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17 गाम पुं [ग्राम] ग्राम, गांव, नगर, पुर। (निय.५८, स.३२५) गामे
वा णयरे वा। (निय.५८) गारव पुं न [गौरव महत्त्व, प्रभाव, आदर, महान्, अहंकार। ये
गारवं करंति य, सम्मत्तविवज्जिया होति। (द.२७) गाह सक [गाह] अनुभव करना, अभ्यास करना, प्राप्त करना। (स.८, पंचा.१३४, लिं.२२) जो मुयदि रागदोसे सो गाहदि दुक्खपरिमोक्खं। (पंचा.१०३) अणज्जभासं विणा उ गाहेउं। (स.८) गाहेदु (हे.कृ.स.८) गिण्ह सक [ग्रह] ग्रहण करना, प्राप्त करना। (स.७७, सू.१८) गिण्हदि गिण्हइगिण्हए (व.प्र.ए.स.७६,३५१,४०७) गिण्ह
(वि. आ.म.ए.स. २०३) तं गिण्ह णियदमेदं। (स.२०५) गिद्धि स्त्री [गृद्धि] आसक्ति। (भा. १०२) गिद्धीदप्पेणधी पभुत्तूण |
(भा.१०२) गिरि पुं [गिरि] पहाड़, पर्वत। (भा.२१, बो.४१) -गुह/गुहा स्त्री
[गुफा] गिरिगुफा। (बो.४१) -सिहर पुं शिखर पर्वत का शिखर, पर्वत का ऊपरी भाग। (बो.४१) गिरिगुह गिरिसिहरे। (बो.४१) गिलाण वि [ग्लान] अशक्त, असमर्थ, रोगपीड़ित। (प्रव.चा.५३) बालो वा वुड्ढो वा समभिहदो वा पुणो गिलाणो वा। (प्रव.
चा.३०) गिह न [गृह] मकान, घर। (स.४०८, बो.४४) गिहगंथमोहमुक्का । (बो.४४)
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