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वि [युत] नेत्र से रहित अवलम्बन। (पंचा.४२) अचक्खुजुदवि य ओहिणा सहियं अचल वि [अचल] निश्चल, दृढ़, स्थायी। (प्रव. जे. १००, निय.
१७७, बो. १२) णिच्चं अचलं अणालंबं । (निय. १७७) अचरित्त न [अचरित्र] आचरणविहीन, संयमरहित, व्रतरहित। (स. १६३) अचरित्तो होदि णायव्यो। (स. १६३) अचित्त वि [अचित्त] जीवरहित, अचेतन। (स. २२०, २२१, २३९, २४३, २० मो. १७) आदसहावादण्णं,
सच्चित्ताचित्तमिस्सियं हवदि (मो. १७) अचिरेण अ [अचिरेण] जल्दी, शीघ्र, थोड़ा। (स. १८९, प्रव.८८)
लहइ अचिरेण अप्पाणमेव। (स. १८९) अचेदण वि [अचेतन] चैतन्यरहित, निर्जीव। (पंचा. १२४, स.६८, १११,३२८ प्रव. जे.३५) एदे अचेदणा खलु। (स. १११) -त्त वि [त्व] अचेतनता। (पंचा. १२४) तेसिं अचेदणत्तं। अचेल न [अचेल] वस्त्ररहित, वस्त्रत्याग, मुनियों का एक गुण | (प्रव. चा.८) लोचावस्सकमचेलमण्हाणं । (प्रव. चा.८) अचोक्ख वि [दे] मलिन, अशुद्ध, अपवित्र। (द्वा.४३) भरियमचोक्खं देह। (द्वा.४३) अचोरिय न [अचौर्य] अचौर्य, चोरीरहित, लूटरहित, शील का एक गुण, व्रत का एक भेद। (शी.१९) अचोरियं बंभचेरसंतोसे। (शी.१९) अच्चंत वि [अत्यन्त अत्याधिक, आजीवन, हमेशा, लगातार,
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