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चेदि अ [च+इति] तथा, और,ऐसा। (स.२५७,२५८) चेदि/चेदिय पुं न [चैत्य] प्रतिमा, मूर्ति। अरहंतसिद्धचेदिय! (पंचा.१६६) -हर न [गृह] चैत्यगृह, चैत्यालय। णाणमयं जाण चेदिहरं। (बो.७) चेयणा स्त्री [चेतना चेतना,जीव। (भा.६४)-गुण पुं न. [गुण] चेतना गुण । अव्वत्तं चेयणागुणमसदं। (भा.६४) -भाव पुं भाव] चेतनाभाव, चैतन्यभाव। अत्थि धुवं चेयणाभावो। (बो.१६) -सहिअ वि सहित] चेतना सहित। णाणसहाओ य चेयणासहिओ। (भा.६२) चेल न [चेल] वस्त्र, कपड़ा। पंचविहचेलचायं। (भा.८१) चेलेण य परिगहिया। (सू.१३) -खंड पुंन [खण्ड] वस्त्रखण्ड, वस्त्र का टुकड़ा। गेण्हदि व चेलखंड। (प्रव.चा.ज.वृ.२०) चेव अ [च+एव] ही, पादपूर्ति अव्यय। (पंचा.७५, स.६,प्रव.४,चा.८) सो चेव हवदि लोओ। (पंचा.४) णाणमओ
चेव जायदे भावो। (स.१२८) चो वि चतुर चार, संख्या विशेष। (द.३२) चोण्हं वि समाजोगे।
चोण्हं (च. ष.ब.) (हे.संख्याया आमो ण्ह ण्हं ३/१२३) चोक्ख वि दे], चोखा, शुद्ध, पवित्र, साफ। चोक्खो हवेइ अप्पा।
(द्वा.४६) चोर पुं [चोर चोर,तस्कर। चोरो त्ति जणम्मि वियरंतो। (स.३०१, लिं.१०)
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