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86.
कालिदास पर्याय कोश
चकार रेवेव महाविरावा बद्धप्रतिश्रुन्ति गुहामुखानि। 16/31 उस सेना ने नर्मदा के समान जो गंभीर गर्जन किया उससे पर्वत की गुफाएँ भी गूंज उठीं। न हि सिंहो गजास्कन्दी भयाद गिरिगहाशयः। 17/52 हाथियों को मारने वाला सिंह गुफा में हाथियों के भय से नहीं सोता है, वरन्
उसका स्वभाव ही वैसा होता है। 5. शैलरंध्र :-[शिला+अण्+रन्ध्रम्] गुफा, कन्दरा।
अथ वेलासमासन्न शैल रंधानुनादिना। 10/35 क्षीर सागर के तट पर खड़े हुए पहाड़ो की गुफाओं में उनके शब्द गूंज उठे।
गृध 1. गृध :-[गृध्+क्र:] गिद्ध, जटायुनाम का गिद्ध।
तौ सीतान्वेषिणौ गृधं लून पक्षम पश्यताम्। 12/54 राम और लक्ष्मण अब सीता को ढूँढ़ने लगे, उन्होंने मार्ग में जटायु को देखा,
उसके पंख कटे हुए थे। 2. पक्षीन्द्र :-[पक्ष इनि+इन्द्रः] गिद्धराज जटायु का विशेषण, गरुड़ का विशेषण।
जहार सीतां पक्षीन्द्र प्रयासक्षण विनितः। 12/53 रावण ने सीताजी को चुरा लिया, मार्ग में गृद्धराज जटायु उससे लड़ा भी, पर वह कुछ कर न सका।
गृह 1. अगार :-[अगं न गच्छन्तम् ऋच्छति प्राप्नोति-अग+ऋ+अण] घर।
स त्वं प्रशस्ते महिते मदीये वसश्चतुर्थोऽग्निरिवाग्न्यगारे। 5/25 इसलिए आप हमारी यज्ञ शाला में चलिए, और चौथी अग्नि के समान पूजनीय होकर दो चार दिन ठहरिये। अथानपोढार्गलमप्यगारं छायामिवादर्शतलं प्रविष्टाम्। 16/6 जैसे दर्पण में मुँह का प्रतिबिंब पैठ जाता है, वैसे ही द्वार बंद रहने पर भी वह स्त्री
घर के भीतर आ गई थी। 2. आवास :-[आ+वस्+घञ्] घर, निवास।
स पल्वलोत्तीर्णवराह यूथान्यावास वृक्षोन्मुख बर्हिणानि। 2/17
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