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छत्त न [छत्र] छत्र, छाता, आतपत्र । (बो.४५) छदि स्त्री दि] वमन, उल्टी। (भा.४०) छहिखरिसाणमझे।
(भा.४०) छदुमत्य वि [छद्मस्थ] असर्वज्ञ, सम्पूर्ण ज्ञान से रहित, अज्ञानी।
(प्रव.चा.५६) छल न [छल कपट, माया, छल। चुक्किज्ज छलं ण घेत्तव्वं ।
(स.५) छह वि षष्] छह। (बो.५३) छहसंहणणेसु भणियणिग्गंथा। (बो.५३) -दब्ब पुं न [द्रव्य] छहद्रव्य। (द.१९) छहदव्वणवपयत्था। (द.१९) छादाल स्त्री [षट्चत्वारिंशत्] छयालीस। (भा.१०१)
छादालदोसदूसिय। (भा.१०१) छाया स्त्री [छाया] छाया, छाँव। (निय.२३, मो.२५)
छायातवट्ठियाणं। (मो.२५) । छिंद सक [छिद् छेदना, खण्ड-खण्ड करना, काटना, विभक्त
करना। (भा.१२१,लिं.१६) छिंददि य भिंददि य तहा। (स.२३८) छित्तूण (सं.कृ.मो.९८) छिज्ज सक [छिंद] छेदना, खण्डित करना, काटना। (स.२०९,
२९४) छिज्जदु वा भिज्जदु वा। (स.२०९) छिज्जदु (वि. आ.प्र.ए.) छिज्जति (व.प्र.ए.स.२९५) छिद्द न [छिद्र] छेद, दरार, कटाव, विवर, गड्ढा। (पंचा.१४१) पावासवं छिदं । (पंचा.१४१)
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