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रघुवंश
कहीं तो छोटे-छोट तालों में से सुअरों के झुंड निकल-निकल कर चले जा रहे
हैं, कहीं मोर अपने बसेरों की ओर उड़े जा रहे हैं। 3. गृह :--[ग्रह+क] घर, निवास, आवास, भवन।
सुरेन्द्र मात्रा गर्भ गौरवात्प्रयत्न मुक्तासनया गृहागतः। 3/11 जब धीरे-धीरे रानी का वह गर्भ बढ़ने लगा, जिसमें लोकपालों के अंश भरे थे, तब उन्हें उठने-बैठने में भी कठिनाई होने लगी। अपि प्रसन्नेन महर्षिणा त्वं सम्यग्विनी यानुमतो गृहाय। 5/10 क्या ऋषि ने आपकी विद्वता से प्रसन्न होकर आपको गृहस्थ बन जाने की आज्ञा दे दी है। अन्वितः पतिवात्सल्याद्गृह वर्जमयोध्यया। 15/98 जब अयोध्यावासियों ने यह सुना तो राम के प्रेम में वे सब केवल अपने-अपने घर पीछे छोड़कर उनके साथ हो लिए। शिला विशेषानधिशय्य निन्युर्धारा गृहेष्वातपमृद्धिमंतः। 16/49 धनी लोग गर्मी में ठंडी रहने वाली उन विशेष प्रकार की शिलाओं पर सोकर दुपहरी बिताते थे। गेह :-[गो गणेशो गंधर्वो वा इहः ईप्सितो यत्र तारा०] घर, आवास। यस्यात्म गेहे नयनाभिरामा कांतिर्हिमांशोरिव संनिविष्टा। 6/47 चंद्रमा की चाँदनी के समान आँखों को सुख देने वाला इनका प्रकाश तो घर में रहता है। लब्धान्तस सावरणेऽपि गेहे योग प्रभावो न च लक्ष्यते ते। 16/7 तुम हमारे इस बंद भवन में घुस तो आई हो, पर तुम्हारे मुख से यह नहीं प्रकट
होता कि तुम योगिनी हो। 5. निकेतन :-[नि+कित्+ल्युट्] भवन, घर, आलय।
असौ महाकालनिकेतनस्य वसन्नदूरे किल चंद्रमौलेः। 6/34 इनका राज-भवन महाकाल मंदिर में बैठे हुए सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले शिवजी के पास ही है। बाष्पायमाणो बलिमनिकेतमालेख्यशेषस्य पितुर्विवेश। 14/15 तब वे अपने पिताजी के पूजाघर में गए, वहाँ दशरथजी का अकेला चित्र देखकर राम की आँखों में आँसू आ गए।
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