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पदार्थो का उपदेश करने वाले। (निय.७४) -भंग पुं [भङ्ग] पदार्थ भेद। तेसिं पयत्थभंगा। (पंचा.१०५) पयद वि [प्रयत] प्रयत्नशील, उद्यमी। पयदो मूलगुणेसु।
(प्रव.चा.१४) पयदम्हि समारद्धे। (प्रव.चा.११) । पयलिय वि [प्रगलित] नष्ट हुआ, क्षय हुआ, गला हुआ। (भा.७८)
पयलियमाणकसाओ। पयास सक [प्र+काशय] चमकना, प्रकाशित करना। (भा.१४९)
लोयालोयं पयासेदि। पयासेदि (व.प्र.ए.) पयासत्त वि [प्रकाशत्व] प्रकाशमान, प्रकाशत्व, प्रकाशशील।
(ती.भ.८) पर वि [पर] 1. भिन्न, अन्य, इतर, दूसरा। (पंचा.१३९, स.९९, प्रव.८७, चा.४३) 2.उत्कृष्ट, उत्तम, प्रधान । (प्रव.जे.१०२) 3. तत्पर, उद्यत। (भा.१०५) -किय वि [कृत] परकृत, दूसरे के द्वारा किया गया। (बो.५०) -चरिय न [चरित] पराचरण, अन्यरूप आचरण। (पंचा.१५६) -णिंदा स्त्री [निंदा] दूसरे की निंदा। (निय.६२, लिं.१४) -तति स्त्री [तति] अन्य समूह। (निय.१५७) -दव्व पुंन [द्रव्य] अन्य द्रव्य। (पंचा.१५९, स.२०, प्रव.५७,निय.१६२)-दो वि [तस्] अन्य से। (निय.१८३) -पयास/प्पयास पुं [प्रकाश पर प्रकाश, परदीप्ति। (निय.१६१) -प्पवादि पुं प्रवादिन] अन्य दार्शनिक। (स.३९) -भाव पुं भाव परभाव,अन्य परिणाम,अन्य स्वभाव। (निय.९७, स.३५) -भिंतर वि [अभ्यन्तर] दूसरे के भीतर, भीतरी भाग। (मो.४)
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