री [मुद्रा] अङ्ग-विन्यास,आकृति,वेश । (बो.१८) मुद्दा इह
णाणाए जिणमुद्दा एरिसा भणिया। (बो.१८) मुय सक [मुच् छोड़ना, त्याग करना। (पंचा.१०३, स.३१७, भा.१३७) मुयदि मुयइ (व.प्र.ए.स.३१७, भा.१३७) मुयदि भवं तेण सो मोक्खो। (पंचा.१५३) मुस्स सक [मुष्] लूटना, अपहरण करना, उठा लेना। (स.५८) ण
य पंथो मुस्सदे कोई। (स.५८) मुस्सदि मुस्सदे (व.प्र.ए.स.५८) मुस्संत (व.कृ.स.५८) मुह न [मुख, मुँह, वदन, चेहरा,मुख| (निय.८) - उग्गद वि
[उद्गत] मुख से निकला हुआ। तस्स मुहुग्गदवयणं । (निय.८) मुह अक [मुह्] मोह करना, मोहित होना, मूढ बनना।
(प्रव.जे.६२) ण मुहदि सो अण्णदवियम्हि। (प्रव.जे.६२) मुहिद वि [मुहित] मोहित, मोही, विमूढ। तेसु हि मुहिदो रत्तो।
(प्रव.४३) मुहुत्त पुं न [मुहूर्त] दो घड़ी का समय, अड़तालीस मिनिट का वाचक। (भा.२९, मो.५३) खवेइ अंतोमुहुत्तेण। (मो.५३) मूज वि [मूक] गूंगा, वाक्शक्ति से रहित। (द.१२) मूढ वि मूढ] मूर्ख, मुग्ध, ज्ञानहीन, अज्ञानी, नासमझ। (स.२५०, प्रव.८३, चा.१७, मो.८) सो मूढो अण्णाणी। (स.२४७, २५०,
मूढ वि [मूढामगा, वाक्शक्तिलाइ अंतोमुहत्तेणार
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