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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 632 कालिदास पर्याय कोश पुष्पं प्रवालो पहितं यदि स्यान्मुक्ताफलं वा स्फुट विदुमस्थम्। 1/44 जैसे लाल कोपलों पर कोई उजला फूल रखा हुआ है, या स्वच्छ मूंगे के बीच में मोती जड़ा हुआ हो। तस्याः करिष्यामि दृढ़ानुतापं प्रवालशय्या शरणं शरीरम्। 3/8 मैं उसके मन में ऐसा पक्षतावा उत्पन्न करता हूँ, कि वह अपने आप आकर आपके पत्तों के ठण्डे बिछौने पर लेट जायेगी। अपित्वदावर्जितवारि संभृतं प्रवाल मासानुबन्धि वीरुथाम्। 5/34 आपके हाथों से सींची हुई इन लताओं में कोमल लाल-लाल पत्तियों वाली वे कोपलें तो फूट आई होंगी। पन्नग 1. पन्नग :-[पद्+क्त+गः] साँप, सर्प। पराभिमझे न त्वास्ति कः करं प्रसारेयेत्पन्नगरत्नसूचये। 5/43 यह भी नहीं हो सकता कि कोई शत्रु आपका अपमान करे, क्योंकि ऐसा कौन है, जो साँप की मणि लेने के लिए उस पर हाथ डालेगा। 2. भुजंग :-[भुजः सन गच्छति गम्+खच्; मुम् डिच्च] सांप, सर्प। स्थिर प्रदीप्ता मेत्य भुजंगाः पर्युपासते। 2/38 बड़े-बड़े साँप अपने मणियों के न बुझने वाले दीप ले-लेकर उसकी सेवा किया करते हैं। भजंग मोनन्दजटाकलापं कर्णावसक्त द्विगुणाक्षसूत्रम्। 3/46 साँपों से उनकी जटा बँधी हुई है, दाहिने कान पर दुहरी रुद्राक्ष की माला टंगी है। यथा प्रदेशं भुजगेश्वराणां करिष्यतामाभरणान्तरत्वम्। 7/34 उनके शरीर के बहुत से अंगों में जो साँप लिपटे हुए थे, वे भी उन-उन अंगों के आभूषण बन गए। पाण्डु 1. पाण्डु :-वि० [पण्ड्+कु नि० दीर्ध:] पीत्, धवल, सफेद सा, पीला। पर्याक्षिपत्काचिदुदारबन्धं दूर्वावता पाण्डुमधूकदाम्ना। 7/14 फिर दूब में पिरोई हुई पीले महुए के फूलों की माला उनके जूड़ों में लपेटी। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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