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पुंन [जन्मन्] मनुष्य जन्म, मनुष्य पर्याय। (भा.११) -त्त वि [त्व] मनुष्यत्व। (द.३४) -भव पुं [भव] मनुष्यभव, मनुष्य पर्याय। (बो.३५) -रायपुं [राजन्] चक्रवर्ती। (प्रव.६) मणुण्ण वि [मनोज्ञ] मनोहर, अतिरमणीय, सुन्दर। (चा.२९) मणुव पुं [मनुज] मनुष्य, मानव। (निय.७७, द्वा.३) मणुस/मणुस्स पुं स्त्री [मनुष्य] मनुष्य। (प्रव.१, प्रव.ज.वृ.७९, पंचा.१७, निय.१६) पणमंतिजे मणुस्सा। (प्रव.ज.वृ.७९) -त्तण वि त्व] मनुष्यत्व। (पंचा.१७) मणो पुं न [मनस्] मन, पौद्गलिक द्रव्यमन। (पंचा.८२, प्रव.जे.६८, भा.९०) -गुत्ति स्त्री [गुप्ति मनोगुप्ति, मनोनिग्रह। (निय.६९) मन की रागादि परिणामों से निवृत्ति मनोगुप्ति है। जा रायादिणिवत्ती, मणस्स जाणीहि तम्मणोगुत्ती। (निय.६९) -रह पुं [रथ] मनोरथ, मन की अभिलाषा, मन की इच्छा। (स.२३६) मण्ण सक [मन्] मानना, समझना। (पंचा.१६५, स.२८, प्रव. जे.१००, निय.१६१) मण्णइ मण्णदि (व.प्र.ए.पंचा.१६५, स.२५०, मो.५८) मण्णए (व.प्र.ए.द.२४, मो.११) मण्णसे (व.म.ए.स.६२) मण्णसि (व.म.ए.स.३४१) मण्णे (वि. आ.म.ए.प्रव.जे.१००) मत्त वि [मत्त] 1. उन्मत्त, मदयुक्त। (भा.८०) 2. न [मात्र] मात्र,
केवल, अवधारण। मत्ता स्त्री [मात्रा मर्यादा, सीमा, परिमाण । (पंचा.२६) -रहिद वि [रहित] मर्यादारहित, असीम। (पंचा.२६)
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