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मज्ज अक [माझ्] उन्मत्त होना, सावधानी खोना। (स.१९६) मज्ज न [मद्य] मदिरा, शराब। (सू.१९६) मज्झ न [मध्य] 1. बीच, अन्तराल, मध्य । (प्रव.चा.७३) -त्थ वि [स्थ] माध्यस्थ, मध्यवर्ती, अन्तरङ्ग। (निय.८२, प्रव.चा.७३) 2. पुं [मम] मुझे, मेरा। (स.३८) मज्झम/मज्झिम वि [मध्यम] मध्यवर्ती, बीच का। (प्रव.चा.४,
बो.१७) -पत्त न [पात्र] मध्यमपात्र। (द्वा.१७) मण पुं न [मनस्] 1. मन, अन्तःकरण,चित्त। (पंचा.१११, निय.६९, चा.३२) -गुत्ति स्त्री [गुप्ति मन की प्रवृत्ति को रोकना, मन की स्थिरता। (निय.६६, चा.३२) -पज्ज पुं [पर्यय मनःपर्यय, ज्ञान का एक भेद । (निय.१२) -परिणामविरहिद वि [परिणामविरहित] मनोयोग से रहित। (पंचा.११२) -मत्तदुरिय पुं [मत्तदुरित मनरूपी उन्मत्त हाथी। (भा.८०) 2. मनःपर्यय ज्ञान, ज्ञानविशेष, दूसरे के मनोगत विचारों को जानने वाला ज्ञान। (पंचा.४१, स.२०४) मणि पुं स्त्री [मणि] मुक्ता, मणि, रत्न विशेष। (भा.१५९)
-माला स्त्री [माला] मोतियों की माला। (भा.१५९) मणुपुं [मनु] 1. मनुष्य, नर। (भा.८) गइ स्त्री [गति] मनुष्यगति।
(भा.८) 2. मनु, कुलकर, चौथेकाल के आदि में होने वाले विशेष व्यक्ति। मणुअ/मणुज/मणुय पुं मनुज] मनुष्य, मानव, मनुज। (पंचा.११८, स.२६८, प्रव.६३, द.३४, मो.११, बो.३४) -जम्म
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